भोपाल। प्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी बीते एक 18 अप्रैल से भूख हड़ताल कर रहे हैं। ये कर्मचारी सरकार से नाराज़ हैं। कुछ महीने पहले जब इन्होंने हड़ताल की थी तो सरकार ने इन्हें आश्वासन देकर मना लिया था, लेकिन आश्वासन अधूरा ही रहा। ऐसे में अब हज़ारों की संख्या में ये संविदा कर्मी धरने पर बैठे हैं।
राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में इनकी सभा हो रही है जहां कर्मचारी नेता सरकार की वादाखिलाफी को लेकर कर्मचारियों से बात कर रहे हैं। प्रदेश के ये 32 हजार कर्मचारी सरकार के लिए मुसीबत साबित हो सकते हैं क्योंकि ये स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए एक अहम कड़ी हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी इनके पक्ष में आवाज़ उठाई है। उन्होंने कहा है कि कोरोना में जब इन कर्मियों की सबसे ज्यादा जरुरत थी तो सरकार इन्हें कोरोना योद्धा कह रही थी और अब उनकी मांगें भी नहीं सुनी जा रहीं हैं।
मध्य प्रदेश में हज़ारों संविदा स्वास्थ्य कर्मी 20 दिन से हड़ताल पर हैं। कोरोना माहमारी के दौरान सरकार इन्हें कोरोना योद्धा बता रही थी और आज ये अपनी माँगों को लेकर आंदोलनरत हैं।
स्वास्थ्य सेवाएँ बदहाल है ऐसे में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल से आम जनता को बहुत परेशानी हो…
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) May 8, 2023
बता दें कि यह आंदोलन एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के आवाह्न पर किया जा रहा है। कुछ महीने पहले जब संविदाकर्मियों ने हड़ताल की थी तो सरकार को काफी परेशानी हुई थी।
उस समय संविदाकर्मचारियों ने अपने खून तक से पोस्टर बनाकर सरकार को अपनी परेशानी बताई थी जिस पर आश्वासन मिला, लेकिन हल नहीं निकला। अब फिर ये कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
सोमवार को ये संविदा कर्मचारी अपने परिवार के साथ नीलम पार्क में धरना दे रहे हैं। ये बता रहे हैं कि संविदाकर्मी और उनका परिवार किस तरह परेशान हैं।
भोपाल के नीलम पार्क में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का प्रदर्शन।#mpnews #संविदा_स्वास्थ्य_कर्मचारी pic.twitter.com/e45wPQQKu3
— Deshgaon (@DeshgaonNews) May 8, 2023
संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की मांगें –
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारियों को विभाग में रिक्त पदों पर नियमित किया जाए।
- अन्य कर्मचारियों को 5 जून 2018 को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पारित की गई नीति रेगुलर कर्मचारियों के समकक्ष 90% वेतनमान तत्काल लागू किया जाए।
- सीएचओ कैडर को MLHP तहत नियमित किया जाए।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाकर आउटसोर्स ठेका प्रथा खत्म की जाए।
- सपोर्ट स्टॉफ कर्मचारियों को पुनः राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मर्ज किया जाए अथवा विभाग में रिक्त पदों पर समायोजन किया जाए।
- निष्कासित कर्मचारियों को शत-प्रतिशत वापस लिया जाए।
- 5 दिसंबर से 3 जनवरी तक की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान जिन कर्मचारियों पर पुलिस प्रकरण दर्ज किए गए हैं, उन्हें तत्काल वापस लिया जाए।