भोपाल। शिक्षक दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश में शिक्षक सरकार के विरोध पर उतारु हैं। इसके लिए एक बड़ी रैली उज्जैन से शुरु हो रही है। रैली का नेतृत्व प्रदेश शिक्षक संघ के जगदीश यादव करेंगे। इस रैली का मकसद प्रदेश सरकार का ध्यान शिक्षकों की परेशानियों की ओर खींचना है। यह रैली को पेंशन बहाली सत्याग्रह न्याय यात्रा का नाम दिया गया है। हालांकि इसके अलावा शिक्षक क्रमोन्नति और वरिष्ठता के साथ अनुकंपा नियुक्ति के मामले भी अहम हैं। यादव के मुताबिक यह यात्रा कई जिलों से गुजरेगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिक्षक दिवस के एक दिन पहले शिक्षकों का एक कार्यक्रम भोपाल में था। जहां मुख्यमंत्री के प्रशिक्षण के बाद से निमंत्रण पर प्रदेशभर के 52 जिलों से करीब 15 हजार नवनियुक्त शिक्षकों को बुलाया गया था। यहां उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री इन शिक्षकों को कुछ खास तोहफ़े देंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मुख्यमंत्री ने इन शिक्षकों को कई तरह किस्से सुनाए और उनकी मांगे पूरी नहीं कीं।
हालांकि जिन शिक्षकों को बुलाया गया था वे पहले से ही नौकरी कर रहे हैं और तय वेतन से कुछ कम वेतन भी पा रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों ने नियमित वेतन की उम्मीद की थी। वहीं शिक्षकों का प्रोबेशन पीरियड 3 वर्ष से दो वर्ष करने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों ने मुख्मयंत्री के कार्यक्रम में नारेबाज़ी कर दी।
इस कार्यक्रम के बाद शिक्षक संघ के अध्यक्ष जगदीश यादव ने मीडिया के सामने इसका खुलकर विरोध किया और इसका असर ये हुआ है कि खरगोन में पदस्थ यादव को रविवार के दिन ही नोटिस देकर निलंबित कर दिया गया।
यादव के मुताबिक सरकार ने शिक्षकों को झूठा आश्वासन देकर बुलाया। इस दौरान लाख़ों करोड़ों रुपये तक खर्च किये गये लेकिन शिक्षकों को जो मिलना चाहिए था व ह नहीं मिला। वहीं कुछ दूसरे शिक्षकों ने बताया कि सरकार ने शिक्षक दिवस के दिन ही शिक्षकों के साथ मज़ाक किया है। सरकारी पैसों को दुरुपयोग कर सरकार कर्मचारियों के साथ जनता तक का शोषण कर रही है।
दरअसल शिक्षक यह इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भोपाल के भेल मैदान में हुआ यह कार्यक्रम दरअसल एक बड़ा राजनीतिक कार्यक्रम नजर आ रहा था। जहां सरकार अपनी नीतियों के प्रति शिक्षकों का सर्मथन हांसिल करना चाहती थी। यहां मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए गए थे वहीं आठ एलईडी स्क्रीन और हजारों कुर्सियां भी लगाईं गईं लेकिन शिक्षकों के विरोध के बाद सरकारी अधिकारियों की मेहनत शायद फीकी पड़ गई।
संघ के अध्यक्ष जगदीश यादव के मुताबिक यह विडंबना है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान देने की बजाए शिक्षक हितों को दिखाने के लिए केवल कार्यक्रम कर रही है। ऐसे में अब न्याय यात्रा जरुरी हो चली है। यादव के मुताबिक आने वाले दिनों में यह यात्रा प्रदेश के कई हिस्सों में जाएगी जहां के शिक्षक इसमें शामिल होंगे।
यादव के मुताबिक एक बड़ा मुद्दा अनुकंपा नियुक्ति का है। साल 2014 से अनुकंपा नियुक्ति नहीं हुईं हैं। ऐसे में दिवंगत शिक्षकों के परिजन मुफलिसी में जी रहे हैं जबकि वे कानून के मुताबिक सरकारी नौकरी के अधिकारी हैं। प्रदेश के शिक्षा विभाग में ऐसे 1600 प्रकरण हैं लेकिन सरकार इस ओर भी संवेदनशील नहीं है।