सतना। मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा के हाल पहले से भी बदतर होते जा रहे हैं। महाविद्यालयों में छात्रों की भरमार है, लेकिन व्यवस्थाओं के नाम पर मूलभूत सुविधाओं की बेतहाशा कमी है।
आश्चर्य की बात यह है कि अध्यापन और छात्राओं के लिए अलग शौचालय जैसी मांगे भी छात्रों को करनी पड़ रही हैं, लेकिन माननीयों के कानों पर जूं नहीं रेंगती।
इन्ही तमाम मुद्दों को लेकर शासकीय जलद त्रिमूर्ति महाविद्यालय नागौद के छात्र-छात्राओं ने अपनी चार सूत्रीय मांगों के समर्थन में महाविद्यालय गेट पर ताला जड़ दिया और महाविद्यालय प्रबंधन पर अनदेखी करने का आरोप लगाते हुये एनएच-39 पर धरना देकर बैठ गये।
विद्यार्थियों ने सड़क पर जाम लगा दिया जिसके कारण सतना-मैहर रोड पर दोनों ओर सैकड़ों वाहनों की लम्बी-लम्बी कतारें लग गईं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले सैकड़ों छात्र-छात्रायें आंदोलन में शामिल होकर धरना देते हुये महाविद्यालय प्रबंधन के विरोध में नारेबाजी की।
छात्र-छात्राओं का कहना है कि हम संस्था में व्याप्त अव्यवस्था एवं प्रशासन की अनदेखी की नीति का विरोध कर रहे हैं। इनका आरोप था कि शासन भी हमारी वर्षों से लंबित मांगों पर ध्यान नहीं दे रहा है।
सतना-मैहर रोड पर स्थित जलद त्रिमूर्ति महाविद्यालय के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग पर बड़ी संख्या में छात्रों के जमावड़े एवं सड़क पर धरना प्रदर्शन एवं चक्काजाम की खबर मिलते ही एसडीएम धीरेन्द्र सिंह, तहसीलदार हिमान्शु भलावी, एसडीओपी नागीद, टीआई नागौद पंकज शुक्ला पुलिस बल सहित मौके पर पहुंचे।
महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं ने बताया कि उनके द्वारा लम्बे अर्से से महाविद्यालय प्रबंधन एवं प्रशासन से अपनी समस्याओं के निराकरण हेतु आग्रह किया जा रहा है, किन्तु उस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
महाविद्यालय के भवन अत्यन्त जर्जर हैं जिसमें कक्षायें लगायी जा रही हैं। कभी भी कोई गंभीर हादसा घटित हो सकता है। महाविद्यालय में पेयजल, छात्राओं के लिये पृथक प्रसाधन एवं नियमित कक्षाओं के संचालन की मांग भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा पूर्व में भी की जा चुकी है।
आंदोलनरत छात्रों का आरोप है कि महाविद्यालय में पदस्थ प्राध्यापक कभी भी समय से नहीं आते जिसके कारण प्रायः सभी संकायों के विद्यार्थियों का अध्ययन-अध्यापन अव्यवस्थित रूप से चल रहा है।
छात्रों का कहना है कि महाविद्यालय के पठन-पाठन मुख्य तौर पर संविदा प्राध्यापकों के जिम्मे छोड़ रखा गया है। नियमित प्राध्यापकों की अपेक्षा संविदा प्राध्यापकों की संख्या ज्यादा है।
एसडीएम धीरेन्द्र सिंह द्वारा विद्यार्थियों को सभी मांगों को पूर्ण कराने का आश्वासन दिये जाने के बाद छात्र-छात्राओं द्वारा चक्काजाम समाप्त कर दिया गया।