निमाड़ क्षेत्र की मिर्च की देशभर में मांग, अब इसके पौधे भी ले रहे दूसरे किसान


एक जिला एक उत्पाद की योजना ने कारोबार को दिया है विस्तार।


amit bhatore अमित भटोरे
खरगोन Updated On :

खरगोन। बड़वाह में सिरलाय के युवा किसान और नर्सरी संचालक जितेंद्र पटेल इन दिनों काफी व्यस्त हैं। उनके पास मिर्ची के बीज के कई आर्डर हैं और जिन्हें जल्दी से जल्दी तैयार करना है। उनकी नर्सरी के बीजों की मांग कई राज्यों में है।

सब्जी की खेती करने वाले युवा किसान जितेंद्र किसी नर्सरी से  सब्जियों की महंगी पौध लेकर आये तो उन्हें गुणवत्तापूर्ण और जरूरत में मुताबिक पौध नहीं मिली। किसानों को यह नुकसान अक्सर होता है। ऐसे में किसानों को इस धोखाधड़ी से बचाने के लिए जितेंद्र ने एक नर्सरी विकसित करने पर काम शुरू कर दिया।

वर्ष 2011 में 1 हजार वर्ग मीटर के क्षेत्र में नर्सरी बनाकर शुरुआत हुई। आज उनकी नर्सरी 13.50 एकड़ में फैल चुकी है। हालांकि नर्सरी में सब्जी, सजावटी और फलों के भी पौधे तैयार होते है। उनका व्यापार राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे कई दूसरे राज्यों में फैला हुआ है।

लेकिन पिछले कुछ समय से मिर्च की पौध की मांग बढ़ने लगी। ऐसे में जितेंद्र भी मिर्च पर ज्यादा ध्यान देने लगे।

जितेंद्र बताते है कि पिछले वर्ष उन्होंने 25 मिर्च की किस्मों के 50 किलो बीज की पौध तैयार की थी। इस बार उन्होंने 75 किलो मिर्च के बीज की पौध की तैयारी की है।

उन्होंने बीते करीब 4 वर्षों में 4 से 5 करोड़ रु की मिर्च की पौध तैयार कर बेची है। उनका कहना है कि एक जिला एक उत्पादन में चिन्हित होने से मिर्च पौध ने व्यापार में वृद्धि हुई है।

हाइटेक नर्सरी बनाने की कोशिश में मिला शासन का सहयोग

जितेंद्र अपनी पूरी लगन के साथ नर्सरी के काम मे बढ़ने लगे तो इसे हाइटेक बनाने की इच्छा जागी। ऐसी स्थिति में शासन से उन्हें सहयोग भी मिला।

उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक ने बताया कि जितेंद्र को सबसे पहले 2013-14 में उद्यानिकी विभाग की बागवानी मिशन में 4000 वर्ग मीटर में 14 लाख 20 हजार के अनुदान पर शेडनेट हॉउस प्रदान किया।

इसके बाद वर्ष 2019-20 में राज्य योजना में उनकी पत्नी और उनके भाई के नाम पर अलग-अलग प्रकरण में कुल 7500 वर्ग मीटर में पॉली हॉउस और शेडनेट हॉउस के लिए 28 लाख 37 हजार 920 रुपये का अनुदान मिला।

इसके बाद जितेंद्र ने अपनी नर्सरी को हाइटेक बनाने की दिशा में एक से एक सफल प्रयोग कर एक जिला एक उत्पाद की फसल को बढ़ावा देने में योगदान दे रहे हैं।

प्रदेश में ऋण स्वीकृति सबसे आगे खरगोन में, 10 नए खाद्य प्रसंस्करण के उद्योग भी हुए प्रारंभ

मप्र शासन द्वारा वर्ष 2021 में जिले में मिर्च के उत्पादन और जलवायु को देखते हुए मिर्च की फसल को एक जिला एक उत्पाद फसल के रूप में चुना।

इसके बाद कई योजनाओं से किसानों और युवाओं को इस दिशा में रोजगार और मिर्च का व्यवसाय से जोड़ने के लिए शासन की योजनाओं से उद्योग और इससे जुड़े व्यवसाय की शुरुआत हुई।

खरगोन पूरे प्रदेश में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) में प्रकरण स्वीकृत कर कराने के मामले में प्रदेश में सबसे आगे है। यहां अब तक 92 प्रकरणों को स्वीकृति मिली है और 40 को ऋण दिया गया है। साथ ही सबसे अधिक 481 कुल आवेदन प्राप्त कर 468 प्रस्तुत किये गए। खरगोन में मिर्च के पावडर या पेस्ट बनाने के 10 नए खाद्य प्रसंस्करण के उद्योग प्रारंभ हुए हैं।

मिर्च का चुनाव होने के बाद बढ़ा लाल और हरी मिर्च का रकबा

उद्यानिकी उपसंचालक केके गिरवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि एक जिला एक उत्पाद में मिर्च फसल का चुनाव होने के बाद किसानों में मिर्च की खेती के प्रति रुझाव बढ़ा है। वर्ष 2017-18 और 2018-19 में हरी मिर्च का रकबा 525 हेक्टेयर, 2019-20 में 616 हेक्टेयर, 2020-21 में 1012, 2021-22 में 1096 हेक्टयर रकबे में हरी मिर्च लगाई गई।

जबकि लाल मिर्च के रकबे की बात करे तो 2017-18 में 32150 हेक्टेयर रकबे के बाद वर्ष 2018-19 में रकबा कम होकर 25369 हेक्टेयर रह गया। इसके बाद अगले वर्ष 2019-20 में और कम होकर 23280 हेक्टेयर रकबा रहा। जबकि एक जिला एक उत्पाद में मिर्च को चिन्हित करने के बाद अगले वर्ष 2020-21 में रकबा बढ़कर दो गुने से ज्यादा 49052 हेक्टेयर हुआ इसके अगले वर्ष रकबा और बढ़कर 51350 हेक्टेयर हो गया।



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