पुलिस को मिली नेसिस संजीवनी : 70 हजार अपराधियों के डेटा ने एक साल में खोली 25 अंतरराज्यीय चोरियों के राज़


पुलिस कंट्रोल रूम धार पर एक साल से लगा हुआ है नेसिस सिस्‍टम, अब पुलिस थानों तक पहुंचेंगे स्‍कैनर


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

अपराधियों के लिए एक बुरी खबर है, हाईटेक होती पुलिसिंग में एक और नई तकनीक जुड़ने जा रही है। हालांकि यह तकनीक धार पुलिस के साथ एक साल पहले ही जुड़ गई थी, लेकिन इसे अब एक लेवल बढ़ाकर अपडेट किया जा रहा है। इस कारण अब यह धार कंट्रोल रूम से उठकर हर थाने और पुलिस अधिकारी तक पहुंच जाएगी। इसका फायदा अपराधों में शामिल अपराधियों की धरपकड़ में होगा। जिससे पुलिस मौके पर ही अपराधी की पहचान करने में सक्षम होगी।

हालांकि यह तकनीक आदतन अपराधियों के मामले में काफी कारगर साबित होगी। लेकिन यदि अपराधी नया है तो उसके लिए फिर कंट्रोल रूम की मदद लेना पड़ेगी। इस तकनीक पर पुलिस का काम जारी है।

दरअसल बीते एक वर्ष से धार कंट्रोल रूम में नेसिस सिस्‍टम पुलिस के लिए संजीवनी के तौर पर काम कर रहा है। नेसिस यानी नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटीफिकेशन सिस्‍टम को धार में लागू किया गया है। इसमें फिंगरप्रिंट तकनीक को एडवांस लेवल पर अपडेट किया गया है। जिससे देश के किसी भी कौने से पुलिस धार जिले के अपराधियों का डेटा बेस जांच कर आरोपियों की पहचान कर सकती है।

इस पर पुलिस एक साल से काम कर रही है। इस तकनीक की मदद से पुलिस ने जिला ही नहीं बल्कि अंतरराज्‍यीय स्‍तर पर भी हुई चोरियों को सुलझाने में मदद मिली है।

केस 1 :
नेसिस की मदद से नौगांव पुलिस ने भी अपने थाना क्षेत्र से बड़ी चोरी को सुलझाने में सफलता हासिल की थी। नौगांव थाना क्षेत्र स्थित श्रीजी धाम कॉलोनी में आबकारी उप निरीक्षक के सूने मकान में चोरी की वारदात हुई थी। इस घटना के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। एफएसएल टीम की मदद से साक्ष्‍य जुटाए गए। तब पुलिस को कुछ फिंगरप्रिंट भी मिले, इसकी जांच के दौरान पुलिस ने आरोपियों की पहचान आसानी से कर ली। नौगांंव पुलिस ने नेसिस की मदद से इस वारदात को सुलझाने में सफलता हासिल कर ली।

केस 2 :
इसके अलावा पड़ोसी जिले उज्‍जैन की भी एक चोरी की घटना धार जिले के डेटाबेस से ही सॉल्‍व हुई। दरअसल उज्‍जैन जिले के बड़नगर से एक कार चोरी हुई थी। यह कार सरदारपुर थाना क्षेत्र के बदनावर रोड से बरामद की गई थी। इस बरामद कार की सूचना मिलने के बाद सरदारपुर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान नेसिस की मदद से पुलिस ने फिंगरप्रिंट की मदद से आरोपियों की पहचान पुलिस ने की और आरोपियों की गिरफ्तारी की गई।

दो दर्जन चोरियों को एक साल में सुलझाया
धार जिले के अपराधी जिले में ही नहीं बल्कि पूरे देश में वारदात को अंजाम देते है। इस कारण पूरे देश के अलग-अलग थानों से पुलिस जिले में आती है। पिछले एक साल में नेसिस डेटाबेस के कारण 25 अंतरराज्‍यीय चोरियों को सुलझाने में मदद मिली। तेलंगाना, गोवा, पुणे, अहमदाबाद की बड़ी वारदात सुलझी है। जबकि मध्‍यप्रदेश के इंदौर, खरगोन सहित 50 प्रतिशत वारदात इस सिस्‍टम से वारदात को सुलझाने में सफल रही है।

सामान्‍य व्‍यवस्‍था में था मुश्किल काम
जासूसी उपन्यासों और फिल्मों में तो फिंगरप्रिन्ट का अपराधों के अन्वेषण में महत्वपूर्ण रोल दिखाया जाता है, लेकिन व्यावहारिक रुप में जिलास्तर पर या दूर देहात के थानों पर अपराधों के अन्वेषण में फिंगरप्रिंट तकनीक का कोई उपयोग नहीं हो पाता था। इसका कारण यह था कि किसी घटनास्थल या हथियार से फिंगरप्रिंट लेना सामान्य पुलिस अधिकारियों के लिए संभव नहीं हो पाता था। यदि किसी तरह से घटनास्थल के फिंगरप्रिंट उठा भी लिए जाते थे तो इनका रेकार्ड में मौजूद फिंगरप्रिंट से मिलान बेहद कठिन होता था और इसलिए व्यावहारिक रुप से अपराधों के अन्वेषण में फिंगरप्रिंट मैचिंग जैसी महत्वपूर्ण तकनीक का उपयोग नहीं हो पाता था।

पुलिस तैयार करवा रही एप:
कंट्रोल रूम में पदस्‍थ एसआई अमित मीणा के अनुसार अब तक यह व्‍यवस्‍था कंट्रोल रूप से संचालित की जा रही थी। लेकिन आने वाले समय में इसे थाना लेवल पर ले जाने की योजना है। हर थानों पर स्‍कैनर देने की कार्ययोजना पर काम किया जा रहा है। साथ ही थाना स्‍तर के लिए एक एप भी तैयार किया गया है। इसकी मदद से जांच अधिकारी मौके पर ही फिंगरप्रिंट की जांच कर सकेंगे और डेटाबेस में मौजूद अपराधियों की पहचान कर सकेंगे। इससे पुलिस को अपराध की गुत्‍थी सुलझाने में काफी मदद मिलेगी।

आमतौर पर जासूसी उपन्यासों और फिल्मों में किसी भी अपराध की खोजबीन में फिंगरप्रिंट की महत्वपूर्ण भूमिका दिखाई जाती है। अंधे कत्ल के कई आरोपी केवल फिंगरप्रिंट मिलने की वजह से पुलिस की गिरफ़्त में आ जाते है। यह सही भी है क्योंकि दुनिया में किसी भी व्यक्ति के फिंगरप्रिंट किसी अन्य व्यक्ति से नहीं मिलते, इसलिए घटनास्थल पर या हत्या में प्रयुक्त हथियार पर से लिए गए फिंगर प्रिंट का मिलान किसी ज्ञात फिंगर प्रिंट से होने पर अपराधी को पहचानना आसान हो जाता है।

मनोज कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक, धार



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