शादी का झांसा देकर नाबालिग से दुष्‍कर्म के आरोपी को 20 साल की सजा, 19 माह में मिला न्याय


विशेष पॉक्सो कोर्ट के विशेष जज द्वारा आरोपी लोकेश (23 वर्ष) पिता रमेश निवासी नारायणपुरा को पॉक्सो एक्ट के तहत 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है।


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धार Published On :
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धार। शादी करने के लिए बहला-फुसला कर अपने साथ ले गए नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को कोर्ट ने दोषी मानते हुए 20 साल जेल की सजा सुनाई है। प्रकरण सामने आने के बाद सागौर पुलिस ने इसकी विवेचना चिन्हित अपराध में दर्ज की।

कोर्ट ने महज 19 माह में ही आरोपी को कठोर सजा सुनाई है। प्रकरण का पूरा अनुसांधन सागौर थाना प्रभारी राजेंद्र सिंह भदौरिया के निर्देशन में किया गया था।

विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट न्‍यायालय के द्वारा फैसला सुनाया गया कि आरोपी लोकेश (23 वर्ष) पिता रमेश निवासी नारायणपुरा को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 यानी पॉक्सो एक्ट के तहत 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।

पीड़िता ने पुलिस सहित अभियोजन का पूर्ण समर्थन किया था, जिसके कारण ही कोर्ट ने सजा के साथ अर्थदंड से दंडित किया है। वहीं अर्थदंड अदा नहीं करने पर 4 साल के अतिरिक्त कारावास से दंडित करने की बात कही है।

मीडिया प्रभारी अर्चना डांगी ने बताया कि 24 मई 2021 को 17 वर्षीय नाबालिग लडकी घर से कहीं चली गई थी, परिजनों की शिकायत पर सागौर पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की।

परिजनों व पुलिस ने रिश्तेदारों के यहां पर भी पीड़िता की तलाश की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। जांच के दौरान करीब दो माह बाद पीड़िता के गुजरात में होने की जानकारी सामने आने पर पुलिस मौके पर पहुंची व पीड़िता को दस्तेयाब करके थाने पर लेकर आई।

थाने पर पीड़िता ने बयान में पुलिस को बताया कि आरोपी लोकेश शादी करने का बोलकर बहला-फुसलाकर अपने साथ लेकर गया था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेजा। साथ ही अनुसांधन पूर्ण करने के बाद चार्जशीट कोर्ट में पेश किया, जहां पर मामले की सुनवाई के दौरान पीड़िता के बयान, मेडिकल रिपोर्ट सहित विवेचक के कथन हुए। इसी आधार पर कोर्ट ने सजा सुनाई है।

प्रकरण की सुनवाई में न्यायालय ने अपने निर्णय में लिखा कि पीड़िता अव्यस्क होने के साथ 18 वर्ष से कम उम्र की बालिका है जिसके साथ घिनौना कृत्य हुआ है। समाज में बच्चियों एवं महिलाओं के साथ इस प्रकार के अपराध में काफी बढ़ोतरी हो चुकी है और इस प्रकार के अपराध समाज की नैतिकता को प्रभावित करते हैं।

आरोपी के कृत्य को दृष्टिगत रखते हुए दंड के संबंध में आरोपी के प्रति उदारता बरता जाना न्योयाचित नहीं है। इसी कारण कोर्ट ने दंडित किया है। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक आरती अग्रवाल के द्वारा की गई थी।



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