भोपाल। नई पेंशन योजना को लेकर कर्मचारी सीधे तौर पर भाजपा सरकारों के खिलाफ़ हैं। भाजपा ने इसे हटाने से इंकार कर दिया है वहीं कर्मचारी चाहते हैं कि पुरानी पेंशन योजना फिर लागू की जाए। कर्मचारियों की इस मांग को कांग्रेस ने हाथों हाथ लिया है और अपनी सरकार वाले राज्यों में इस योजना को लागू कर दिया है। हिमाचल प्रदेश चौथा ऐसा राज्य बना है जहां पुरानी पेंशन योजना यानी ओपीएस बहाल कर दी गई है। ऐसे में अब आने वाले विधानसभा चुनाव अहम हो गए हैं क्योंकि कर्मचारी अपनी संख्या के हिसाब से यह प्रदेशों में चुनाव में पार्टियों की स्थिति तय कर सकते हैं। मध्यप्रदेश में भी अब पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग कर रहे कर्मचारी उत्साहित हैं और कहते हैं कि आने वाले दिनों में जो पार्टी उनके हितों का ध्यान रखेगी उसे ही वे वोट देंगे।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के फैसले के बाद कर्मचारी खासे खुश हैं। इसके पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस सरकार इसके लिए निर्णय ले चुके हैं। वहीं आम आदमी पार्टी की सरकार ने पंजाब में भी पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है। ऐसे फैसलों से कर्मचारियों की में उत्साह है।
हालांकि यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि पुरानी पेंशन योजना लागू होने से कर्मचारियों को तो लाभ मिलेगा लेकिन राज्यों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। इसके बारे में योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने पिछले दिनों चिंता जाहिर की थी।
कुछ राज्य सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन योजना पर जोर दिए जाने पर तत्कालीन योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा "मैं निश्चित रूप से इस विचार से सहमत हूं कि यह कदम बेतुका है और वित्तीय दिवालियापन के लिए एक नुस्खा है"#Oldpensionscheme #Rajasthan #chhattisgarh pic.twitter.com/tuy74cRzKF
— Deshgaon (@DeshgaonNews) January 7, 2023
पुरानी पेंशन की मांग कर रहे संगठन एनओपीएस के विजय कुमार बंधु बताते हैं कि वे सभी प्रदेशों में इसकी मांग कर रहे थे और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत भी कर्मचारियों के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी अपने हितों के लिए क्यों न बात करें। बंधु के मुताबिक मप्र में छह लाख कर्मचारी हैं और वे चाहते हैं कि सरकार उन्हें पुरानी पेंशन के हिसाब से पेंशन मिले। बंधु के मुताबिक मप्र में जो छह लाख कर्मचारी हैं उनके साथ उनके परिवारों के औसतन पांच वोट भी हैं ऐसे में ये कर्मचारी आने वाली सरकार का निर्णय ले सकते हैं। बंधु कहते हैं कि इसके अलावा केंद्र सरकार के विभागों में काम करने वाले मप्र के कर्मचारी भी इस आंदोलन में उनका साथ देंगे। वे कहते हैं कि वे किसी पार्टी के साथ नहीं है लेकिन जो कर्मचारियों के इस हित को पाने में मदद करेगा वे उसकी प्रशंसा करेंगे।
पुरानी पेंशन योजना की मांग करते हुए विजय कुमार बंधु कहते हैं कि पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों के हक में है क्योंकि उन्हें रिटायमेंट के बाद केवल इसी योजना के तहत ज्यादा पैसा मिलेगा जिससे वे अपनी जीवनचर्या चला सकेंगे। बढ़ती महंगाई के कारण ज्यादा पेंशन की जरुरत और भी बढ़ चुकी है और ऐसे में कर्मचारी अपनी इस मांग को लेकर गंभीर हैं। हिमाचल में पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद मध्यप्रदेश में इसके लिए मांग बढ़ तेज़ हो रही है। आने वाले दिनों में इसके लिए और भी आंदोलन और प्रदर्शन होने को हैं।
पिछले दिनों पुरानी पेंशन योजना के लिए उज्जैन में हजारों सरकारी कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया था और अब आने वाले दिनों में भोपाल में भी ऐसे ही प्रदर्शन की तैयारी है। मप्र में इस आंदोलन से जुड़े जिमी सक्सेना से कहते हैं कि पुरानी पेंशन से कम कुछ भी स्वीकार नहीं है क्योंकि यह कर्मचारियों के भविष्य का सवाल है और कर्मचारियों को अपनी बेहतरी चुनने का अधिकार है।