मसीह अस्पताल जमीन बिक्री मामले में पुलिस ने कोर्ट में पेश किया 400 पेज का चालान


– नामांतरण के आधार वाली फाइलें गायब, नपा के कर्मचारी भी बन सकते हैं आरोपी।
– पूर्व एसडीएम गुप्ता पर इनाम घोषित करेगी पुलिस।
– मामले में 4 लोग आरोपी, भूमिगत 3 आरोपियों में 2 पर पूर्व में इनाम घोषित व 1 जेल में बंद।


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धार Published On :
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धार। करीब 40 करोड़ (अनुमानित वर्तमान कीमत) के शासकीय भवन भूमि को षड्यंत्र करके विक्रय करने के मामले में दर्ज प्रकरण में पुलिस ने बुधवार को कोर्ट में करीब 400 पेज का चालान पेश कर दिया है।

इसमें 30 तरह के साक्ष्य गवाह भी बनाए गए हैं। चालान पेश करने के साथ पुलिस अब इस मामले के बाद से भूमिगत हो चुके 3 आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए तलाश तेज करने वाली है।

साथ ही पुलिस इस मामले में एक आरोपी पूर्व नजूल अधिकारी व एसडीएम रहे चंद्रशेखर गुप्ता पर भी इनाम घोषित करने वाली है। दरअसल गुप्ता को तलाश करने के लिए पुलिस ने कई स्थानों पर तलाशी की है, लेकिन वे भूमिगत हो गए हैं।

उल्लेखनीय है कि इस मामले में चार लोगों को आरोपी बनाया गया है जिसमें मास्टरमाइंड सुधीर उर्फ बनी दास पिता रत्नाकर दास जेल में बंद है। वहीं सुधीर शांतिलाल और अंकित वडेरा पर पूर्व में इनाम घोषित किया जा चुका है।

इस मामले में नौगांव पुलिस ने मियादी समय में चालान पेश करने के साथ विस्तृत रिपोर्ट जमा की है।

बढ़ सकती है आरोपियों की संख्या, नहीं मिलीं फाइलें –

इस बात में कोई शक नहीं कि सुधीर दास ने षड्यंत्र के तहत करोड़ों रुपये की शासन खाते की भूमि को गिरोह बनाकर विक्रय किया है। 250 करोड़ के भूमि घोटाले में दास को जमानत मिली थी लेकिन अब करीब 40 करोड़ की जमीन घोटाले में जेल में बंद है।

इन लोगों ने बेहद शातिर तरीके से मसीह अस्पताल की भूमि को बेचा है। दरअसल सन् 2000 और उसके आगे के कुछ वर्षों तक भूमि मसीह अस्पताल के नाम से शासन रिकॉर्ड में दर्ज थी।

इसके बाद इसमें व्यवस्थापक के तौर पर ईला पीटरदास का नाम जोड़ा गया। इसके कुछ वर्षों बाद सुधीर दास का नाम चढ़ाया गया। सुधीर दास के बाद रामस्वरूप के नाम नामांतरण कर दिया गया। रामस्वरूप शर्मा का वर्तमान में निधन हो गया है और ये पूर्व में इसाई मिशनरी के सचिव भी रह चुके हैं।

सबसे मुख्य बात यह है कि तमाम नामांतरण को लेकर पुलिस द्वारा जानकारियां मांगी गई थी जिसमें जानकारियां तो मिल गई हैं, लेकिन नामांतरण के आधार संबंधी फाइलें फिलहाल नहीं मिल रही हैं।

पुलिस इस मामले में अब नगरपालिका के तत्कालीन समय के कर्मचारियों को जांच के दायरे में लाकर भूमिका निकलने पर आरोपी भी बना सकती है।

रिकॉर्ड अनदेखा करके मालिक बनाया था –

एसडीएम सीके गुप्ता के पास पदस्थी के दौरान नजूल अधिकारी का प्रभार भी था। उन्होंने ही मसीह अस्पताल का स्वामित्व दास के पक्ष में आदेशित किया था। उन्हें स्वामित्व देने का अधिकार नहीं था।

नजूल रिकॉर्ड में भूमि निजी नाम से दर्ज ना होने के बावजूद उन्होंने इस तरह के आदेश जारी किए थे। पद का दुरुपयोग करके भूमि का मालिकाना हक बदलने पर उन्हें आरोपी बनाया गया है।

250 करोड़ (वर्तमान अनुमानित कीमत) की सेंट टेरेसा जमीन घोटाले में भी सीके गुप्ता गिरफ्तार होकर जमानत पर रिहा हुए थे। गुप्ता का कार्यकाल धार में विवादास्पद ही रहा है।

विधानसभा चुनाव 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी को एक वोट से पराजित बताने में भूमिका निभा चुके हैं। इस मामले में भी कोर्ट ने बाद में कांग्रेस प्रत्याशी को ही विजेता घोषित किया था जिसके बाद उन्होंने विधायकी की शपथ ली थी।

नजरअंदाज किया कानून को –

पुलिस से इस मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार भूमि घोटाले को अंजाम देने के लिए इससे जुड़े पक्षों ने इस तरह से काम किया कि उन्हें यह अनुमान ही नहीं था कि कभी पकड़े जाएंगे।

दरअसल 2008 में सुधीर दास ने इंदौर निवासी अंकित को भूमि की 29 साल की लीज की। इसके बाद 11 लाख रुपये में रजिस्ट्रर्ड विक्रय अनुबंध भी कर दिया। यह वह समय था जब नगरपालिका में नामांतरण में रामस्वरूप शर्मा का नाम संपत्ति पर दर्ज हो गया था।

इसके बावजूद इनमें से किसी ने आपत्ति नहीं ली। सीधे तौर पर सुधीर शांतिलाल की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

इसके बावजूद भवन के किरायेदार संजय शुक्ला को विद्युत कनेक्शन के लिए बतौर व्यवस्थापक स्वयं को दर्शाकर एनओसी दी थी। इससे जुड़े सौदों में भी वकील के तौर पर विवेक तिवारी की भूमिका रही है।



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