ज़हरीली और अवैध शराब के कारोबार से निपटने के लिये शराब दुकानें बढ़ाएगी सरकार!


मध्यप्रदेश में प्रतिलाख की आबादी पर केवल चार शराब दुकानें हैं। वहीं राजस्थान में एक लाख की आबादी पर 17 दुकानें, महाराष्ट्र में 21 तथा उत्तर प्रदेश में 12 दुकानें हैं।


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भोपाल Updated On :
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भोपाल। प्रदेश सरकार जहरीली शराब से परेशान है। पिछले दिनों मुरैना में ज़हरीली शराब से हुई पच्चीस लोगों की मौत के बाद राज्य सरकार की ख़ासी फज़ीहत हो रही है। ऐसे में अब सरकार इस समस्या से निपटने का नया फॉर्मूला खोज रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मंगलवार को इस पर चर्चा की।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंगलवार को मुरैना के कलेक्टर-कमिश्नर और आईजी-एसपी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बातचीत की और शराब माफ़िया पर कड़ी कार्रवाई करने के लिये कहा है। मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि अबकी बार ऐसा हुआ तो उसकी जिम्मेदारी कमिश्नर, आईजी, कलेक्टर, एसपी के साथ आबकारी अधिकारी की होगी।

बताया जाता है कि सरकार अब प्रदेश में शराब की दुकानें बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इस बारे में आबकारी अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया।

इस दौरान बताया गया कि मध्यप्रदेश में प्रतिलाख की आबादी पर केवल चार शराब दुकानें हैं। वहीं राजस्थान में एक लाख की आबादी पर 17 दुकानें, महाराष्ट्र में 21 तथा उत्तर प्रदेश में 12 दुकानें हैं। इस तर्क का सीधा सा मतलब है कि यदि मध्यप्रदेश में शराब दुकानों की संख्या बढ़ा दी जाए तो अनधिकृत तरीके से शराब बनाना और बेचना मुश्किल होगा क्योंकि लोग शराब दुकानों से ही शराब खरीदेंगे।

ज़ाहिर है मध्यप्रदेश में अवैध या ज़हरीली शराब को कम करने के लिये अगर सरकारी शराब दुकानें बढ़ाई जाती हैं तो इसका लाभ राजस्व के रुप में भी होगी। शराब पर लगने वाले एक्साईज़ टैक्स पर केवल राज्य सरकार का अधिकार होता है और उन्हें केंद्र को कोई हिस्सा नहीं देना होता।

यही वजह है कि कोई भी राज्य सरकार इसे बढ़ाना चाहती है। देश में राज्यों के लिए एक्साईज़ से आने वाला राजस्व कमाई का तीसरा सबसे बड़ा साधन है। सभी राज्यों के लिए पेट्रोलियम उत्पादों से होने वाली बिक्री ही राजस्व का पहला सबसे बड़ा साधन होती है।

मध्यप्रदेश में अक्सर शराब को लेकर सरकार पर राजनीतिक हमले होते रहते हैं लेकिन सच तो यह है कि दूसरे राज्य इस मामले में मध्यप्रदेश से कहीं आगे हैं।

मध्य प्रदेश में शराब की दुकानों की नीलामी से वित्त वर्ष 2019-20 में 8521 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। जबकि बीते वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश ने करीब पच्चीस हज़ार करोड़, कर्नाटका ने करीब साढ़े उन्नीस हज़ार करोड़,  महाराष्ट्र ने करीब 15 हजार करोड़, पश्चिम बंगाल ने साढ़े दस हजार करोड़ और तेलंगाना ने करीब सवा दस हज़ार करोड़ का राजस्व शराब दुकानों से कमाया था।



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