सरकार की वोट की राजनीति से हताश शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी, 2018 की भर्ती चुनावी साल के नए वादों में भी अधूरी


शिक्षक भर्ती परीक्षा पास अभ्यर्थियों की कहानी, महीने भर से बैठे हैं भूख हड़ताल पर


DeshGaon
उनकी बात Updated On :

भोपाल। मप्र में इन दिनों विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरु हो चुकी हैं। जनता को रिझाने के लिए नए नए वादे किए जा रहे हैं और पुरानी सफल योजनाएं गिनाईं जा रहीं हैं। दोनों ही दल यह कर रहे हैं लेकिन इसमें तकरीबन बीस साल तक शासन करने वाली भाजपा की सरकार फिलहाल आगे है।

भारतीय जनता पार्टी की इस सरकार के पास प्रदेश में कुछ भी नकारात्मक दिखाने को नहीं है उन्हें केवल उजला प्रदेश ही दिखाना है क्योंकि उनका दावा है कि उनके राज में प्रदेश ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं।

हालांकि इस बीच कुछ दाग हैं जो प्रदेश सरकार के माथे से चिपके हुए हैं। इनमें बेरोजगारी का मसला सबसे अहम है। प्रदेश में फिलहाल करीब 30 लाख से अधिक रजिस्टर्ड बेरोजगार हैं और विपक्ष के आरोपों के हिसाब से तो ये आंकड़ा करीब एक करोड़ तक कहा जाता है।

प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति कैसी है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस समय भोपाल में सैकड़ों नौजवान अपने हिस्से की नौकरी के लिए पिछले करीब एक महीने से भी ज्यादा समय से भूख हड़ताल पर बैठे हैं।

जो नौजवान यहां बैठे हैं वे उन्होंने बीते विधानसभा चुनावों के समय परीक्षा पास की थी लेकिन अब तक इन्हें नौकरी नहीं मिल सकी है। अब एक बार फिर सीएम एक लाख नौकरियां देने का वादा कर चुके हैं लेकिन उन एक लाख में इन पुरानों को मौका मिलेगा कि नहीं यह उन्होंने नहीं बताया।

प्रदर्शन में बैठी रक्षा जैन और रचना व्यास बताती हैं कि उन्हें नौकरी की उम्मीद थी लेकिन अब तक कुछ नहीं मिला और केवल आंदोलन और धरना  देकर ही वे इस नौकरी की मांग करती आ रही हैं।

अभ्यर्थी बताती हैं कि जो भी लोग यहां मौजूद हैं उनमें से सभी अच्छे अंकों के साथ पास हुए, मेरिट में आए लेकिन इन्हें नौकरी नहीं मिली। इस बीच लगातार सरकार को मनाते रहे लेकिन इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ।

इस दौरान कई किस्म की अनियमितताएं भी होती रहीं। अभ्यर्थी बताते हैं कि 2018 में शिक्षक भर्ती में उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 17000 पद आए थे उनमें से 15000 पद पहली काउंसलिंग में और 2000 पद दूसरी काउंसलिंग के लिए सुरक्षित रखे गए थे परंतु विभाग ने पूरे 15000 पदों की पूर्ति नहीं की।

इस बीच पहले चरण से सभी श्रेणियों के लिए सुरक्षित 5935 पद खाली बचे थे वहीं माध्यमिक शिक्षकों के लिए निकाले गए 5600 पद में से 2223 पद अब भी खाली हैं। यानी साल 2018 में जो पद खाली थे सरकार ने उन्हें कभी नहीं भरा।

अभ्यर्थियों ने बताया कि  29/09/22 को विभाग ने विज्ञापन जारी कर अब भरी जा रही भर्तियों को नई भर्ती बता दिया। परंतु विभाग ने नई भर्ती के लिए कोई परीक्षा आयोजित नहीं की और पात्रता अवधि 2022 तक बढ़ा दी, ऐसे में यदि 2022 में अभ्यर्थी की योग्यता पूर्ण हुई है तो इन अभ्यर्थियों ने 2018 में किस आधार पर आवेदन किया।

अभ्यर्थियों के मुताबिक अब विभाग उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 5935 एवं माध्यमिक शिक्षकों 2235 पदों को विलोपित करने की कोशिश कर रहा है। जिससे पात्र अभ्यर्थी मानसिक और आर्थिक रूप प्रभावित हो रहे हैं ।

इसी प्रकार विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि आर्थिक आधार पर पिछड़े यानी ईडब्ल्यूएस के तहत 848 पद नहीं दिए जा सकते क्योंकि पहली काउंसलिंग के समय ईडब्ल्यूएस 10% का निर्णय नहीं आया था इसी प्रकार अब ओबीसी कैटेगरी में 27% आरक्षण से नियुक्ति दे दी गई है।

अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि सरकार कोर्ट के फैसले के विपरीत काम कर रही है। इसे समझाते हुए उन्होंने बताया कि पहले चरण में 11 विषयों में 27 प्रतिशत  नियुक्ति दी गई है शेष 5 विषयों पर स्टे होने के कारण इन विषयों के पदों को होल्ड कर दिया गया है और दूसरे चरण में 27 प्रतिशत से सभी विषयों पर नियुक्ति प्रदान कर दी गई है जबकि 27 प्रतिशत आरक्षण न पहली काउंसलिंग के समय था और आज भी इसका निर्णय नहीं आया है।

अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार ने अपनी राजनीति के लिए ओबीसी वर्ग को लाभ देने के लिए कई ऐसे कदम उठाए हैं और इसी के चलते अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं। ऐसे में इन अभ्यर्थियों की मांग है कि जिस प्रकार कोर्ट के फैसले आने से पहले इन्हें नियुक्ति प्रदान की गई है तो हमें भी 13% सीटें देकर उन्हें समायोजित किया जाए।


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