हरियाणा चुनाव 2024: बीजेपी की ऐतिहासिक जीत में सात मंत्री हारे, कई करीबी मुकाबले


हरियाणा चुनाव 2024 में बीजेपी ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की, लेकिन पार्टी के 10 में से 7 मंत्री हार गए। करीबी मुकाबलों ने राजनीति का रुख बदला, जबकि महिपाल धांडा ने 50,212 वोटों से सबसे बड़ी जीत दर्ज की। कांग्रेस की हार में गैर-जाट मतदाताओं का बीजेपी की ओर झुकाव अहम रहा।


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राजनीति Published On :

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने एंटी-इंकम्बेंसी को मात देते हुए लगातार तीसरी बार सत्ता पर कब्जा किया। हालांकि, इस जीत के बावजूद पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। कुल 10 मंत्रियों में से सात चुनाव हार गए, जिनमें से कुछ को बहुत कम अंतर से और अन्य को बड़े अंतर से हार झेलनी पड़ी।

 

हार का सामना करने वाले प्रमुख मंत्री

1. वित्त मंत्री जयप्रकाश दलाल: जयप्रकाश दलाल, जिन्हें हमेशा ‘फाइनेंस मिनिस्टर जिंक्स’ का सामना करना पड़ता है, कांग्रेस के राजबीर फर्तिया से मात्र 792 वोटों के अंतर से हार गए।

2. पर्यावरण मंत्री संजय सिंह: नूह विधानसभा क्षेत्र से संजय सिंह को कांग्रेस के आफताब अहमद ने 46,963 वोटों के बड़े अंतर से हराया। वे तीसरे स्थान पर रहे, जबकि इंडियन नेशनल लोक दल के ताहिर हुसैन दूसरे स्थान पर थे।

3. सिंचाई और जल संसाधन मंत्री अभे सिंह यादव: अभे सिंह यादव को कांग्रेस की मंजू चौधरी से 6,930 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।

4. कृषि मंत्री कंवर पाल: कंवर पाल को कांग्रेस के अकरम खान ने 6,868 वोटों के अंतर से पराजित किया।

5. परिवहन मंत्री असीम गोयल: अंबाला शहर में कांग्रेस के निर्मल सिंह मोहरा ने असीम गोयल को 11,000 से अधिक वोटों से हराया।

6. शहरी निकाय मंत्री सुभाष सुधा: थानेसर सीट पर कांग्रेस के अशोक अरोड़ा ने सुभाष सुधा को 3,243 वोटों के अंतर से पराजित किया।

 

बड़ी जीत दर्ज करने वाले

विकास और पंचायत मंत्री महिपाल धांडा ने कांग्रेस के सचिन कुंडू को 50,212 वोटों के बड़े अंतर से हराकर सबसे बड़ी जीत दर्ज की। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उद्योग मंत्री मूलचंद शर्मा ने भी आरामदायक जीत हासिल की।

 

कांग्रेस की हार के कारण

कांग्रेस ने जाट समुदाय और किसान आंदोलन पर फोकस किया, लेकिन यह रणनीति सफल नहीं हो पाई। गैर-जाट मतदाताओं का व्यापक समर्थन बीजेपी को मिला, खासकर जब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को ओबीसी समुदाय से चुना गया। इसके अलावा, छोटे दलों और बागी उम्मीदवारों ने भी कांग्रेस के वोट बैंक को विभाजित किया, जिससे बीजेपी को लाभ हुआ।

 

करीबी मुकाबलों का महत्व

इस चुनाव में कई सीटों पर बेहद करीबी मुकाबले देखने को मिले, जो दर्शाता है कि कई क्षेत्रों में जनमत विभाजित था। इन हार और जीत ने हरियाणा की राजनीति को एक नया मोड़ दिया है, जिससे आने वाले दिनों में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।

 

 



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