नर्मदा घाटी में विस्थापितों का संकल्प: जलस्तर बढ़ने पर करेंगे जलसत्याग्रह

13 अगस्त को नर्मदा घाटी के विस्थापितों ने सरदार सरोवर डेम के जलस्तर में वृद्धि के खिलाफ चेतावनी सत्याग्रह किया, और जलस्तर बढ़ने पर जलसत्याग्रह का संकल्प लिया।

बारिश के मौसम में नर्मदा पर बने सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोग बड़ी मुसीबत की आशंका में जीते हैं। हर साल नर्मदा का बैकवाटर इन लोगों के घरों और गांवों को डुबो देता है, जिससे उन्हें पुनर्वास और सुरक्षा की चिंता सताती रहती है।

 

मंगलवार 13 अगस्त 2024 को नर्मदा घाटी के विस्थापितों ने सरदार सरोवर बांध के जलस्तर में वृद्धि के खिलाफ एकदिवसीय चेतावनी सत्याग्रह आयोजित किया। बड़वानी जिले के कुकरा-राजघाट गांव में हुए इस सत्याग्रह में विस्थापितों ने 135 मीटर तक पहुंचने वाले जलस्तर के खिलाफ विरोध जताया और चेतावनी दी कि अगर जलस्तर और बढ़ता है और डूब की स्थिति उत्पन्न होती है, तो वे जलाशय में उतरकर जलसत्याग्रह करेंगे।

सत्याग्रह का नेतृत्व मेधा पाटकर ने किया, जिसमें बड़ी संख्या में विस्थापित ग्रामीण शामिल हुए। सुशीला नाथ, हरिओम बहन, और कमला यादव ने पुनर्वास की समस्याओं और विस्थापित परिवारों के दर्द को उजागर किया। उन्होंने बताया कि कई परिवार शासकीय भवनों और टीनशेड में रह रहे हैं, जिनके पास स्थायी पुनर्वास की सुविधा नहीं है। धनराज भिलाला और कैलाश यादव ने अधिकारियों पर न्यायालयीन आदेशों की अनदेखी और आश्वासनों को पूरा न करने का आरोप लगाया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।

 

 

रेहमत मंसूरी ने नर्मदा नदी के प्रदूषण और घाटी के जल अधिकारों के हनन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दशों लिफ्ट परियोजनाओं के बावजूद स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है, और नर्मदा का जल निरंतर प्रदूषित हो रहा है। मेधा पाटकर ने नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) द्वारा किए गए दावों पर सवाल उठाया कि “कुकरा-राजघाट के सभी विस्थापितों का संपूर्ण पुनर्वास हो चुका है,” और कहा कि सरकारी रिपोर्टों में विस्थापितों के पुनर्वास की स्थिति के दावे गलत हैं।

 

एनवीडीए की रिपोर्ट के अनुसार

एनसीए और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) की रिपोर्टों के अनुसार, सरदार सरोवर परियोजना से मध्यप्रदेश में 23,603 परिवार प्रभावित हुए हैं। इनमें से 5,540 परिवार गुजरात में बसाए गए हैं, जबकि 18,063 परिवारों को मध्यप्रदेश में पुनर्वासित किया गया है। हालांकि, जमीनी वास्तविकता अलग है। कई परिवार अभी भी गुजरात जाने को तैयार नहीं हैं, खासकर उपजाऊ जमीन की कमी के कारण।

 

पिछले साल 16-17 सितंबर को बाढ़ के दौरान सरदार सरोवर का जलस्तर बढ़ाकर 143.83 मीटर तक पहुंचाने के आरोप लगे थे। आंदोलनकारियों ने यह भी कहा कि सरदार सरोवर के गेट 17 सितंबर को ही खोले गए, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर था।

 

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राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी ने मेधा पाटकर पर आरोप लगाया कि वे नर्मदा के जल प्रदूषण को लेकर जनता को भ्रमित कर रही हैं। पाटकर ने इसके जवाब में जल परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की और सुमेर सिंह से वैज्ञानिक आधार पर सत्य बोलने की मांग की।

 

सत्याग्रह के बाद, सभी सहभागी ने जलस्तर बढ़ने पर जलसत्याग्रह करने का संकल्प लिया। सुंदर सिंह पटेल ने 39 साल के इस संघर्ष की सराहना की और कहा कि इस आंदोलन ने देशभर के विस्थापितों को प्रेरित किया है। उन्होंने समर्थन जारी रखने का आश्वासन दिया।

 

सत्याग्रह में सेवंती बहन, धनराज भिलाला, भगवान सेप्टा, ओम पाटीदार, और राहुल यादव सहित कई प्रमुख लोग शामिल रहे। आंदोलनकारियों ने जलस्तर पर निगाह बनाए रखने और डूब की स्थिति उत्पन्न होने पर जलसत्याग्रह की घोषणा की।

First Published on: August 14, 2024 10:07 AM