वेटरनरी छात्रों ने किया प्रदर्शन, कहा सरकार ने हमारी ओर सालों से ध्यान नहीं दिया


विद्यार्थियों ने कहा कि हमें एक मजदूर से भी कम स्टाइपेंड में में जी तोड़ मेहनत करनी होती है और कॉलेज खत्म होने के बाद नौकरी भी नहीं मिलती


अरूण सोलंकी
उनकी बात Updated On :

इंदौर। प्रदेश भर में वेटरनरी कॉलेज के विद्यार्थी इन दिनों विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन विद्यार्थियों के मुताबिक सरकार उन पर ध्यान नहीं दे रही है जिसके चलते वेटरनरी विभाग की हालत खस्ता होती जा रही है। यह विद्यार्थी अपने स्टाइपेंड में बढ़ोतरी के लिए काफी समय से मांग करते आ रहे हैं लेकिन विभाग ने इनकी ओर ध्यान नहीं दिया। इसके साथ ही विद्यार्थी सरकारी नौकरियां जारी करने की मांग भी कर रहे हैं।

महू के वेटरनरी महाविद्यालय के गेट पर सोमवार से ही वेटरनरी के छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन छात्रों का कहना है कि उन्हें अपने फाइनल ईयर में 4600 रु प्रति माह स्टाइपेंड के रूप में मिलते हैं जो एक दैनिक वेतन भोगी मजदूर से भी कम है। विद्यार्थियों को इतनी ही राशि में दूरदराज के वेटरनरी संस्थानों में सेवाएं देने भी जाना होता है और कई बार इनकी ड्यूटी 12 घंटे तक की होती है ऐसे में यह राशि स्टाइपेंड बेहद कम है।

 

 

इन विद्यार्थियों का कहना है कि उनका यह प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा। पशुधन के मामले में मध्यप्रदेश को एक उन्नत राज्य माना जाता है। लेकिन इस पशुधन की देखभाल करने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं हैं।

 

जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में 40 मिलियन लाइव स्टॉक यानी पशु हैं और भारतीय कृषि अनुसंधान के अनुसार 5000 पशु इकाई पर एक पशु चिकित्सक का होना अनिवार्य है जबकि फिलहाल प्रदेश में परिस्थिति में 29000 पशु इकाई पर एक पशु चिकित्सक उपलब्ध है ठीक इसी समय प्रदेश में 1550 चिकित्सक बेरोजगार घूम रहे हैं।

विद्यार्थी कहते हैं कि तमाम विभागों और जमीनी जरूरत को पूरा करने के लिए प्रदेश में तकरीबन 5000 के आसपास पशु चिकित्सक होने चाहिए लेकिन फिलहाल केवल 17 सौ के करीब हैं। इसके अलावा पिछले दिनों करीब 7 साल बाद 79 पद निकाले हैं लेकिन यह बेरोजगारों की संख्या के आगे भी बेहद कम हैं।विधार्थी बताते हैं कि पिछले एक वर्ष से 3481 पद की फाइल वित्त मंत्रालय में लंबित है।

यह पहली बार नहीं है जब वेटरनरी के विद्यार्थी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले साल 2019 में महू बैटर कॉलेज के विद्यार्थियों ने 20 दिन तक भूख हड़ताल तक की थी किन इनकी समस्याओं पर फिर भी ध्यान नहीं दिया गया।

 


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