माननीयों को इतनी पेंशनें तो हमें हमारी पुरानी पेंशन क्यों नहीं! मप्र में तेज़ हो रहा है कर्मचारियों का आंदोलन


प्रदेश में नई पेंशन योजना में 4.83 लाख कर्मचारी पंजीकृत हैं, सरकार ने इन्हें पुरानी पेंशन योजना देने से मना कर दिया है तो कांग्रेस ने सरकार बनने पर लागू करने का वादा किया है।


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उनकी बात Updated On :

भोपाल। प्रदेश के कर्मचारी एक सुर में पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए तमाम ज़िलों में प्रदर्शन हो रहे हैं और अब आंदोलन की तैयारी है। इसी के तहत पिछले दिनों उज्जैन में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ जहां बड़ी संख्या में कर्मचारी पहुंचे। इन कर्मचारियों ने एक सुर में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की है। आने वाले दिनों में प्रदेश में ऐसे कार्यक्रम और भी होंगे। ऐसे में सीधा खतरा सत्ताधारी दल भाजपा को है जिन्होंने इस पुरानी पेंशन योजना को खारिज कर दिया है और कांग्रेस ने इस योजना को लागू करने की बात कही है।

वैसे तो पुरानी पेंशन की मांग और इसकी चर्चा भी काफी समय से चल रही है लेकिन पिछले कुछ दिनों में इसकी चर्चा काफी ज्यादा हो रही है। योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने बीते छह जनवरी को कहा कि पुरानी पेंशन योजना लागू करना वित्तीय दिवालियेपन का एक नुस्ख़ा है। भाजपा की सरकारें जहां पुरानी पेंशन योजना को ऐसे ही तथ्य बताकर खारिज कर रहीं हैं तो वहीं कांग्रेस सरकार इसे लागू कर रही हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश में इसे लागू किया जा चुका है और आम आदमी पार्टी ने पंजाब में भी इसे लागू कर दिया है।

मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां राज्य में 4.83 लाख सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत पंजीकृत हैं और एक तरह से सभी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग करते हैं लेकिन हालही में सरकार ने भाजपा विधायक दिनेश राय मुनमुन के द्वारा विधानसभा में इसे लेकर सवाल किया गया और सरकार ने इस पर जवाब दिया कि पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है।  ज़ाहिर है सरकार इसके बारे में नहीं सोच रही है लेकिन कांग्रेस की नज़र 4.83 लाख कर्मचारियों पर है। ऐसे में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का यह कदम कर्मचारियों के वोट हांसिल करने के लिए ही उठाया है और अब तक यह उसके हित में भी नजर आ रहा है।

पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस सरकार आती है तो वे पुरानी पेंशन योजना लागू करेंगे। कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना को लागू करने की सोच रही है और भाजपा अब मोंटेक सिंह आहलूवालिया के बयान को आधार बनाकर कांग्रेस पर यह आरोप लगा रही है कांग्रेस देश को इस तरीके से वित्तीय घाटे की ओर पहुंचा रही है लेकिन कर्मचारी इसे लेकर लामबंद हैं।

पिछले 8 जनवरी, रविवार को उज्जैन में पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन में हजारों की संख्या में कर्मचारी शामिल हुए। प्रदर्शन   नाम के संगठन के द्वारा किया गया। पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए यह संगठन खासा सक्रिय है।

 

संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु लखनऊ से इस कार्यक्रम में पहुंचे थे। संगठन सीधे तौर पर कहता है कि जो सरकार कर्मचारियों के पेंशन के हित को ध्यान में रखकर काम करेगी वह उनका साथ देगा। ऐसे में मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सीधा लाभ मिलता हुआ दिख रहा है।

विजय कुमार बंधु, कर्मचारी नेता

विजय कुमार बंधु से हमने इस बारे में बात की। यहां उन्होंने बताया कि पेंशन किसी भी कर्मचारी का अधिकार है उसको सरकार अपना बोझ कैसे बता सकती है। बंधु अपनी बात मजबूत करने के लिए एक उदाहरण देते हुए कहते हैं कि नई पेंशन स्कीम के तहत एक 55 हजार रुपये महीने वेतन पाने वाले कर्मचारी को उसके रिटायरमेंट पर अधिकतम केवल 4000 रुपये तक पेंशन मिल रही है ऐसे में वह काम से रिटायर होने की अवस्था में कैसे इतने पैसे में अपना घर चला सकता है।

