इंदौर। लोकतंत्र की जवाबदेही मीडिया की भी है, लेकिन यह चौथा स्तंभ फिलहाल कई सवालों में है। देश की एक बड़ी आबादी का मानना है कि मीडिया अपनी जवाबदेही के मुताबिक काम नहीं कर रहा है। ऐसे में बहुत से लोग मीडिया से निराश भी हैं।
हालांकि, यह निराशा भी कई संभावनाओं और उम्मीदों को जन्म दे रही है। ऐसी उम्मीदें हमें भविष्य का मीडिया भी देंगी। इन्हीं उम्मीदों को साकार करने के लिए कुछ नौजवान काम कर रहे हैं और इन्हीं कोशिशों के तहत जन्म हुआ है द वूम्ब का।
यह महिलाओं के बारे में खबरें लिखने के लिए एक प्लेटफॉर्म है। जो समाज की हर तबके की महिलाओं के बारे में सभी तरह की ख़बरें लिखने के लिए प्रतिबद्ध है।
महिलाओं पर केंद्रित इस डिजिटल प्लेटफॉर्म को बनाने वाली हैं अवनी बंसल। ऑक्सफोर्ड और हॉवर्ड जैसे दुनिया के कुछ बेहद प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ीं अवनी सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और वकील होने के नाते महिलाओं के अधिकार अच्छी तरह जानती हैं।
अवनी इस बारे में काफी समय से काम करती रहीं हैं। वे अपने यूट्यूब चैनल ‘हमारा कानून’ पर कानूनी सलाह भी देती हैं। ऐसे में अब उन्होंने महिलाओं की ख़बरों के लिए यह प्लेटफॉर्म शुरू किया है। इस काम में अवनी का साथ दिया है श्रीनिवास रायप्पा ने।
श्रीनिवास इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं। आईटी का काम उन्हें पसंद है। श्रीनिवास की प्रोफाइल के मुताबिक वे महिलाओं से प्रेरित नज़र आते हैं और महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने की प्रेरणा उन्हें अपनी मां और बहनों से मिलती है।
शायद यही वजह है कि उन्होंने अवनी के साथ मिलकर आईटी के ज्ञान और महिलाओं के प्रति इसी संवेदनशीलता के साथ द वूम्ब बनाया।
इस बारे में हमारी बात अवनी बंसल से हुई। अवनी ने हमें बताया कि महिलाएं इस देश की पचास प्रतिशत आबादी हैं, लेकिन उनकी ख़बरें गायब हैं। ये ख़बरें केवल पेज तीन पर ही सीमित कर दी जाती हैं।
ऐसे में द वूम्ब प्लेटफॉर्म तैयार किया गया। इसमें महिलाओं के बारे में तमाम तरह की ख़बरें होंगी। यहां महिलाओं से जुड़ी सकारात्मक ख़बरें भी होंगी जो लोगों को प्रेरित करती हैं।
इसके अलावा द वूम्ब एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी पर भी फोकस कर रहा है। अवनी कहती हैं कि यह समाज का एक बेहद संवेदनशील तबका है जिसके बारे में समझदारी से लिखा और बताया जाना चाहिए।
ऐसे में उनके प्लेटफॉर्म ने भी इस काम की ज़िम्मेदारी उठाई है। वे कहती हैं कि वे महिलाओं और LGBTQ पर लिखना चाहने वाले होनहार लोगों को खोज रहीं हैं उन्हें आमंत्रित कर रहीं हैं कि वे आएं और इन मुद्दों पर खुलकर, लेकिन ज़रूरी संवेदनशीलता के साथ लिखें ताकि भारत की इस आधी आबादी के बारे में ज़िम्मेदारी से लिखने वाला कम से कम एक मुकम्मल मंच तैयार हो सके।
हालांकि इस मंच से अब तक कफी संख्या में छात्र और दूसरे पेशों से जुड़े नौजवान जुड़ चुके हैं। अवनी कहती हैं कि वे लगातार लोगों से इन विषयों पर लिखने की अपील करती हैं।
वे कहती हैं कि वे इस तरह से भी अपने समाज में अपना योगदान दे सकती हैं और वे समझती हैं कि ऐसा ही अन्य लोग भी करें तो दुनिया बेहतर होती जाएगी।