भोपाल। मध्यप्रदेश में बेरोज़गारी से मौत की एक और दर्दनाक कहानी सामने आई है। जहां जबलपुर में एक नौजवान इंजीनियर ने अपने घर के कुए में कूदकर आत्महत्या कर ली। 32 वर्षीय इस नौजवान ने आठ साल पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी जिसके बाद उसे एक नौकरी की उम्मीद थी लेकिन लगातार प्रयासों के बाद भी उसे वह नौकरी नहीं मिली।
मामले में एक और महत्वपूर्ण बात ये रही कि युवक के पिता ने मीडिया को बताया कि उनका बेटा अक्सर कहता था कि शिवराज सरकार ने रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर नौजवानों की रोज़गार की आस पूरी तरह खत्म कर दी है।
जबलपुर शहर में की रांझी पुलिस के द्वारा दैनिक भास्कर अख़बार को दी गई जानकारी के अनुसार मानेगांव आदर्श नगर निवासी फैक्ट्री से रिटायर गुलाब चंद देशमुख के दो बेटों में से 31 वर्षीय छोटे बेटे सुरेंद्र ने 2012 में इंजीनियरिंग पूरी की थी। पुलिस ने बताया कि बड़ा बेटा महेंद्र प्राइवेट स्कूल में पढ़ाता है जबकि तो सुरेंद्र बेरोज़गार था। वह नौकरी के लिए कई विभागों की परिक्षाएं दे चुका था लेकिन नौकरी न मिलने के कारण तनाव में था।
सुरेंद्र ने अपने घर के बरामदे में ही बने एक कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली। परिवार के सदस्यों ने बताया कि रात को उसने खाना खाया और सोने चला गया। इसके बाद सुबह जब काफी देर तक वह कमरे से बाहर नहीं आया तो परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरु की और इसी दौरान उसका शव कुए में तैरता नजर आया। सुरेंद्र ने कुए में कूदने से पहले सुरक्षा जाली को भी हटाया था। बेटे की आत्महत्या के बाद परिवार बेहाल है। वहीं इस घटना के बाद बेरोज़गारी की भयावहता की ओर फिर से लोगों का ध्यान गया है।
मध्यप्रदेश में बेरोज़गारी की स्थिति…
मध्यप्रदेश में रजिस्टर्ड शिक्षित बेरोज़गारों का आंकड़ा 29.33 लाख है। पिछले साल दिसंबर तक यह करीब 28 लाख था। इसमें बीते एक साल में ही सात लाख की बढ़ोत्तरी हुई थी। पीपुल्स समाचार पत्र में पांच अक्टूबर 2020 में प्रकाशित सीताराम ठाकुर की एक खबर के अनुसार इन 29.33 लाख बेरोज़गारों में से केवल 360 लोगों को ही सरकारी नौकरी मिली है हालांकि ख़बर बताती है कि सरकार का दावा है कि अपने कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से 26000 लोगों को नौकरी दी है। इस दौरान प्लेसमैंट पर करीब 82 करोड़ रुपये भी खर्च किए गए। वहीं इसके पहले यानि साल 2018 में सरकार ने 160 करोड़ रुपये खर्च कर 45624 युवाओं को नौकरी दी थी।
इसी ख़बर के अनुसार प्रदेश में साल 2018 में 7.48 लाख युवाओ ने रोज़गार पंजीयन करवाया था और इसके अगले ही साल यह संख्या 19.08 प्रतिशत बढ़कर 8.47 लाख हो गई थी।