आल्हा-ऊदल की धरती से भी उठे अन्याय के विरुद्ध आवाज़, छतरपुर में किसान महापंचायत


डॉ. सुनीलम ने कहा कि जो लोग यह कह रहे थे कि यह विरोध सिर्फ हरियाणा और पंजाब के किसान ही कर रहे हैं उन्हें छतरपुर के किसानों ने 47 दिन तक धरने पर बैठकर करारा जवाब दिया है।


शिवेंद्र शुक्ला
उनकी बात Updated On :

छतरपुर। केन्द्रीय कृषि कानूनों के विरुद्ध ग्रामीण अधिकार संगठन के बैनर तले छतरपुर में अमित भटनागर के नेतृत्व में चल रहे किसानों के धरने के लिए गुरुवार का दिन काफी बड़ा रहा। देश और प्रदेश के कई बड़े किसान नेताओं ने गुरुवार को छतरपुर में आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए केन्द्रीय कृषि कानूनों को वापिस लिए जाने की मांग उठाई।

इस दौरान नेताओं ने बुंदेलखंड के किसानों से अपील करते हुए कहा कि आल्हा-ऊदल की इस धरती से भी अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठनी चाहिए। दोपहर 12 बजे छत्रसाल चौक पर शुरु हुई इस किसान महापंचायत में ऑल इंडिया खेत मजदूर संगठन के अध्यक्ष किसान नेता सत्यभान, पूर्व विधायक और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के सदस्य डॉ. सुनीलम, किसान संघर्ष मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट आराधना भार्गव, किसान नेता ईश्वरचंद्र त्रिपाठी, गुना से आए प्रदीप सिंह, स्थानीय नेता अमित भटनागर, नेहा सिंह, दिलीप शर्मा ने किसानों को संबोधित किया। तो वहीं कोरोना संक्रमित होने के कारण कार्यक्रम में नहीं पहुंच सकीं देश की प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर ने फोन के माध्यम से ही सभा को संबोधित किया।

मेघा पाटकर ने कहा कि सरकार ने उक्त तीनों कानून अंबानी, अडानी जैसे पूंजीपतियों को लाभान्वित करने के लिए बनाए हैं। उन्होंने कहा कि हमें देश के किसानों मजदूरों, रोजगार, अन्न और खेती को बचाने के लिए लड़ाई जारी रखनी होगी।

डॉ. सुनीलम ने कहा कि जो लोग यह कह रहे थे कि यह विरोध सिर्फ हरियाणा और पंजाब के किसान ही कर रहे हैं उन्हें छतरपुर के किसानों ने 47 दिन तक धरने पर बैठकर करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि 8 मार्च को देश भर में महिला किसानों के नेतृत्व में आंदोलन होगा, 15 मार्च को श्रमिक संगठन प्रदर्शन करेंगे और 18 मार्च को देश भर में किसानों के साथ आंदोलन को और विस्तृत रूप दिया जाएगा।

किसान नेता सत्यभान ने कहा कि जब तक यह कानून वापिस नहीं लिए जाते और एमएसपी की लीगल गारंटी नहीं दी जाती तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेंगे। वहीं आराधना भार्गव ने कहा कि किसान संघर्ष मोर्चा यह मानता है कि उक्त कानूनों के माध्यम से किसानों के लिए न्याय पालिका के दरवाजे भी बंद किए जा रहे हैं क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों को अदालत जाने का अधिकार नहीं होगा। छत्रसाल चौक पर प्रदर्शन के बाद उक्त किसान नेताओं के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।


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