NGO का दावा- इस साल ईसाइयों पर 300 से अधिक हमले हुए, यूपी और छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक मामले


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जनहित याचिका में बताए गए 10 फीसदी मामले भी सही हैं तो इस मुद्दे की गहराई में जाने की जरूरत है और उसने केंद्रीय गृह मंत्रालय से आठ राज्यों से ईसाइयों पर हुए हमलों से संबंधित रिपोर्ट मांगने के लिए कहा है।


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नई दिल्ली। एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) द्वारा एक हेल्पलाइन नंबर पर मदद के लिए आए फोन कॉल्स के आधार पर मौजूद डेटा के हवाले से दावा किया गया है कि इस साल जुलाई तक ईसाइयों पर 300 से अधिक हमले हुए हैं। इनमें मौखिक, शारीरिक और कानून प्रवर्तक एजेंसियों की मदद से हुए हमले शामिल हैं।

यूसीएफ के दावों के मुताबिक, 2022 के पहले सात महीनों में ईसाइयों के खिलाफ 302 हमले हुए। फोरम ने यह डेटा उसके पास उसकी हेल्पलाइन पर आए मदद मांगने वाले फोन कॉल के आधार पर जुटाया है।

यूसीएफ एक गैर-सरकारी संगठन है जिसकी 1-800-208-4545 हेल्पलाइन 19 जनवरी 2015 को शुरू हुई थी, ताकि संकट में फंसे लोगों, विशेष तौर पर जिन्हें कानून की जानकारी नहीं है, को मदद और कानूनी सहायता प्रदान की जा सके।

दिल्ली के इस संगठन द्वारा वेबसाइट द वायर को अपने डेटा साझा किए जाने की बात कही गई है, जिसमें इस साल जनवरी से जुलाई के बीच राज्य में हुए मामलों का दस्तावेजीकरण है।

यूसीएफ के डेटा पर गौर किया जाए तो सामने आता है कि उत्तर प्रदेश में 80 से अधिक मामले दर्ज हुए, जो किसी भी राज्य में दर्ज मामलों की सर्वाधिक संख्या है। इसके बाद छत्तीसगढ़ का नंबर आता है, जहां ऐसे 60 मामले दर्ज किए गए हैं।

बता दें कि बीते हफ्ते ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि ईसाइयों पर हमलों के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह करने वाली जनहित याचिका विभिन्न समाचार संगठनों की ‘स्वयं सेवी रिपोर्ट’ पर आधारित है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं होना चाहिए।

बेंगलुरू के आर्क बिशप पीटर मचाडो, नेशनल सॉलिडेरिटी फोरम और इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया की ओर से दायर एक याचिका पर वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, जिसमें ईसाइयों के खिलाफ अत्याचारों की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है।

याचिका में याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि जनवरी से दिसंबर 2021 के बीच ईसाई समुदाय के खिलाफ 505 से अधिक हमले हुए और 2022 में इस संख्या में वृद्धि हुई है।

मामले पर सुनवाई के दौरान बीते एक सितंबर को याचिकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस के मुताबिक, पिछले एक साल में ईसाई समुदाय के लोगों के खिलाफ हुई हिंसा की 700 से अधिक घटनाएं दर्ज हुई हैं।

याचिका में दावा किया गया कि अकेले इसी साल मई में 57 से अधिक मामले मामले सामने आए थे। केंद्र सरकार ने इसके विरोध में तर्क पेश किया था कि ये मामले समाचार संगठनों की ‘स्वयं सेवी रिपोर्ट’ पर आधारित हैं और याचिका में उल्लिखित 162 केस जमीनी स्तर पर की गई पुष्टि में फर्जी पाए गए।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जनहित याचिका में बताए गए 10 फीसदी मामले भी सही हैं तो इस मुद्दे की गहराई में जाने की जरूरत है और उसने केंद्रीय गृह मंत्रालय से आठ राज्यों से ईसाइयों पर हुए हमलों से संबंधित रिपोर्ट मांगने के लिए कहा है।

बीते वर्ष भी एक फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट के हवाले से बताया था कि 2021 के शुरुआती 9 महीनों में ईसाइयों के साथ हिंसा के 300 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे।

इनपुट – द वायर



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