किसान मजबूरः एमएसपी से तीन-चार सौ रुपये कम में बिक रहा गेहूं, शिकायतें भी बेअसर


किसानों को नहीं पता कि उनकी फसल पर अब सर्मथन मूल्य उन्हें कैसे मिलेगा। मंडी सचिव संतोष मंडरे के मुताबिक, वे इसे लेकर व्यापारियों पर दबाव नहीं डाल सकते क्योंकि सरकार ने अभी सर्मथन मूल्य पर खरीदी शुरू नहीं की है।


अरूण सोलंकी
उनकी बात Updated On :

इंदौर। केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गए तीनों कृषि कानूनों पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। इसके बाद मंडियों में आवक बढ़ गई है। इंदौर जिले की सभी मंडियों में भी इन दिनों अच्छी आवक हो रही है।

हालांकि इसके बावजूद किसान खुश नहीं हैं क्योंकि किसानो को अपनी फसल बेहद कम दामों में बेचनी पड़ रही है और इस अव्यवस्था पर उन्हें किसी का साथ नहीं मिल रहा है।

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की मांग है कि सरकार न्यूनतम सर्मथन मूल्य यानी एमएसपी को लेकर ठोस कानून बनाकर दे। वहीं सरकार इस बारे में स्पष्ट कर चुकी है कि सर्मथन मूल्य लागू है और रहेगा और किसानों को इसी के आधार पर उपज का भुगतान किया जाएगा।

हालांकि जमीनी सचाई इस दावे से काफी अलग है। किसानों को अपनी उपज सर्मथन मूल्य से तीन-चार सौ रुपये तक कम में बेचनी पड़ रही है। सबसे बड़ी परेशानी ये है कि किसान इसे लेकर किसी से शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं।

मंडियों में गेहूं और सोयाबीन की अच्छी आवक हो रही है। इंदौर जिले की महू तहसील की कृषि उपज मंडी में रोज़ाना काफी संख्या में किसान अपनी फसल लेकर पहुंच रहे हैं। हालांकि सरकार ने अब तक सर्मथन मूल्य पर खरीदी की शुरुआत नहीं की है, लेकिन किसानों को अभी से ही अपनी उपज बेहद कम दामों में बेचनी पड़ रही है।

इन किसानों का गेहूं उनसे न्यूनतम 1500 रुपये प्रति क्विंटल तक खरीदा जा रहा है जबकि गेहूं का सर्मथन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल है।

टीही गांव के किसान सुनील मालवीय ने बताया कि उनका गेहूं 1620 रुपये प्रति क्विंटल के दाम से खरीदा गया है। वहीं सुनील के साथ आए एक अन्य किसान मिथुन कुमार दास ने बताया कि उन्होंने 1660 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं  बेचा है। यहीं बैठे एक अन्य किसान ने 1675 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचा है।

यह दर गेहूं के न्यूनतम सर्मथन मूल्य काफी कम है, लेकिन किसान फिर भी गेहूं बेचने को मजबूर हैं। बहुत से किसानों ने बताया कि उन्होंने अपनी फसल 1400-1500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास भी बेची है।

किसानों को नहीं पता कि उनकी फसल पर अब सर्मथन मूल्य उन्हें कैसे मिलेगा। मंडी सचिव संतोष मंडरे के मुताबिक, वे इसे लेकर व्यापारियों पर दबाव नहीं डाल सकते क्योंकि सरकार ने अभी सर्मथन मूल्य पर खरीदी शुरू नहीं की है।

महू मंडी में व्यापारियों की संख्या कम है और उन्हीं की चलती है। यहां अगर किसी विवाद पर व्यापारी खरीदी बंद कर दें तो मंडी में ताला लग जाता है और हंगामे के आसार हो जाते हैं। सर्मथन मूल्य के लिए अगर दबाव डाला गया तो भी हालात ऐसे ही बनेंगे।

गेहूं व किसान की आमदनी का गणित – 

किसानों के मुताबिक, एक क्विंटल गेहूं उगाने में प्रति बीघा 14-15 हजार रुपये का क्विंटल का खर्च आता है और एक बीघे में दस क्विंटल तक उपज मिलती है। इस तरह एक क्विंटल गेहूं उगाने में 1300 से 1400 रुपये प्रति क्विंटल की लागत आती है।

इस तरह अगर गेहूं की फसल लगाकर किसान अगर उसे न्यूनतम सर्मथन मूल्य पर भी बेचता है तो उसे लगभग बीस हज़ार रुपये की आमदनी होगी। करीब पांच महीने तक फसल को सहेजने के बाद किसान को प्रति बीघा केवल पांच-छह हजार रुपये मिल पाते हैं।

वहीं जब सर्मथन मूल्य पर फसल नहीं बिकती है तो यह लागत और भी कम होती जाती है। इस तरह किसान हर बार नुकसान में ही जाता है।


Related





Exit mobile version