सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. आनंद राय पर आरोप है कि रतलाम में बिरसा मुंडा जयंती समारोह से लौटते जयस संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं ने रोका और पथराव किया। इस हमले में इस वजह से कलेक्टर के गनमैन को चोट आई थी। हमला करने वाली इस भीड़ में डॉ. आनंद राय के भी शामिल होने की बात कही गई और इस घटना के लिए उन्हें जिम्मेदार बताया गया।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. आनंद राय को जमानत दे दी है। उन्हें एक प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर हिंसा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 15 नवंबर 2022 को गिरफ्तारी होने के बाद उनकी जमानत अर्ज़ी ट्रायल कोर्ट और फिर बाद में हाईकोर्ट तक ने खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट में मप्र सरकार ने इस बात की आशंका जताई कि डॉ. राय न्यायिक प्रक्रिया से भाग सकते हैं। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसके पीछे डॉ. राय का आपराधिक इतिहास होने की बात कही। वहीं डॉ. आनंद राय की पैरवी कपिल सिब्बल ने की। इससे पहले इस जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर, 13 जनवरी तक जवाब मांगा था।
डॉ. राय की जमानत याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार ने न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर जमानत याचिका को खारिज करने की मांग की थी और कहा था अपराध की गंभीरता और बड़े पैमाने पर समाज पर इसके बड़े प्रभाव को देखते हुए जमानत ना दी जाए। सरकारी वकील तुषार मेहता ने कहा कि आनंद राय का आपराधिक इतिहास रहा है उनके उपर सात एफआईआर दर्ज हैं ऐसे में वे न्याय की प्रक्रिया से भाग सकते हैं।
यहां कहा गया कि डॉ. आनंद राय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने से हुई हिंसा पर पुख्ता सबूत हैं। इनके कारण ही राज्य में शांति व्यवस्था बिगड़ी और अफसरों पर हमला हुआ। हालांकि, दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाय चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बैंच ने ट्रायल कोर्ट की नियम-शर्तों के आधार पर जमानत दी है।