नरसिंहपुर। चिनकी बैराज के निर्माण को लेकर प्रशासन द्वारा पारदर्शिता न बरतने के की शिकायत को लेकर ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन बीते आठ दिनों से जारी है। देशगांव के द्वारा उठाया गया यह विषय अब राजनीति, समाज और प्रशासन के विमर्श में अपनी जगह बना रहा है।
देशगांव ने मुद्दा उठाया था कि बांध निर्माण तो जारी है लेकिन इसकी जानकारी किसी ग्रामीण के पास नहीं जबकि उनकी जमीन पर यह बांध बन रहा है, डूब का खतरा भी है और मुआवजे या दूसरी प्रक्रिया के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
बताया जाता है कि इसके बाद उच्चाधिकारियों के द्वारा जिला प्रशासन से जानकारी तलब की जा रही है। वहीं आने वाले दिनों में प्रशासन को इस विरोध के बड़े होने की भी आशंका है।
कई खबरों के बाद ग्रामीण इस मामले में जागरुक हुए और एक धरना प्रदर्शन तय किया गया। अब ग्रामीण बीते आठ दिनों से धरने पर बैठे हैं। इनकी मांग है कि बांध को लेकर पूरी जानकारी स्पष्ट तौर पर दी जाए और फिर जमीन के बदले जमीन और घर के बदले घर दिया जाए।
अब इन ग्रामीणों को बाहरी सर्मथन भी मिल रहा है। शुक्रवार को नर्मदा बचाओ आंदलोन के राजकुमार सिन्हा एवं समाजसेवी गोपाल राठी उनसे मिलने पहुंचे। इसी दौरान वे अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए जो अब तक ग्रामीणों की जमीनों पर केवल निशान लगवा रहे थे और उन्हें कोई जानकारी नहीं दे रहे थे। इस मौके पर ग्रामीणों ने उनसे कई सवाल किए और अधिकारियों ने उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश की।
नरसिंहपुर में चिनकी बैराज के विरोध में लोग धरना दे रहे हैं। शुक्रवार को यहां स्थानीय प्रशासन और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारी पहुंचे और लोगों से बातचीत की। यह बातचीत दिलचस्प रही, जहां लोगों ने अपने विरोध का कारण प्रशासन द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया न अपनाने को बताया।… pic.twitter.com/Jy91sTiECo
— Deshgaon (@DeshgaonNews) May 27, 2023
इससे पहले शुक्रवार को घूरपुर में नर्मदा तट पर चल रहे धरने का 8 वां दिन था। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर के साथी एवं विस्थापितों के लिए संघर्ष कर रहे समाजसेवी राजकुमार सिन्हा तथा भारत जन परिषद से जुड़े नेता समाजसेवी गोपाल राठी ने प्रशासनिक प्रक्रिया में बरती गई लापरवाही पर ध्यान आकर्षित कराया।
इसके पहले उन्होंने नरसिंहपुर में पत्र वार्ता कर इस विषय पर जानकारी दी। इसके बाद धरना स्थल पर उन्होंने संभावित डूब के कारण प्रभावित खेती-बाड़ी पर मंडरा रहे खतरे के संबंध में लोगों की बातें सुनी।
नर्मदा नदी पर चिनकी बैराज बन रहा है और बनाने वाली कम्पनी ने इन आदिवासी किसानों की जमीनें बेहद कम राशि पर किराए पर ली हैं। इन जमीनों की पर बड़े पैमाने पर खुदाई और निर्माण हुए हैं और ऐसे में शायद किसान आने वाले सालों में भी यहां खेती न कर पाएं।#MadhyaPradesh @ChouhanShivraj pic.twitter.com/uRA2aV4l9h
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धरना साथ पर पहुंचे राजकुमार सिन्हा ने बैराज बांध को लेकर संभावित डूब क्षेत्र के संबंध में जब अधिकारियों से सवाल किए तो अधिकारी कई मौकों पर निरुत्तर दिखाई दिए। यहां सिन्हा ने कहा कि जब सीमांकन, बटांकन नहीं हुआ है भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया नहीं हुई है तो बांध या बैराज का निर्माण कार्यशुरु कैसे हो सकता है, आपने वहां खेती कर रहे कई आदिवासियों की जमीन सिकमी पर दिलवा दी उन्हें पर्याप्त राशि भी नहीं दी गई।
अगर यह बांध प्रशासन निरस्त कर दे तो फिर क्या होगा ? नर्मदा का प्रवाह रोक कर जिस तरह की खुदाई की गई है क्या उसकी क्षतिपूर्ति हो सकेगी ? उन्होंने सवाल किया कि इतनी जल्दी क्या थी कि जब प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी नहीं हुई और बांध का काम शुरु कर दिया गया ? प्रक्रिया पूरी होने तक कार्य नहीं रोका जा सकता था ?
इसी क्रम में नर्मदा विकास प्राधिकरण के अधिकारी व रानी अवंती बाई सागर परियोजना के कार्यपालन यंत्री अंकुर शर्मा, करेली तहसीलदार, पटवारी और अन्य प्रशासनिक अमले की टीम ने भी धरना स्थल पहुंचकर राजकुमार सिन्हा भोपाल राठी एवं आंदोलन करने वाले अन्य ग्रामीणों से चर्चा की। इस दरमियान समाजसेवी राजकुमार सिंहा ने बैराज में संभावित डूब क्षेत्र, जलभराव की स्थिति पर कार्यपालन यंत्री से जब चर्चा की तो कई सवालों के उत्तर अधिकारी इसका जवाब नहीं दे सके।
धरने में शुक्रवार को बड़ी संख्या में ग्रामीणों की उपस्थिति रही। विशेष तौर पर कई गांव से महिलाएं भी पहुंची। धरने में समाजसेवी बाबूलाल पटेल ,श्याम पटेल ,साहब सिंह लोधी, पुरातत्व के क्षेत्र में कार्य कर रहे खोजी बाबा कालूराम पटेल, लेख राम विश्वकर्मा , संतराम सिंह पटेल, सीताराम ठाकुर आदि की उपस्थिति रही आदि की मौजूदगी रही।
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नींद से जागे प्रशासन ने अब बांध की जानकारी देना शुरू किया है। बिना किसी पर्याप्त प्रक्रिया के बांध का निर्माण शुरू कर दिया गया। लोगों को जानकारी नहीं दी गई। जब इस मामले में देशगांव ने लोगों को हकीकत बताई और लोग जागरूक होकर लामबंद हुए तो अधिकारी विवश हुए हैं शुक्रवार को जिला प्रशासन की टीम ने चिनकी की बैराज को लेकर सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर उसके लाभ गिनाना शुरू किए हैं।