उफ़नती पहाड़ी नदी को रस्सियों के सहारे पार कर श्मशान पहुंची शवयात्रा


अब तक यही स्थिति, वर्षों से कर रहे हैं शिकायत लेकिन बेअसर, जयस के सदस्यों ने की मदद


अरूण सोलंकी
उनकी बात Updated On :

इंदौर। बारिश के दौरान प्रदेश भर से लोगों की परेशानियों की कई तस्वीरें आईं इसी कड़ी में नई तस्वीर आई है। यह तस्वीर ख़ास तौर पर परेशान करने वाली इसलिए है क्योंकि यह प्रदेश के सबसे विकसित कहे जाने वाले जिले इंदौर की है और विडंबना इसलिए क्योंकि यह उस महू इलाके की है जहां दलित पिछड़ों के मसीहा आंबेडकर जन्मे थे। वैसे तो यह तहसील प्रदेश की सबसे विकसित तहसीलों में गिनी जाती है लेकिन यहां भी नागरिक मरने के बाद तक परेशानियों से जूझते रहते हैं। 

आदिवासी बाहुल्य छापरिया इलाके में गुरुवार को एक शव यात्रा उफ़नते नाले को पार कर श्मशान तक पहुंच सकी। 31 अगस्त को बिरजा भूरिया का 85 की उम्र में निधन हुआ। अगले दिन गुरुवार सुबह अचानक इलाके में बारिश शुरु हो गई और कई घंटे पानी गिरा। इसका असर पहाड़ी इलाकों में ज्यादा होता है सो यहां भी हुआ। परिवार वालों को  श्मशान तक पहुंचने के लिए पहाड़ी नदी पार करनी थी जो लगातार हो रही बारिश के पानी से उफ़न रही थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक ऐसी परिस्थितियां कई बार आईं हैं सो उन्होंने रस्सी आदि के कई जतन करके अपनी जान बचाते हुए नदी को पार तो कर लिया लेकिन अब तक वे इस अव्यवस्था  से पार नहीं पा सके हैं।

महू तहसील में कई गांव वन्य क्षेत्रों में भी आते हैं और यहां भी ठीक-ठाक विकासकार्य होते रहे हैं लेकिन बहुत से गांवों में परिस्थितियां सुधर नहीं सकी हैं। ग्रामीणों के मुताबिक इस बारे में सरपंच और दूसरे नेताओं को भी बताया लेकिन हल नहीं निकला। वहीं जनपद और जिला पंचायत के अधिकारी जानते हुए भी इन परेशानियों पर ध्यान नहीं देते।

ग्रामीणों ने बताया कि श्मशान तक पहुंचने के रास्ते में नदी- नालों की बाधाएं सालों से हैं ऐसे में उन्हें दो किमी की यह अंतिम यात्रा तमाम परेशानियां झेल कर पूरी करनी होती है। यहां मालवा पठार की सबसे उंची श्रंगार चोटी का से पानी आता है, रास्ते में दो नाले और पड़ते हैं जिनमें से एक पर छोटी सी रपट बनी हुई है और दूसरी पहाड़ी नदी को ऐसे ही पार करना पड़ता है।

गांव में प्रधानमंत्री सड़क योजना का लाभ भी नहीं मिला और ना ही पंचायत द्वारा रोड भी आधी-अधूरी बनाई गई। बताया जाता है कि मौके पर ग्रामीणों की मदद के लिए जयस के कुछ लोग भी पहुंचे। वहीं जयस के उपाध्यक्ष शेरसिंह परमार ने इस समस्या के बारे में लोगों को जानकारी दी। वहीं महू तहसील के अध्यक्ष भीम सिंह गिरवाल ने बताया कि यह स्थिति केवल छापरिया अकेले की नहीं हैं और भी कई गांव हैं जहां के आदिवासी सुविधाओं से वंचित हैं और इनमें से कुछ में तो सामाजिक भेदभाव भी जमकर होता है।


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