संसद ठप: कांग्रेस की रणनीति पर उठे सवाल, अडानी को लेकर विपक्ष में दिख रही दरार


कांग्रेस के भीतर असंतोष इस बात को लेकर भी है कि पार्टी की संसदीय रणनीति राज्‍यसभा के नेताओं द्वारा तय की जा रही है।


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बड़ी बात Updated On :

शीतकालीन सत्र में संसद में अडानी के मुद्दे पर विपक्ष और सरकार के बीच गतिरोध के कारण पहले ही सप्ताह ठप हो गया। कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष के विरोध प्रदर्शन जारी हैं, लेकिन इस रणनीति को लेकर खुद विपक्षी खेमे में मतभेद उभरने लगे हैं। विपक्ष के कई सांसद अब इस बात पर नाराज़ दिखाई दे रहे हैं कि बार-बार की संसद के कामकाज में रुकावट के चलते  सरकार को घेरने का मौका गंवाया जा रहा है, और इससे जनता के बीच विपक्ष की छवि भी कमजोर हो रही है।अडानी मामले को उठाना कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के लिए प्राथमिकता है, लेकिन कांग्रेस के लोकसभा सांसदों का एक वर्ग इसे लेकर असहज महसूस कर रहा है। उनका मानना है कि संसद की सामान्य कार्यवाही जारी रखने से वे सरकार से सवाल पूछने और अपने निर्वाचन क्षेत्रों के मुद्दे उठाने का अवसर नहीं खोएंगे।

एक कांग्रेस सांसद ने कहा, “हमारे मतदाता हमसे सवाल पूछ रहे हैं कि हम संसद में उनके मुद्दे क्यों नहीं उठा रहे। अगर हम शून्यकाल और प्रश्नकाल का उपयोग नहीं करेंगे, तो उनका भरोसा कैसे जीतेंगे? राज्‍यसभा सांसदों पर मतदाताओं का दबाव नहीं होता, लेकिन हमें तो जवाब देना होता है।”

संसद में अडानी के मुद्दे पर बंटे…

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और एनसीपी जैसे दल अडानी मुद्दे पर कांग्रेस के साथ नहीं हैं। टीएमसी ने महंगाई, बेरोजगारी, मणिपुर हिंसा, और पश्चिम बंगाल के फंड में कटौती जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी है। टीएमसी के एक सांसद ने कहा, “हम संसद को बाधित नहीं करना चाहते। सरकार को कई मुद्दों पर जवाबदेह ठहराना जरूरी है। केवल एक मुद्दे पर अड़ना उचित नहीं है।”

विरोध की प्रभावशीलता पर सवाल

कई विपक्षी सांसदों ने स्वीकार किया कि लगातार बाधाओं से जनता पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ रहा है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ सांसद ने कहा, “संसद ऐसा मंच है जहां हमारे विचार इतिहास के लिए दर्ज होते हैं। इसे ठप करके हम अपने मतदाताओं के साथ अन्याय कर रहे हैं। ये विरोध न तो जनता के बीच गूंजते हैं और न ही सरकार पर कोई प्रभाव डालते हैं।”

कुछ सांसदों ने यह भी कहा कि विपक्ष ने अनजाने में सरकार को “फ्री पास” दे दिया है। “हमारी ओर से सवाल पूछने वाले और मुद्दों पर सरकार को घेरने वाले वक्ताओं की कमी नहीं है। हमें शून्यकाल और अन्य मंचों का बेहतर इस्तेमाल करना चाहिए।”

कांग्रेस की अंदरूनी चुनौती

कांग्रेस के भीतर असंतोष इस बात को लेकर भी है कि पार्टी की संसदीय रणनीति राज्‍यसभा के नेताओं द्वारा तय की जा रही है। लोकसभा के कई सांसदों का मानना है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही। एक सांसद ने कहा, “हमें पूरे सत्र में एक-दो बार ही प्रश्नकाल में बोलने का मौका मिलता है। अगर वह मौका भी विरोध के कारण गंवा दें, तो हमारे पास क्या बचेगा?” प्रियंका गांधी वाड्रा के संसद में प्रवेश ने कांग्रेस सांसदों में कुछ नई उम्मीदें जगाई हैं। एक सांसद ने कहा, “प्रियंका की शैली अधिक व्यावहारिक है। वह पार्टी की रणनीति को ज्यादा असरदार और जमीन से जुड़ा बना सकती हैं।” सोमवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में इंडिया गठबंधन की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में संसदीय रणनीति पर चर्चा की जाएगी। यह देखने वाली बात होगी कि क्या कांग्रेस और विपक्ष अपने भीतर के मतभेद दूर कर पाते हैं।



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