मध्यप्रदेश में सोयाबीन की फसल की गिरती कीमतों को लेकर किसानों में गहरा असंतोष है, जो अब आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। इस संदर्भ में, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 1 से 7 सितंबर तक प्रदेश भर के गांवों में पंचायत सचिवों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने की अनूठी पहल की घोषणा की है। इस अभियान के तहत, किसानों की मुख्य मांग सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को 6000 रुपये प्रति क्विंटल करने की है।
किसानों में बढ़ता असंतोष
वर्तमान में सोयाबीन की कीमतें अपने पिछले 10 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर हैं, जिससे प्रदेश के किसान बेहद निराश हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रमुख रंजीत किसानवंशी ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर मध्यप्रदेश में एक बड़े आंदोलन की योजना बनाई गई है। इसके प्रथम चरण में प्रदेश के लगभग 5000 गांवों में ज्ञापन दिया जाएगा, जबकि अन्य गांवों में भी किसानों को अभियान से जोड़ने का प्रयास जारी है।
सोशल मीडिया पर सक्रियता और आंदोलन की तैयारी
पिछले कुछ दिनों से किसान सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं और सोयाबीन के दाम को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं। किसानों का कहना है कि यह आंदोलन, जोकि मंदसौर किसान आंदोलन के बाद सबसे बड़ा हो सकता है, सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
आयात-निर्यात नीति में बदलाव की मांग
एसकेएम ने आरोप लगाया है कि खाद्य तेल के आयात और निर्यात की वर्तमान नीति किसानों के बजाय कॉर्पोरेट हितों को प्राथमिकता देती है। सोयाबीन की फसल के पकने के समय आयात बढ़ा दिया जाता है और निर्यात पर रोक लगा दी जाती है, जिससे दाम गिर जाते हैं। एसकेएम ने सरकार से इस नीति को बदलने और किसानों के हित में काम करने की मांग की है।
सोयाबीन के समर्थन मूल्य में वृद्धि की मांग
वर्तमान में सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपये प्रति क्विंटल है, जोकि मौजूदा महंगाई और कृषि संसाधनों की बढ़ती लागत को देखते हुए अपर्याप्त है। किसान नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार को इसमें 1108 रुपये का अतिरिक्त बोनस जोड़कर सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6000 रुपये प्रति क्विंटल करना चाहिए।
आगे की रणनीति
एसकेएम के नेता राहुल राज ने कहा, “यदि हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो हम आगे की रणनीति पर विचार करेंगे और इस आंदोलन को प्रदेशव्यापी बनाने की दिशा में कदम उठाएंगे।” अनिल यादव, प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन ने कहा, “मध्यप्रदेश का सोयाबीन किसान लगातार घाटे में खेती कर रहा है। राज्य सरकार को सोयाबीन फसल की कीमत को 6000 रुपये प्रति क्विंटल पर सुनिश्चित करना चाहिए।”
राम इनानिया, आम किसान यूनियन के प्रतिनिधि, ने कहा कि सोयाबीन के दाम 10 साल पुराने स्तर पर आ गए हैं और किसानों के लिए उत्पादन लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाए जाएं।
किसानों का यह ज्ञापन अभियान राज्य में एक बड़े आंदोलन की ओर इशारा कर रहा है। अगर राज्य सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो मध्यप्रदेश में एक व्यापक किसान आंदोलन खड़ा हो सकता है, जो सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।