विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवसः 33756 प्रकरण विचाराधीन, स्टाफ की कमी से सुनवाई में देरी


– प्रदेश स्तर पर 11171 और विभिन्न जिलों में 33756 प्रकरण विचाराधीन।
– स्टाफ और सुविधाओं की कमी के कारण मामलों में चल रही हैं लंबी सुनवाई।
– उपभोक्ताओं को न्याय मिलने में लगता है समय।


ब्रजेश शर्मा
उनकी बात Published On :
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15 मार्च विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति सजग हों। इसको लेकर केंद्र सहित प्रदेश सरकार कई प्रयास कर रही है लेकिन प्रदेश में स्थिति इसके उलट हैं और उपभोक्ता परेशान हैं।

मध्यप्रदेश में राज्य उपभोक्ता आयोग में लगभग 11 हजार 171 मामले विचाराधीन हैं। वहीं प्रदेशभर में जिला स्तर पर स्थित जिला उपभोक्ता आयोगों में 33 हजार 756 मामले विचाराधीन हैं। इतनी अधिक संख्या में लंबित प्रकरणों का मुख्य कारण उपभोक्ता आयोग में स्टाफ और सुविधाओं की भारी कमी है।

हालात यह हैं कि प्रदेश के 52 जिलों के लिए अध्यक्ष के 25 और सदस्यों के 102 पद हैं लेकिन इनमें से अध्यक्ष के 7 और सदस्यों के 56 पद खाली हैं। जानकारों के अनुसार आगामी कुछ माह में भरे हुए पदों में से भी समयावधि पूरी होने के चलते अध्यक्ष के 4 और सदस्य के 9 पद खाली हो जाएंगे।

22 जिलों से 26 जिले हैं लिंक –

प्रदेश में 48 जिलों में जिला उपभोक्ता आयोग हैं। इसमें से 26 जिलों को लिंक किया गया है यानी 26 जिलों में अध्यक्ष नहीं होने के चलते इन 22 जिलों के अध्यक्ष-सदस्यों को इन जिलों में प्रकरणों के निराकरण के लिए जाना होता है। चार जिले अलीराजपुर, सिंगरौली, आगर-मालवा और निवाडी में जिला उपभोक्ता आयोग बनना प्रस्तावित है।

यह है जरूरत –

जिला स्तर पर एक आयोग में 10 से 15 लोगों के स्टाफ की जरूरत है लेकिन वर्तमान में अधिकतर अध्यक्ष-सदस्य रिटायर हो चुके हैं। 2018 के बाद अध्यक्ष पद पर नियुक्तियां ही नहीं हुई हैं।

प्रदेश के चार बडे शहरों की यह है स्थिति –

भोपाल : भोपाल जिले के लिए यहां 2 कोर्ट बनाई गई हैं जिसमें से कोर्ट-1 में 932 एवं कोर्ट-2 में 1821 मामले विचाराधीन हैं।
इंदौर : इंदौर जिले के लिए 2 कोर्ट हैं जिसमें से कोर्ट-1 में 746 एवं कोर्ट-2 में 2166 मामले लंबित हैं।
जबलपुर : जबलपुर के लिए 2 कोर्ट हैं जिसमें से कोर्ट-1 में 2267 एवं कोर्ट-2 में 1786 मामलों में सुनवाई जारी है।
ग्वालियर : ग्वालियर जिले के लिए एक कोर्ट है जिसमें 995 मामले विचाराधीन हैं।

उपभोक्ता फोरम का नाम बदलकर हुआ था उपभोक्ता आयोग –

प्रदेश के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने 24 दिसंबर 2019 को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर जिला फोरम का नाम बदलकर जिला उपभोक्ता आयोग कर देने की घोषणा की थी। इसके साथ ही कहा गया था कि राज्य आयोग में अपील दायर करने की सीमा अवधि 30 दिनों से बढाकर 45 दिनों तक की कर दी गई है। जिले में आयोग को मूल आर्थिक क्षेत्र एक करोड़ कर दिया है। साथ ही राज्य आयोग एक करोड़ से ऊपर 10 करोड़ तक और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का 10 करोड़ से अधिक होगा।

इसलिए मनाया जाता है उपभोक्ता अधिकार दिवस –

भारत सरकार ने 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया है क्योंकि भारत के राष्ट्रपति ने उसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1949 के अधिनियम को स्वीकारा था। इसके अतिरिक्त 15 मार्च को प्रत्येक वर्ष विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। यह दिन भारतीय ग्राहक आंदोलन के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। भारत में यह दिवस पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया और आगे भी प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।

रिक्तियां भरने के संबंध में हमने शासन को अवगत कराया है। जिस पर शासन स्तर से निर्णय लिया जाएगा।

– राजीव आप्टे, रजिस्ट्रार, राज्य उपभोक्ता आयोग मप्र


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