महीनों वेतन का इंतज़ार करने वाले अतिथि शिक्षकों की कच्ची नौकरी में भी पक्की शर्त! एमपी सरकार के फैसले से करीब बीस हजार रोजगार पर है खतरा


तीस प्रतिशत से कम रिजल्ट पर नहीं मिलेगी इस नए सत्र में नौकरी, कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं, खराब रिजल्ट वाले स्कूलों से जुड़े शिक्षकों को सता रही बेरोजगारी की चिंता।


ब्रजेश शर्मा
उनकी बात Published On :

सरकार के फरमान से करीब 20 हजार अतिथि शिक्षकों की बढ़ गई टेंशन

पन्ना जिले के एक क्षेत्र पवई के हाईस्कूल स्कूल में पदस्थ अतिथि शिक्षक राम मनोहर इस समय सरकार के फरमान से टेंशन में हैं कि उनके स्कूल का बोर्ड परीक्षा का परिणाम इस बार 28 फ़ीसदी आया है तो उन्हें स्कूल में फिर से सेवाएं देने का मौका नहीं मिलेगा । किसी प्राइवेट स्कूल में जॉब देखना पड़ेगी ।

राम मनोहर जैसे करीब 20000 अतिथि शिक्षकों के अध्यापन भविष्य पर सरकार के एक फरमान ने चिंता बढ़ा दी है। आयुक्त लोक शिक्षण ने एक आदेश जारी कर कहा है कि अगर किसी स्कूल में दसवीं और बारहवीं बोर्ड का परीक्षा परिणाम 30 फ़ीसदी से कम है तो ऐसे अतिथि शिक्षकों को आगामी सत्र में नहीं बुलाया जाए यानी उनकी सेवाएं नहीं ली जाएं। इस फरमान से प्रदेश के लगभग 72 हजार अतिथि शिक्षकों में से 20000 से ज्यादा शिक्षक प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे स्कूल जहां परीक्षा परिणाम ज 30 प्रतिशत से कम रहा है वहां के अतिथि शिक्षक इस नौतपा के वक्त बहुत अधिक टेंशन में हैं। प्रदेश के अधिकांश जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों ने सभी संकुल और विभिन्न स्कूलों के प्राचार्यों को तदाशय के परिपत्र यानी सर्कुलर जारी कर दिए ।

अतिथि शिक्षकों को वैसे हर साल सरकार के किसी न किसी तुगलकी आदेश से परेशानियां झेलने पड़ती हैं। उनके अध्यापन भविष्य पर हमेशा सरकार की खिंची तलवार उनकी टेंशन बढ़ाती है इस बार भी सत्र शुरू होने से पहले अतिथि शिक्षकों की टेंशन बढ़ गई है प्रदेश में ऐसे कई जिले हैं जहां एमपी बोर्ड के परीक्षा परिणाम 30% से कम हैं। इस सिलसिले में अब आदेश जारी कर दिए गए हैं कि ऐसे शिक्षकों को आगामी सत्र से नहीं बुलाया जाए।

मध्यप्रदेश अतिथि शिक्षक संघ सरकार के इस आदेश से परेशान होकर अब आंदोलन की तैयारी में है। जैसा कि अतिथि शिक्षक सत्येंद्र पटेल कहते हैं कि उनके स्कूल का परीक्षा परिणाम भी 29 फ़ीसदी आया है पर वह गणित विषय की अतिथि शिक्षक रहे। गणित का विषय का परिणाम अच्छा रहा लेकिन दूसरे विषयों में अगर परिणाम आशा के अनुरूप नहीं है इसका खामियाजा अतिथि शिक्षकों को क्यों भुगतना पड़े जबकि दूसरे विषयों के शिक्षक स्थाई शिक्षक हैं उनकी जिम्मेदारी भी तय होना चाहिए ।

अतिथि शिक्षक संघ नरसिंहपुर के जिला अध्यक्ष एवं संगठन के प्रांतीय कार्यकर्ता शिवकुमार सोनी कहते हैं कि यह इत्तेफाक है कि नरसिंहपुर जिले में एमपी बोर्ड का 30 फीसदी से कम रिजल्ट वाला ऐसा कोई स्कूल नहीं है कि लेकिन हमारे अतिथि शिक्षक भाइयों ने स्कूल के टीचिंग स्टाफ के साथ कंधे से कन्धा मिलकर परिश्रम किया है।

