दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन रेलवे नेटवर्क बनने की ओर अग्रसर भारतीय रेलवे


भारत 2030 से पहले ‘शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जक’ इकोनॉमी बनने की ओर बढ़ रहा है।


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नई दिल्ली। भारतीय रेलवे दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन रेलवे नेटवर्क बनने की ओर अग्रसर है। इस दिशा में भारतीय रेलवे मिशन मोड में काम भी कर रही है। दरअसल, इसके जरिये भारत 2030 से पहले ‘शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जक’ इकोनॉमी बनने की ओर बढ़ रहा है।

इसी क्रम में सेंट्रल रेलवे ने सभी ब्रॉड गेज मार्गों पर 100% रेलवे विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है। ज्ञात हो, सेंट्रल रेलवे का अंतिम गैर-विद्युतीकृत खंड यानी सोलापुर मंडल पर औसा रोड-लातूर रोड (52 आरकेएम) 23 फरवरी 2023 को विद्युतीकृत किया गया।

सेंट्रल रेलवे अब सभी ब्रॉड गेज मार्गों पर पूरी तरह से विद्युतीकृत हो गया है, जिससे हर साल 5.204 लाख टन कार्बन फुटप्रिंट कम करने में सहायता मिलेगी। केवल इतना ही नहीं इसके जरिए सालाना 1670 करोड़ रुपये की बचत भी होगी।

रेलवे विद्युतीकरण की गति, पर्यावरण के अनुकूल –

रेलवे विद्युतीकरण की गति, जो पर्यावरण के अनुकूल है और प्रदूषण को कम करती है, 2014 के बाद से 9 गुना गति से बढ़ी है। इसी दिशा में रेलवे ने ब्रॉड गेज मार्गों के विद्युतीकरण की योजना बनाई है, जिससे डीजल कर्षण को समाप्त करने में मदद मिलेगी, जिसके परिणामस्वरूप इसके कार्बन फुटप्रिंट और पर्यावरण प्रदूषण में महत्वपूर्ण कमी आएगी।

सेंट्रल रेलवे का 3,825 किलोमीटर का ब्रॉड गेज नेटवर्क –

सेंट्रल रेलवे का 3,825 किलोमीटर का ब्रॉड गेज नेटवर्क है। सेंट्रल रेल प्रमुख रूप से भारत के मध्य भाग में स्थित है और यह अधिकांश भारतीय शहरों और अन्य स्थानों को अपने अधिकार क्षेत्र के प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, नागपुर, पुणे, नासिक, सोलापुर, कोल्हापुर आदि से जोड़ता है।

पंजाब मेल एक्सप्रेस, हावड़ा मेल, सीएसएमटी-हजरत निजामुद्दीन राजधानी एक्सप्रेस, डेक्कन क्वीन, वंदे भारत, तेजस एक्सप्रेस, कोंकण कन्या एक्सप्रेस, पुष्पक एक्सप्रेस, महानगरी एक्सप्रेस, उद्यान एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, हुसैन सागर एक्सप्रेस, सिद्धेश्वर एक्सप्रेस आदि मध्य रेल नेटवर्क पर चलने वाली प्रमुख प्रतिष्ठित ट्रेनें हैं। मध्य रेल विद्युत कर्षण उपनगरीय लोकल ट्रेन भी चलाता है, जो मुंबई की जीवन रेखा है।

यह ईंधन के बिल को कम करेगा –

रेलवे पर्यावरण के अनुकूल, कुशल, लागत प्रभावी, समयनिष्ठ और यात्रियों के साथ-साथ माल ढुलाई की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए एक ऐतिहासिक दृष्टि से निर्देशित है। इससे ईंधन बिल में भी काफी कमी आएगी और कार्बन फुटप्रिंट अर्जित होंगे।

CSMT-मुख्यालय जोनल रेलवे ने दी जानकारी –

CSMT-मुख्यालय जोनल रेलवे ने जानकारी दी है कि सोलापुर डिवीजन में 52 किलोमीटर औसा रोड-लातूर रोड खंड अंतिम गैर-विद्युतीकृत खंड था और इसका विद्युतीकरण इस साल 23 फरवरी को पूरा हो गया था। इस कदम से हर साल 5.204 लाख टन कार्बन फुटप्रिंट कम करने में मदद मिलती है और साथ ही 1670 करोड़ रुपये की बचत भी होती है।

विद्युतीकरण के लाभ पर्यावरण के अनुकूल परिवहन का साधन है। आयातित डीजल ईंधन पर निर्भरता कम हुई, जिससे कीमती विदेशी मुद्रा की बचत हुई और कार्बन फुटप्रिंट्स में कमी आई है। परिचालन लागत कम है। इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की उच्च ढुलाई क्षमता वाली भारी मालगाड़ियों और लंबी यात्री ट्रेनों की ढुलाई से थ्रूपुट में वृद्धि हुई है। कर्षण परिवर्तन के कारण अवरोधन को समाप्त करके अनुभागीय क्षमता में वृद्धि हुई है।

भारतीय रेलवे वर्ष, 2030 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन कैसे प्राप्त करेगा –

भारतीय रेलवे ने निम्नलिखित चरणों का अनुसरण करने के माध्यम से वर्ष, 2030 तक “शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन” प्राप्त करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है इसी दिशा में रेलवे तेजी से कार्य भी कर रही है।

रेल मार्गों का विद्युतीकरण –

भारतीय रेलवे अपने मार्गों के बड़े पैमाने पर विद्युतीकरण कर रहा है, क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल है। रेलवे ने ब्रॉड गेज मार्गों के 100% विद्युतीकरण को प्राप्त करने के लिए दिसंबर, 2023 तक शेष ब्रॉड गेज (BG) मार्गों का विद्युतीकरण करने की योजना बनाई है।

जैव-शौचालय और LED लाइट्स –

भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा को बनाए रखते हुए अपनी ट्रेनों को पर्यावरण के अनुकूल यात्रा साधन के तौर पर फिर से तैयार करने के लिए हेड-ऑन-जेनरेशन सिस्टम, बायो-टॉयलेट और LED लाइट्स लगाने की भी योजना पर काम कर रही है।

हरित परिवहन नेटवर्क –

रेलवे समर्पित फ्रेट कॉरिडोर को कम कार्बन हरित परिवहन (ग्रीन ट्रांसपोर्ट) नेटवर्क के रूप में विकसित किया जा रहा है ताकि अधिक ऊर्जा कुशल और कार्बन-अनुकूल तकनीकों, प्रक्रियाओं और क्रियाकलापों को अपना सकें।

सौर ऊर्जा संचालित स्टेशन –

भारतीय रेलवे ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अपना योगदान देने के लिए सौर ऊर्जा से संचालित स्टेशन भी बनाए हैं।

जोखिम आकलन में जलवायु परिवर्तन की विशेषताओं को करेगा शामिल –

भारतीय रेलवे ने अपने जोखिम आकलन और आपदा प्रबंधन प्रोटोकॉल में जलवायु परिवर्तन की विशेषताओं को भी शामिल किया है।

पर्यावरण स्थिरता रिपोर्ट –

यह रेलवे को जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजनाओं जैसी सरकारी प्रतिबद्धताओं का समर्थन करने में मदद करती है। कुछ इस प्रकार भारतीय रेलवे अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर तीव्र गति के साथ आगे बढ़ रही है।



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