
धार जिले में रंग पंचमी का त्योहार पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाया गया। शहर की गलियों, चौकों और मुख्य मार्गों पर हजारों की संख्या में लोग रंगों की मस्ती में झूमते नजर आए। ढोल-ताशों की गूंज, डीजे की धुन और अबीर-गुलाल की बौछारों के बीच युवा टोली मस्त मलंग होकर झूमी। शहर में कई स्थानों से विशाल फाग यात्राएं निकलीं, जिनमें हर वर्ग के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
फाग यात्रा में रंगों की बौछार, गुलाल से रंगे हुरियारे
रंग पंचमी के अवसर पर धार में कई फाग यात्राएं निकलीं, जिनमें सतरंगी गैरों की धूम रही। युवा टोली गाजे-बाजे के साथ झूमती हुई निकली, तो वहीं शहर के विभिन्न इलाकों से गुजरने वाली इन यात्राओं पर घरों की छतों से रंगों की वर्षा की गई। जैसे ही फाग यात्राएं चौक-चौराहों से गुजरीं, वहां के लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
राधा-कृष्ण फाग यात्रा मोती चौक से प्रारंभ होकर शहर के मुख्य मार्गों से गुजरते हुए अपने गंतव्य पर पहुंची। इस दौरान पूरे रास्ते रंगों की धूम मची रही। इसी तरह भोज उत्सव समिति, पंछी ग्रुप, दशहरा मैदान, सरस्वती स्कूल, व्यंकटेश महादेव मित्र मंडल, टाइगर ग्रुप, गुजराती रामी माली समाज सहित कई संगठनों द्वारा भव्य फाग यात्राएं निकाली गईं, जिनमें हजारों लोग शामिल हुए।
शहरभर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
रंग पंचमी के पर्व को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। ड्रोन कैमरों से यात्रा मार्गों पर निगरानी रखी गई, वहीं शहर के संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल की अतिरिक्त तैनाती की गई थी। सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए चार डीएसपी, एक सीएसपी, आठ टीआई सहित कुल 350 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। इसके अलावा 20 महत्वपूर्ण स्थानों पर पुलिस बल मुस्तैद रहा। धार एसडीएम रोशनी पाटीदार और सीएसपी रविंद्र वास्कले के नेतृत्व में पुलिस प्रशासन पूरी तरह सक्रिय रहा।
फुहारों से भीगा शहर, युवाओं ने खेली कपड़ा फाड़ होली
शहर के विभिन्न स्थानों पर पानी के टैंकर खड़े किए गए थे, जिनसे गुजरने वालों पर पानी की बौछारें डाली गईं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने रंग-पानी की इस मस्ती में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
युवाओं के बीच कपड़ा फाड़ होली का भी खासा उत्साह देखा गया। टोली बनाकर युवाओं ने एक-दूसरे के कपड़े फाड़े और उन्हें रंगों से सराबोर कर दिया। शहर के कई इलाकों में बिजली के तारों पर फटे हुए कपड़े लटकते नजर आए, जो इस अनोखी होली के साक्षी बने।
महिलाओं ने भी खेली जमकर होली
रंग पंचमी के इस उल्लास में महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। विभिन्न कॉलोनियों और बाजारों में महिलाओं ने समूह बनाकर होली खेली। रंग-गुलाल उड़ाकर और पानी की बौछारें डालकर उन्होंने इस पर्व का आनंद लिया। कई स्थानों पर महिलाओं ने एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर त्योहार की बधाई भी दी।
गांवों में भी रंग पंचमी की मस्ती
शहर की तरह ग्रामीण इलाकों में भी रंग पंचमी का जश्न पूरे जोश के साथ मनाया गया। धार के आसपास के गांवों में लोग सुबह से ही रंगों में सराबोर हो गए। युवाओं ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ नाच-गाने का आयोजन किया और गांवभर में घूमकर होली खेली। देर शाम तक ग्रामीण क्षेत्रों में भी रंग पंचमी का खुमार चढ़ा रहा।
रंग पंचमी से जुड़ी पौराणिक मान्यता
हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, रंग पंचमी का त्योहार होलाष्टक की समाप्ति के बाद आता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, होलाष्टक के दौरान भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। बाद में देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित करने का आशीर्वाद दिया। इस खुशी में देवताओं ने रंगों की वर्षा कर उत्सव मनाया, तभी से पंचमी तिथि को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाने लगा।