देशभर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तैयार किया नदी संरक्षण कानून का मसौदा


भारत भर से नदी प्रेमी यहां पहुंचे, विशेषज्ञों ने नदियों के बहाव को रोकने पर जताई चिंता


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उनकी बात Updated On :

नदियों से प्रेम करने वाले, उन्हें बचाने के लिए काम करने वाले कई पर्यावरण प्रेमी और विशेषज्ञ बड़वानी जिले में एकत्रित हुए हैं। यहां नर्मदा बचाओ आंदोलन के द्वारा राष्ट्रीय नदी घाटी मंच का सम्मेलन आयोजित किया गया है।

इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए कावेरी, गोदावरी, तीस्ता, महानदी, तापी,कोसी, भागीरथी, गंगा, साबरमती, ब्रह्मपुत्र, पेरियार, कृष्णा, पार्वती,  कारम, वांग, पेंच, चम्बल
आदि नदियों के बचाव और बेहतरी के लिए काम करने वाले जन संगठन और विशेषज्ञ बड़वानी पहुचे।

सम्मेलन की भूमिका स्पष्ट करते हुए नर्मदा बचाओ की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण देश के नदियों का अस्तित्व खतरे में पङ गया है। इसे बचाने के लिए एक केन्द्रीय कानून की आवश्कता है। आज इस सम्मेलन में कानून मसौदा पर चर्चा होकर इसे पारित किया जाएगा। यह कानून आज समय की मांग है और प्रत्येक नागरिक समाज का दायित्व है इस कानून को बनवाने में सक्रिय सहयोग प्रदान करें।

अन्तरराष्ट्रीय गोल्डमेन अवार्ड विजेता उङीसा के प्रफुल्ल समांत्रा ने अपने उद्बोधन करते हुए कहा कि जंगल को संरक्षित,हवा प्रदुषण, जल प्रदूषण के लिए कानून है। मगर नदी एक जीवित इकाई है, नदी को संरक्षित करने के लिए कोई कानून नहीं है। देश के लिए यह कानून अति आवश्यक है और इसे हम हासिल करके के रहेंगे।

केरल के सी.एल निलकंदन ने कहा कि नदी की पहचान बहते हुए पानी से होती है।जिसे बांध बनाकर खत्म किया जा रहा है। उत्तराखंड से आए समीर रतूङी ने जोशीमठ के हादसे को अनियंत्रित विकास को जिम्मेदार माना।उत्तर प्रदेश के अशोक प्रकाश ने कहा कि देश की जनता को समझना होगा कि कॉर्पोरेट अपने मुनाफे के लिए नदियों पर कब्जा कर रहा है।

नर्मदा न्यास की अमृता सिंह ने कहा कि नर्मदा बचाओ आंदोलन ने नदी संरक्षण को इस देश में राजनैतिक विमर्श के केन्द्र में ला दिया है।नदी विधेयक जरूर संसद में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी पर बने बांध से समाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय असर का अध्ययन नर्मदा संरक्षण न्यास समिति के तरफ से कराने की घोषणा किया।

बिहार के महेन्द्र यादव कोशी नदी का बाढ़ और जमीन कटाव के कारण गांव का गांव विलुप्त हो रहा है। महाराष्ट्र के बुधा डामसे ने नदियों पर निर्भर मछुआरों के पहला अधिकार को सुनिश्चित करने की बात रखी। ब्रह्मपुत्र नदी आसाम से विधुत सैकिया ने कहा कि नार्थ इस्ट में जो कुछ हो रहा है उसका राष्ट्रीय समाचार में कोई चर्चा नहीं होता है। जबकि इसे ब्रह्मपुत्र नदी के उपर अरूणाचल प्रदेश में जल विद्युत उत्पादन के लिए बङा बांध बनाया जा रहा है।

उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख, राज्य सभा सांसद अनिल हेगङे, देबू राय सांसद पश्चिम बंगाल, नर्मदा न्यास की अमृता सिंह और पूर्व विधायक डाक्टर सुनिलम ने इस विधेयक मसौदे का समर्थन किया और आश्वासन दिया कि इसे संसद तक पहुंचाने में सक्रिय सहयोग देंगे।

इस कार्यक्रम में भरत सिंह झाला और नारायण गढवी (गुजरात), अराधना भार्गव (छिन्दवाड़ा), गीता मीणा (नर्मदापूरम), चन्द्र कांत चौधरी (महाराष्ट्र), सुप्रतिम कर्मकार (बंगाल), बरगी बांध विस्थापित संघ के राज कुमार सिन्हा,सनोबर बी मंसूरी, वाहिद मंसूरी,ओम पाटीदार, मुकेश सिपाही, सुरेश प्रधान, गेंदिया बाबा, कुमारी डिम्पल, सियाराम पाढवी,सादिक भाई चंदेल, राजन मंडलोई, कैलाश यादव,कमला यादव, रामेश्वर सोलंकी, श्यामा मछुआरा, राहुल यादव आदि ने संबोधित किया।

 


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