सोनी आगे बताते हैं कि उन्हें पूरा 10 माह पढ़ाने को नहीं मिला ना ही पूरा वेतन मिला अभी भी माह मार्च अप्रैल का मानदेय नहीं मिला है। फिर भी अपने खर्चे पर स्कूल जाकर उन्होंने बच्चों को पढ़ाया और 70 से 100% के आसपास संपूर्ण नरसिंहपुर जिले में रिजल्ट दिया है।

एस के सोनी, जिला अध्यक्ष मध्य प्रदेश अतिथि शिक्षक संघ नरसिंहपुर एवं प्रांतीय कार्यकर्ता

स्कूल में टीचिंग स्टाफ के साथ उनका कार्य व्यवहार भी अच्छा रहा है और उन्होंने अपने कर्त्तव्यों से आगे बढ़कर जिम्मेदारियां का निर्वाहन किया है।

संपूर्ण प्रदेश में कहीं पर भी 30% से कम रिजल्ट देने वाले अतिथि शिक्षकों को दुर्भावना के कारण हटाया जाता है।

अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार कहते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के संबंध में आदेश करवाने एवं 30% से कम रिजल्ट का ठीकरा अतिथि शिक्षकों के सिर फोड़ने की विरोध में उनका संगठन 10 जून को सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगा, ज्ञापन देगा।

परिहार द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट

परिहार के अनुसार ऐसे आदेश की स्थिति में सभी परीक्षा परिणाम की समीक्षा की जाना चाहिए। जहां रिजल्ट 30% से कम है वहां पिछले वर्षों का परिणाम एवं सेवाकाल भी देखा जाना चाहिए। कई जगह अतिथि शिक्षकों को सिर्फ तीन-चार महीने ही पढ़ाने का मौका मिला। ऐसी स्थिति में परिणाम कहां तक बेहतर होंगे और इस बार तो चुनाव की वजह से काफी व्यवधान आए कि बच्चों को पढ़ाने में मुश्किलें हुई।

नया फरमान 60% से कम नंबर वाले बच्चे स्कूल से होंगे बाहर

एक अतिथि शिक्षक सरकार के आदेश पर काफी खफा हैं। कहते हैं कि सरकार बढ़ती बेरोजगारी के बाद भी इस तरह के अत्याचार कर रही है । एक तरफ अतिथि शिक्षक पहले से ही परेशान है। उन्हें बाहर का रास्ता दिखा रही है तो अब बच्चों को भी नहीं छोड़ रही है।

वह बताते हैं कि हाल ही में आयुक्त लोक शिक्षण संचनालय ने यह आदेश भी जारी कर दिए हैं कि ऐसे मॉडल या एक्सीलेंस स्कूल जहां दसवीं बोर्ड में किसी बच्चे का परीक्षा परिणाम 60% से कम है तो ऐसे बच्चों को स्कूल से बाहर किया जाएगा। उन्हें ग्यारहवीं में दाखिले के लिए दूसरे स्कूल जाना पड़ेगा यह कहां तक न्याय संगत है ।

अतिथि शिक्षक यह बता रहे समस्याएं 

  • अधिकांश स्कूलों में 10 में से 6 7 महीने ही उन्हें मिलता है पढ़ाई का मौका, कहीं कहीं सितंबर अक्टूबर तक ही मिल पाती है पढ़ाने की स्वीकृति।
  • 40 फ़ीसदी से ज्यादा अतिथि शिक्षक सितंबर अक्टूबर तक ही पाते हैं स्वीकृति।
  •  अतिथि शिक्षकों को कई महीनो का मानदेय समय पर नहीं ,जैसे अप्रैल का अब तक नहीं।
  • अतिथि शिक्षक कई किलोमीटर दूर पहुंचते हैं अध्यापन कराने।
  • स्थाई शिक्षकों और अतिथि शिक्षकों के परीक्षा परिणाम की नहीं की जाती समीक्षा।
  • अतिथि शिक्षकों को विषय वार प्रशिक्षण नहीं दिया जाता।

उल्लेखनीय है कि बीते साल चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह ने अतिथि शिक्षकों की पंचायत बुलाई थी और उनका वेतन दोगुना कर दिया था वहीं उन्हें नियमित भर्ती में पचास फीसदी आरक्षण भी दिया था। हालांकि इसके बाद भी इन अस्थाई कर्मियों को वेतन संबंधी मामलों में खासी परेशानी हुई।


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