इंदौरः युवा अधिकारी ने बदली अस्पताल की सूरत, अब व्यवस्थाएं बचा रहीं कई बच्चों की जान


महू के मध्यभारत अस्पताल में पिछले कुछ महीनों में काफी सुधार हुए हैं। यहां पदस्थ युवा आईएएस अधिकारी अभिलाष मिश्रा ने अस्पताल की बेहतरी के लिए लगातार प्रयास किए हैं। जिसके बाद यहां बहुत सी नई सुविधाएं शुरु हो सकीं और यह अस्पताल सामान्य रोगी को भी इंदौर के बड़े अस्पतालों में रिफर कर देने वाली अपनी छवि को काफी हद तक बदल भी रहा है।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
रुख़साना अपने बच्चे के साथ


इंदौर। रुख़सार और मोहसिन का छह दिन के बच्चा अब उस स्थिति से बाहर निकल आया है जो शायद उसकी जिंदगी को बेहद कठिन बना सकता था।

उनके बच्चे को सामान्य से कई गुना ज्यादा पीलिया हो चुका था और इस अवस्था से यदि वह किसी तरह बच भी जाता तो शायद उम्र भर के लिए  मिर्गी और मंदबुद्धी जैसी परेशानियों से जूझता रहता।

यह युवा दंपत्ति जब अपने बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचा तो बच्चे को 23.14 प्रतिशत पीलिया था जबकि सामान्य तौर पर किसी नवजात बच्चे में 0.3 प्रतिशत पीलिया होता है। ऐसे में यह स्थिति काफ़ी गंभीर थी।

बच्चे को देखने वाले युवा डॉक्टर रामाशीष शुक्ला ने तुरंत बच्चे का इलाज शुरु किया। इस दौरान सबसे ज्यादा मदद मिली फोटो थैरपी मशीन से, जो कुछ दिनों पहले ही यहां लगवाई गई थी।

इसके बाद बच्चे की हालत धीरे-धीरे सुधरने लगी और अगले तीन दिनों में पीलिया कम होता रहा और कुछ दिनों में बच्चा सामान्य हो गया।

महू के मध्यभारत अस्पताल को पिछले कुछ महीनों में काफी सुधार हुए हैं। यहां पदस्थ युवा आईएएस अधिकारी अभिलाष मिश्रा ने अस्पताल की बेहतरी के लिए लगातार प्रयास किए हैं।

जिसके बाद यहां बहुत सी नई सुविधाएं शुरु हो सकी और यह अस्पताल सामान्य रोगी को भी इंदौर के बड़े अस्पतालों में रिफर कर देने वाली  अपनी छवि को काफी हद तक बदल भी रहा है।

फोटो थैरपी की सुविधा शुरु करने का श्रेय भी मिश्रा को ही जाता है।  हालांकि अभी भी अस्पताल से कई बार सामान्य रोगियों को बड़े अस्पताल में रिफर करने जैसी ख़बरें आती हैं लेकिन सुधारों को लेकर अधिकारी के द्वारा की जा रही  पहल के बाद  ऐसी शिकायतों की दर में कमी जरूर आई है।

 

आईएएस अधिकारी अभिलाष मिश्रा
इसके बाद यहां बच्चे  की हालत में सुधार हुआ। शुक्ला बताते हैं कि अगर यह सुविधा नहीं होती तो बच्चे के शरीर से पूरा ख़ून बदलना पड़ता ऐसी स्थिति में उसका जीवन बचता भी तो बेहद कठिन हो सकता था क्योंकि तब मिर्गी और मंदबुद्धि जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। जिसे पूरा परिवार झेलता है।
डॉ. अभिलाष मिश्रा

बच्चे का इलाज करने वाले डॉक्टर रामाशीष शुक्ला ने  इस बच्चे की मदद के लिए काफी प्रयास किए। उनके मुताबिक शुरुआत में बच्चे की हालत देखकर उन्हें कुछ चिंता जरूर हुई थी क्योंकि पीलिया का स्तर सामान्य से काफी ज्यादा था लेकिन वे उसे किसी भी तरह बचाना चाहते थे अब वे ख़ुश हैं कि वे डॉक्टरी के अपने पेशे को सार्थक बन सके हैं।

इस बारे में डॉ. शुक्ला ने बताया कि अगर यह सुविधा नहीं होती तो उसे प्राईवेट अस्पताल ले जाना पड़ता। जहां इलाज के लिए कम से कम पचास हजार रूपये तक का खर्च आता।

महू के मध्यभारत अस्पताल में यह सुविधा वर्षों तक नहीं थी ऐसे में बहुत से लोगों को अपने बच्चों का इलाज प्राईवेट अस्पतालों में करवाना पड़ता था। जो काफ़ी परेशानी भरा होता था।



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