मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षकों की सेवाएं 30 अप्रैल तक ही लेने के आदेश लोक शिक्षण संचालनालय ने जारी कर दिए हैं। अभी कई जिलों में अतिथि शिक्षकों को निर्वाचन कार्य में लगाया गया है लेकिन अब वह 30 अप्रैल तक ही निर्वाचन की ड्यूटी कर सकेंगे।
नए शैक्षणिक सत्र 2024 – 25 की शुरुआत अप्रैल से हो गई है। इस बीच मप्र के तमाम अतिथि शिक्षकों की लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा सेवाएं 30 अप्रैल तक की मान्य की गई है। अतिथि शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी में भी लगाया गया है लेकिन इस सिलसिले में निर्देश जारी हो गए हैं कि यदि आवश्यक हो तो उनकी ड्यूटी 30 अप्रैल तक ही निर्वाचन कार्य में लगाई जाए।
लोक शिक्षण संचालनालय ने प्रदेश के सभी कलेक्टर को सर्कुलर जारी कर यह आदेश दे दिए हैं कि स्कूल शिक्षा विभाग में शैक्षणिक सत्र 2023 – 24 में अतिथि शिक्षकों की सेवाएं 30 अप्रैल तक ही मान्य हैं। इसके बाद उनका मानदेय भुगतान करने का प्रावधान नहीं है इसलिए निर्वाचन कार्य में अतिथि शिक्षकों को यथा संभव ना लगाया जाए और यदि जरूरी हुआ तो उनकी ड्यूटी 30 अप्रैल तक ही निर्वाचन कार्य में लगाई जाए। आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के अनुमोदन से यह सर्कुलर प्रदेश की सभी कलेक्टर को जारी कर दिए गए हैं।
प्रदेश भर के सभी जिलों में करीब 1 लाख से ज्यादा अतिथि शिक्षक हैं जो जो फिर दो ढाई महीने बेरोजगारी झेलेंगे। आमतौर पर अतिथि शिक्षकों को स्कूल में फिर सेवाएं देने के लिए जुलाई में बुलाए जाने के निर्देश होते हैं लेकिन अधिकांश जिलों में प्रक्रिया होते-होते कहीं अगस्त तो कहीं-कहीं सितंबर तक हो जाता है जिससे अतिथि शिक्षक बमुश्किल 8 – 9 महीने ही सेवाएं दे पाते हैं। इस समय अतिथि शिक्षकों को वर्ग तीन में लगभग 10 हजार, वर्ग 2 में करीब 14 हजार और वर्ग एक में 18 हजार का मानदेय दिया जाता है।
अतिथि शिक्षकों कुछ बात का मलाल है कि मंहगाई के दौर में जानबूझकर दो माह के लिए शासन अलग कर देता है ताकि कहीं इसके लिए वह नियमितीकरण के प्रावधान की दायरे में ना आ जाएं इसलिए हर साल उन्हें अप्रैल में ही भी बेदखल कर दिया जाता है।
नरसिंहपुर जिले में करीब डेढ़ से 2000 अतिथि शिक्षक हैं और अब वह फिर जुलाई, अगस्त में ही सेवाएं दे सकेंगे। यह बात अतिथि शिक्षक बखूबी जानते हैं कि न्यायालय के निर्देश पर ही उन्हें हर अगले सत्र से रख लिया जाता है अन्यथा अतिथि शिक्षकों को लिए यह भी भरोसा नहीं रहता था कि वह दोबारा उस विद्यालय में अपनी सेवाएं दे सकेंगे या नहीं ।
मध्यप्रदेश अतिथि शिक्षक संघ के एक पूर्व पदाधिकारी शशिकांत मिश्रा के अनुसार भला हो कोर्ट का कि उसके आदेश से अब उन्हें अतिथि शिक्षकों को हर साल पुनः सेवा में रख लिया जाता है ।
इस सिलसिले में जिला अतिथि शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष बृजेंद्र सोनी कहते हैं कि 2007-08 से यही स्थिति हो रही है कि अतिथियों को दो माह के लिए अलग कर दिया जाता है ताकि वह नियमितीकरण की दायरे में ना आए। नियमितीकरण की मांग तो हमेशा से होती रही है।
एक अन्य अतिथि शिक्षक दीप्ति सोनी कहती हैं कि दुर्भाग्य कि उन्हें नियमित नहीं किया जाता जबकि वह 10 वर्षों से सेवाएं दे रही हैं ।
करेली ब्लॉक के ग्रामीण इलाके में पदस्थ अतिथि शिक्षक राकेश पटेल कहते हैं कि गांव के हाई स्कूल में वह कई सालों से पढ़ा रहे हैं लेकिन नेता अपनी पहचान के लोगों को रखवाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। एड़ी चोटी का जोर लगाया जाता है इससेे उनकी सेवाएं सुरक्षित नहीं हैं। सरकार को चाहिए कि वह कम से कम संविदा पर कर दे।
अतिथि शिक्षक संघ के प्रांतीय वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं जिला अतिथि संघ के अध्यक्ष शिवकुमार सोनी कहते हैं कि नर्मदा पुरम एवं जबलपुर में अतिथि शिक्षकों को निर्वाचन कार्य में बुलाने की आदेश तो हैं लेकिन अभी नरसिंहपुर जिले में ऐसा नहीं है। वह सरकार से जरूर मांग करते हैं कि वह भी अतिथि शिक्षक भी सरकार के कार्य का हिस्सा हैं अगर निर्वाचन कार्य में वह उनकी सेवाएं लेते हैं तो सिर्फ़ मानदेय का भुगतान भर कर दें। सोनी कहते हैं कि जिस कार्य में सुरक्षा बीमा कवर रहता है वह कई बार राहत देता है। सोनी का कहना है कि 2 सितंबर 2023 को महापंचायत में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई घोषणाएं की थी उसमें सिर्फ एक घोषणा ही यह पूरी हुई है कि मानदेय थोड़ा सा बढ़ा है। तीन-चार महीने पहले ही बढोतरी हुई है पर कई घोषणाएं अभी भी अधूरी है। अतिथियों को अगर निर्वाचन कार्य में रखा जाता है तो उन्हें भी दो पैसे मिलते रहेंगे । घर का खर्च चल सकेगा।