उज्जैन। उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति (महाकाल ट्रस्ट) ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के महाकालेश्वर दर्शन करने के मौके पर दान में मिले 61 लाख रुपयों को उनके आवभगत में खर्च कर दिया।
बीते 29 मई को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भगवान महाकालेश्वर के दर्शन करने गए थे, जहां महाकाल ट्रस्ट द्वारा उनकी आवभगत में श्रद्धालुओं से दान में मिले 61 लाख रुपए खर्च कर दिए गए, जिसमें 10 लाख रुपये सिर्फ रेड कारपेट बिछाने व ढ़ाई लाख रुपये फूलों की सजावट पर खर्च किए गए।
कांग्रेस विधायक महेश परमार ने मंगलवार को विधानसभा में जब ट्रस्ट द्वारा बीते पांच साल में किए गए खर्च की जानकारी मांगी, तो जवाब में खर्च का पूरा हिसाब पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने दिया।
इस जवाब में ही पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के स्वागत पर खर्च हुई राशि की जानकारी मिली। परमार का कहना था कि ट्रस्ट को दान में श्रद्धालुओं से राशि मिलती है, इसलिए इसका उपयोग सिर्फ भक्तों की सुविधाओं पर होना चाहिए जबकि वीआईपी आगमन पर खर्च का जिम्मा जिला प्रशासन या नगर निगम का होता है, लेकिन समिति ने भक्तों से मिले दान की राशि खर्च कर डाली।
संस्कृति मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक,
- पूर्व राष्ट्रपति के आगमन के लिए साज-सज्जा पर नंदी हॉल से निर्गम द्वार तक चटाई, सीलिंग, बेंबू बॉल वर्क, एल्यूमीनियम शीट एवं इलेक्ट्रिक वर्क पर 40 लाख रुपये खर्च किए गए।
- नंदी हॉल स्थित पीतल के पिलर, दान पेटियों की पालिश और बेरिकेड्स लगाए जाने पर 5 लाख रुपये खर्च हुए।
- एल्यूमीनियम फ्रेम ग्लास वर्क मय फिल्म कार्य के लिए 10 लाख रुपये लगे। शंखद्वार से लेकर गर्भ गृह तक मंदिर की गरिमा के अनुरूप 2.50 लाख रुपये के फूल लगाए गए।
- कवर जूट मेट 2100 स्क्वायर मीटर 6 लाख 50 हजार रुपये में खरीदा।
- प्रधानमंत्री राहत कोष में 2.50 लाख रुपये, मुख्यमंत्री राहत कोष में 2.50 लाख रुपये और रेडक्रॉस सोसाइटी जिला उज्जैन को 10 लाख रुपये दिए।
इसके अलावा पानी की टंकी से त्रिवेणी संग्रहालय तक मार्ग चौड़ीकरण हेतु भूमि अधिग्रहण के लिए मंदिर कोष से 1 करोड़ 3 लाख रुपयेए दिए गए।
दूसरी ओर स्मार्ट सिटी के दायरे में 22 दुकानें आ रही थीं, जिन्हें हटाने के लिए मुआवजे के रूप में 10 करोड़ रुपये के करीब राशि दी गई।
इसके अलावा कांग्रेस विधायक परमार ने सदन में पूछा कि महाकाल दर्शन के बाद भक्तों को जिस डिब्बे में प्रसाद दिया जाता है, उसमें महाकाल मंदिर का ध्वज और शिखर अंकित है। शास्त्रों में इस शिखर और ध्वज दर्शन को महाकाल के दर्शन के बराबर बताया गया है। भक्त प्रसाद ग्रहण करने के बाद डिब्बे को फेंक देते हैं जो पैरों में आता है इसलिए प्रसाद के डिब्बे से शिखर और ध्वज का चित्र हटाया जाए। इसके जवाब में पर्यटन मंत्री उषा ने कहा कि यह भगवान महाकाल का फोटो नहीं है।