अमेरिका में गौतम अडानी पर रिश्वखोरी और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप: गिरफ्तारी वारंट जारी, हो सकती है दशकों साल की जेल


गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर अमेरिकी SEC और न्यूयॉर्क कोर्ट ने रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। आरोप है कि अडानी समूह ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के ठेके के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी और अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया। इस खबर के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई, जिससे ₹2.45 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। कांग्रेस ने इसे पीएम मोदी पर हमला करने का मुद्दा बनाया, जबकि बीजेपी ने इसे साजिश बताया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद अडानी समूह की साख और भारतीय उद्योग जगत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।


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बड़ी बात Updated On :

महाराष्ट्र और झारखंड में वोटिंग खत्म होने के अगले ही दिन भारत के शीर्ष उद्योगपति गौतम अडानी फिर चर्चाओं में हैं। इस बार अडानी पर अमेरिका में गंभीर आरोप लगाए गए हैं और इनमें उनके भतीजे सागर अडानी का भी नाम शामिल है। इसके बाद से चाचा-भतीजे के खिलाफ अमेरिका में धोखाधड़ी और घूसखोरी के गंभीर आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है। अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) और न्यूयॉर्क की एक अदालत ने अडानी समूह पर अमेरिकी निवेशकों को धोखा देने और भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। न्यूयॉर्क की अदालत ने गौतम अडानी और उनके भतीजे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है। इन आरोपों से भारत में हलचल मची हुई है। अडानी सरकार के करीबी माने जाते हैं और कांग्रेस उन पर हमला करती रहती है लेकिन इस बार मामला काफी बड़ा है और कांग्रेस का हमला भी तेज दिखाई देती है।

जानिये क्या हैं आरोप?

अमेरिकी SEC और न्याय विभाग के अनुसार, अडानी समूह ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के ठेके हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने का षड्यंत्र रचा। आरोप है कि इस योजना में 250 मिलियन डॉलर  की रिश्वत की पेशकश की गई। इस परियोजना से अगले 20 वर्षों में दो बिलियन डॉलर के लाभ की उम्मीद थी। आरोपों के अनुसार, अडानी ग्रीन एनर्जी और Azure Power जैसी कंपनियों ने दस्तावेजों में हेरफेर किया और इसी तरह अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया।इन आरोपों पर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने काफी व्यापक तरीके से लिखा है।

इस मामले में गौतम अडानी, सागर अडानी और अन्य अधिकारियों के खिलाफ “सिक्योरिटीज फ्रॉड”, “वायर फ्रॉड” और “फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया है। SEC का दावा है कि इस योजना को छुपाने के लिए अडानी समूह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत सूचना फैलाई और जांच एजेंसियों को गुमराह किया।

शेयर बाजार में भारी गिरावट

इस खबर के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। समूह की प्रमुख कंपनियों—अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पावर और अडानी टोटल गैस—के शेयरों में 15% से 20% तक की गिरावट हुई। इससे समूह के कुल बाजार मूल्य में 2.45 लाख करोड़ रु का नुकसान हुआ।

विश्लेषकों का मानना है कि यह संकट समूह की विश्वसनीयता और फंड जुटाने की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। मूडीज जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने इसे अडानी समूह के लिए नकारात्मक करार दिया है और कहा है कि यह उनकी कर्ज चुकाने की क्षमता पर असर डाल सकता है।

राहुल गांधी ने अडानी और पीएम मोदी पर साधा निशाना

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटनाक्रम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया, “गौतम अडानी ने न केवल भारतीय कानून तोड़ा है, बल्कि अमेरिकी कानून का भी उल्लंघन किया है। यह भ्रष्टाचार का बड़ा मामला है, और प्रधानमंत्री मोदी इसमें अडानी की रक्षा कर रहे हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जांच एजेंसियां, जैसे SEBI और CBI, इस मामले में निष्क्रिय हैं और यह मोदी सरकार की मिलीभगत को दर्शाता है। राहुल गांधी ने मांग की कि अडानी पर भारत में भी तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए और इस मामले की गहराई से जांच की जानी चाहिए।

बीजेपी ने कहा, इसमें साज़िश…

बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया। इस मामले में पार्टी के बचाव के लिए आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय मैदान में आए उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में अडानी की परियोजनाएं शुरू हुईं, वे सभी विपक्ष शासित थे। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आरोप ऐसे समय में सामने आए हैं जब संसद का सत्र शुरू होने वाला है। बीजेपी ने यह भी कहा कि अडानी समूह के खिलाफ आरोप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कॉर्पोरेट जगत की छवि खराब करने की साजिश है।

अंतरराष्ट्रीय गिरावट… 

यह घटनाक्रम उस समय हुआ जब अडानी समूह अमेरिका में $600 मिलियन (₹5,000 करोड़) के ग्रीन बॉन्ड लॉन्च की योजना बना रहा था। इस खबर के बाद समूह ने अपनी बॉन्ड बिक्री को रद्द कर दिया। साथ ही, अडानी के निवेशक, जैसे GQG पार्टनर्स, के शेयरों में भी 20% की गिरावट हुई। अमेरिकी न्याय विभाग ने आरोप लगाया है कि गौतम अडानी ने व्यक्तिगत रूप से कई सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की और रिश्वत देने की साजिश में शामिल रहे।

 

हो सकती है दशकों की जेल!

गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर लगे आरोपों के तहत उन्हें अमेरिकी कानून के अनुसार कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो सिक्योरिटीज फ्रॉड और वायर फ्रॉड के तहत प्रत्येक आरोप पर 20-20 साल की जेल और धोखाधड़ी से अर्जित राशि के दोगुने तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (FCPA) के उल्लंघन पर व्यक्तियों को 5 साल की जेल और कंपनियों पर $2 मिलियन तक का जुर्माना लग सकता है। इसके अलावा, न्याय में बाधा डालने (Obstruction of Justice) के आरोप में भी 20 साल तक की सजा हो सकती है। दोषी पाए जाने पर उनके व्यवसायों पर प्रतिबंध, संपत्ति जब्ती और निवेशकों को नुकसान की भरपाई का आदेश भी दिया जा सकता है। कुल मिलाकर, यदि सभी आरोप साबित होते हैं, तो सजा कई दशकों की जेल और अरबों डॉलर के जुर्माने तक पहुंच सकती है, जिससे उनके व्यवसाय और व्यक्तिगत छवि पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।

विवादों के साथी अडानी…

यह पहली बार नहीं है जब अडानी समूह विवादों में घिरा है। इससे पहले भी अडानी की कोयला खदान परियोजनाओं और बंदरगाह विकास योजनाओं को लेकर ऑस्ट्रेलिया, केन्या और श्रीलंका में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। पर्यावरण समूहों ने आरोप लगाया कि अडानी समूह की परियोजनाएं पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं और स्थानीय समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं।

विशेषज्ञों की है ये राय

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद भारतीय उद्योग जगत की साख पर सवाल खड़े कर सकता है। अडानी समूह पर लगे आरोप भारतीय कंपनियों की अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फंड जुटाने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। गौतम अडानी पर लगे आरोप न केवल उनके व्यवसाय के लिए, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए भी एक बड़ा झटका साबित हो सकते हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारतीय और अमेरिकी न्याय प्रणाली इस मामले को कैसे संभालती हैं और क्या इससे भारतीय उद्योग और राजनीति पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।

 



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