सोयाबीन किसानों के संघर्ष को लेकर चल रही मुहिम अब राजधानी भोपाल तक पहुंच चुकी है। आज संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले प्रदेशभर के किसान नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक भोपाल में संपन्न हुई, जिसमें आंदोलन की आगे की दिशा तय की गई। बैठक में किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग को लेकर गांव-गांव में ज्ञापन दिए गए, फिर तहसील और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किए गए, लेकिन अब तक सरकार ने किसानों की मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
किसानों ने दोहराया कि उनकी प्रमुख मांग सोयाबीन के लिए ₹6000 प्रति क्विंटल MSP की है, जिसे सरकार अब तक मानने को तैयार नहीं है। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि यदि सरकार ने शीघ्र ही किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं किया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। इसके तहत 24 से 30 सितंबर के बीच प्रदेश के हर गांव में मशाल जुलूस निकाले जाएंगे। इसके बाद 1 अक्टूबर को राज्यभर में तहसील और जिला मुख्यालयों के साथ-साथ नेशनल और स्टेट हाईवे पर दोपहर 12 से 3 बजे तक चक्का जाम किया जाएगा।
यदि सरकार इसके बाद भी किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो मोर्चा राजधानी भोपाल का घेराव करेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने MSP के मुद्दे पर भी गंभीर आपत्ति जताई। मोर्चा का कहना है कि MSP की घोषणा केंद्र सरकार द्वारा की जाती है, और इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं होती। वर्तमान MSP की घोषणा जून 2024 में की जा चुकी है, ऐसे में राज्य सरकार द्वारा MSP के मुद्दे पर श्रेय लेना अनुचित और भ्रामक है। मोर्चा ने राज्य सरकार से स्पष्ट रूप से पूछा है कि वह किसानों को घाटे से बचाने के लिए अपनी ओर से क्या उपाय करेगी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने इस संघर्ष को किसानों के आर्थिक न्याय के लिए एक बड़ा कदम बताया और आशा जताई कि सरकार संवेदनशीलता के साथ किसानों की मांगों को सुनेगी और उनके हितों की रक्षा करेगी।