नरसिंहपुर। प्रदेश में कोयले की कमी बताई जा रही है और इसका असर खेतों में नज़र आ रहा है। बिजली नहीं है तो किसान अपनी फसलों की सिचाई नहीं कर पा रहे हैं। नरसिंहपुर जिले में बिजली की परेशानी दूसरी जगहों जैसी तो नहीं है लेकिन यहां वोल्टेज कम है ऐसे में किसान मोटर चलाकर सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। किसानों के मुताबिक उनके पास बिजली बस कहने को है।
क्षेत्र में वोल्टेज की कमी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। आलम यह है कि अब सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण बिजली दफ्तर जाकर अपनी परेशानी बता रहे हैं लेकिन इसके बाद भी उनकी समस्या हल नहीं हो रही है। वहीं बिजली न होना भी एक समस्या है। ग्रामीणों के मुताबिक दिनभर खेतों में वोल्टेज का इंतजार करते हैं और निराश होकर जब लौटते हैं तो घरों में भी बिजली नहीं होती।
किसान परेशान हैं क्योंकि यह सीज़न मूंग, उड़द और गन्ने का है। इन फसलों में सिंचाई ज़रूरी है नहीं तो बड़ा नुकसान संभव है लेकिन वोल्टेज की कमी से सिंचाई ठप पड़ी है।
किसानों के मुताबिक बिजली है भी और नहीं भी क्योंकि वे बाकी प्रदेश की तरह बिजली न होने की शिकायत नहीं कर रहे हैं बल्कि कम वोल्टेज की शिकायत कर रहे हैं ऐसे में उनकी बात को न तो अधिकारी गंभीरता से ले रहे हैं और न ही राज्य सरकार।
किसान बताते हैं कि यह समस्या बीते कई दिनों से जारी है और वे इसे लेकर कई बार ज्ञापन दे चुके हैं लेकिन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि वे चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
भीषण गर्मी के इस मौसम में बिजली की खपत बढ़ने का असर यह है कि सैकड़ों किसानों की मूंग और उड़द की फसल प्रभावित हो रही है।
ज़िले के कौड़िया गांव के किसान हेमराज राजपूत ने करीब चार एकड़ के रकबे में मूंग की फसल लगाई है पर वह अब इसे घाटे का सौदा मान रहे हैं।
हेमराज के मुताबिक बिजली कटौती और वोल्टेज की समस्या से सिंचाई नहीं हो पाने फसल सूख रही है। पिछले हफ्ते ही किसान और उनसे जुड़े संगठनों ने गाडरवारा में बिजली व्यवस्था में सुधार को लेकर ज्ञापन भी सौंपा था पर स्थिति जस की तस है।
इस इलाके में सब्ज़ियों की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है। यहां सब्ज़ी उगाने वाले किसान भी परेशान हैं क्योंकि वे अपनी फसल में पानी नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में सब्ज़ियों का उत्पादन प्रभावित होना तय है। इस स्थिति बाज़ार की अर्थव्यवस्था भी बिगाड़ सकती है क्योंकि सब्ज़ियों की गुणवत्ता और मात्रा यदि कमतर रही तो दाम बढ़ेंगे। सब्ज़ी व्यापारियों के मुताबिक भले ही दाम कम समय के लिए बढ़ें लेकिन यह आम लोगों को परेशान करते हैं।
लगभग ढाई एकड़ जमीन में गिलकी ,भटा, टमाटर की उगाने वाले एक अमित कुशवाहा का कहना है कि दूरदराज गांव में बिजली की और अधिक समस्या है। मोटर चलाने के लिए वोल्टेज नहीं है और गर्मी के इस समय में सब्जियों की की फसलें सूखने लगी हैं और जो फसल आ रही है उसका उत्पादन बेहद कम है।
ज़िले में बिजली की स्थिति की बात करें तो मार्च 2022 में मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से जिले को 1786. 35 लाख यूनिट बिजली मिली थी जबकि यह खपत इस अप्रैल 2022 में बढकर 2242.74 लाख यूनिट हो गई है। मई के महीने में भी यह लगातार बढ़ रही है जबकि अप्रैल 21 में जिले को कुल 2013.10 लाख यूनिट बिजली मिली थी।
हां, पावर सप्लाई तो प्रभावित हुई है। उसके वैसे तीन प्रमुख कारण हैं। एक तो यह है कि नरसिंहपुर जिले में ग्रीष्मकालीन फसल का रकबा बढ़ा है जबकि हमारा अंदाज रहता है कि 5 से 10% बढ़ेगा। दूसरा कारण यह है कि एक ही समय में अधिक पंप चलते हैं तो उससे वोल्टेज ड्रॉप हो जाता है। इसे किसानों को भी समझना होगा और तीसरा यह कि पावर सप्लाई अकेले नरसिंहपुर बल्कि मध्य प्रदेश बल्कि पूरे भारत में प्रभावित हुई है, हम जल्द ही नए फीडर लगाएंगे, ट्रांसफार्मर लगेंगे तो सब सामान्य हो जाएगा लेकिन इसमें थोड़ा समय लग सकता है।
राकेश साहू, अधीक्षण यंत्री मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी , नरसिंहपुर
नरसिंहपुर ज़िले में दलहन की पैदावार काफी होती है। पिछले वर्ष इस मौसम में उड़द का रकबा लगभग 90 हजार हेक्टेयर था तो इस बर्ष यह 1.20 लाख हेक्टेयर में है जबकि गन्ना 65000 हेक्टेयर में लगाया गया है।
आरआर त्रिपाठी, उपसंचालक कृषि ,नरसिंहपुर
सांसद कर रहे सोलर की मांग…
इधर नरसिंहपुर होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र के सांसद राव उदय प्रताप सिंह ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर नरसिंहपुरव होशंगाबाद जिले में सोलर पैनल योजना को फिर से शुरू करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि सब्सिडी पर किसानों को सोलर पैनल मिलेंगे तो सिंचाई के लिए बिजली पर निर्भरता को एक हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।