बंधु कहते हैं कि सरकार केवल कर्मचारियों के ही पेंशन पर क्यों ध्यान दे रही है निर्वाचित सदस्यों को मिलने वाली पेंशन पर क्यों ध्यान नहीं दिया जाता। उनके मुताबिक अच्छी पेंशन कर्मचारी का अधिकार और जरुरत है और उसे पाने के लिए वे लगातार संघर्ष करेंगे।

पुरानी पेंशन लागू करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने भले ही इंकार कर दिया हो लेकिन कर्मचारी इसे लेकर गंभीर हैं। नाम प्रकाशित ने करने के अनुरोध पर इंदौर जिले में कार्यरत एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पेंशन को लेकर साथी कर्मचारियों और अधिकारियों की कई शिकायतें हैं। वे बताते हैं कि उनके विभाग में काम करने वाले कई कर्मचारी जो पहले चालीस से पचास हजार रुपये वेतन पाते थे वे अब पेंशन के रुप में केवल डेढ़ से दो हजार रुपये तक ही ले रहे हैं ऐसे में किसी का घर कैसे चल सकता है।

इंदौर के ही एक अन्य कर्मचारी गोपनीयता की शर्त पर बताते हैं कि वे इस बार रिटायर होने वाले हैं और उनके बेटे-बहू पहले ही अलग रहने लगे हैं। इन कर्मचारी को रिटायरमेंट पर करीब डेढ़ हजार रुपये मिलेंगे। वे कहते हैं कि उनके पास अपना घर है इसलिए परेशानी नहीं लेकिन रिटायरमेंट के बाद भोजन भी उनके लिए मुश्किल होगा क्योंकि भोजन बनाने के लिए गैस की टंकी भी बारह सौ रुपये की है। ऐसे में वे पति-पत्नी अपना भोजन कैसे खरीदेंगे और कैसे बनाएंगे। इन कर्मचारी की पत्नी की दिल की बीमारी है जिसके लिए हर महीने करीब डेढ़ दो हजार रुपये की दवाएं लगती हैं इसका खर्च अलग है।

इनकी तरह कई हजार कर्मचारी परेशान हैं। केंद्र सरकार के स्तर पर पुरानी पेंशन योजना लागू करने को वित्तीय संकट का सौदा माना जा रहा है लेकिन  इन कर्मचारियों को समझ नहीं आ रहा है कि वे पहले अपने इस हाल की चिंता करें या पेंशन लागू होने के बाद बिगड़ सकने वाले देश के हाल पर। ज़ाहिर है कर्मचारी इस मामले में सरकार से नाराज़ हैं वे मांग कर रहे हैं कि पुरानी पेंशन स्कीम फिर शुरु की जाए ताकि महंगाई के दौर में कर्मचारी रिटायर होने के बाद भी अपनी ज़िंदगी आसानी से गुजार सकें।

जिम्मी सक्सेना, कर्मचारी

इंदौर में जिमी सक्सेना भी नई पेंशन स्कीम पाने जा रहे हैं हालांकि उनका रिटायरमेंट काफी दूर है लेकिन वे आज के रिटायर हो चुके अपने सीनियर साथियों को देखकर परेशान हैं। जिमी नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के सक्रिय सदस्य हैं और कहते हैं कि पुरानी पेंशन लागू करने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं है। उनके मुताबिक वे सरकार से लगातार विनती कर रहे हैं कि कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाए क्योंकि सरकार इतने विकास कार्यों में खर्च करती रहती है ऐसे में अगर कर्मचारियों को भी थोड़ी सहूलियत दे दी जाए तो बुराई नहीं। जिमी बताते हैं कि आने वाले दिनों में प्रदेश में सरकारी कर्मचारी अपनी इस मांग को और भी तेज़ी से उठाएंगे।


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