इंदौर। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल एजुकेशन विभाग के डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल स्थगित कर दी है। डॉक्टरों की एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री और चिकित्सा शिक्षा मंत्री के आश्वासन पर अपनी ये हड़ताल स्थगित की है।
डॉक्टर एसोसिएशन को आश्वासन दिया गया है कि सरकार उनकी मांगों के लिए एक हाई पावर कमिटी बनाएगी जो डॉक्टरों की मांग के अनुसार डीएसीपी और डॉक्टरों के कामकाज में प्रशासनिक अधिकारियों के दखल के मामले को देखेगी। वहीं डॉक्टरों की अन्य मांगों पर भी समाधान का आश्वासन दिया गया है।
#Doctors' Strike
सरकार द्वारा हाई पॉवर कमिटी बनाने के आश्वासन के बाद चिकित्सक महासंघ ने हड़ताल ख़त्म करने की घोषणा की। pic.twitter.com/4qP1EDpilH
— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) February 17, 2023
इससे पहले शुक्रवार को प्रदेश भर में सरकारी अस्पतालों मे स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित रही। शुक्रवार से प्रदेश में 13 हजार डॉक्टर हड़ताल पर हैं इससे पहले यह संख्या 9 हजार बताई जा रही थी लेकिन अब ज्यादा संख्या में डॉक्टर इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई। इंदौर के महू में कई डॉक्टर अपना कर्तव्य पहले निभाते दिखाई दिए, इन डॉक्टरों ने हड़ताल पर रहने के बावजूद दूरदाज़ से आए मरीजों का इलाज अलग से किया। हालांकि इस दौरान भी बहुत से मरीज परेशान होते रहे और उन्हें इलाज के बिना ही वापस लौटना पड़ा।
डॉक्टर एसोसिएशन ने हड़ताल पर जाने से पहले सरकार को कई बार चेतावनी दी थी लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। पिछले महीने संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल के बाद एक बार फिर अस्पतालों में मरीज़ परेशान हो रहे हैं। डॉक्टरों की यह हड़ताल अनिश्चितकालीन है। ऐसे में सरकार को इस पर जल्द ध्यान देना होगा।
मध्यप्रदेश शासकीय एवं स्वशासी चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर प्रदेशभर के डॉक्टर आज हड़ताल में शामिल हुए हैं। इसके अलावा मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट की ओर से भी मेडिकल की पढ़ाई करवाने वाले डॉक्टर भी इस हड़ताल में शामिल हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. अविनाश ठाकुर ने बताया कि प्रदेश भर में करीब 13 हजार से अधिक डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इसमें तहसील के करीब 300 पब्लिक हेल्थ सेंटरों के अलावा 600 गांवों के हेल्थ सेंटर्स के डॉक्टर शामिल हैं। इसमें जूडा, राजपत्रित आयुष चिकित्सा अधिकारी संघ, संविदा, गैस राहत, सीनियर रेसीडेंट एसो. आदि डॉक्टर्स भी शामिल हैं। अविनाश ठाकुर ने बताया कि इस दौरान इमरजेंसी, ओपीडी, ऑपरेशन और पोस्टमार्टम सभी कुछ बंद है।
हालांकि कई अस्पतालों में ओपीडी और ऑपरेशन जारी है। इंदौर के महू में मध्यभारत अस्पताल में भी डॉक्टर हड़ताल पर हैं। हालांकि आज यहां रोज के मुकाबले कम भीड़ रही। यहां के डॉक्टरों ने दो दिन पहले ही मरीज़ों को हड़ताल के बारे में बता दिया था जिससे भीड़ कम आई।
दूरदराज के इलाकों से आने वाले लोगों के लिए महू में डॉक्टर मददगार दिखाई दिए। उन्होंने हड़ताल पर होने के बावजूद बंद कमरों में मरीज़ों का इलाज किया। इन डॉक्टरों का कहना था कि भले ही सरकार हमारी बात नहीं सुन रही लेकिन हम मरीज़ों को कैसे छोड़ सकते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि वे केवल उन्हीं मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं जिन्हें इस समय ज्यादा ज़रुरत है।
इस अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर हंसराज वर्मा ने बताया हड़ताल के चलते ओपीडी प्रभावित हुई है। यहां 12 में चार डॉक्टर ही हैं। उन्होंने बताया कि नियमित डॉक्टर ही हड़ताल पर हैं बाकी संविदा के डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
प्रदेश भर के सरकारी डॉक्टर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। इससे पहले इन डॉक्टरों ने गुरुवार को सरकार को चेतावनीस्वरुप दो घंटे के लिए काम बंद किया।
इस दौरान डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध भी जताया और इस दौरान अस्पतालों में मरीज़ों की खासी भीड़ जमा होने लगी।
डॉक्टरों का यह सांकेतिक विरोध ही यह बताने के लिए काफी था कि अगर वे हड़ताल करेंगे तो व्यवस्थाएं किस हद तक बिगड़ सकती हैं। इंदौर में डॉक्टरों ने सिविल सर्जन को इस हड़ताल के लिए ज्ञापन दिया।
मध्यप्रदेश शासकीय एवं स्वशासी चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर प्रदेश के करीब छह हजार डॉक्टरों ने इस सांकेतिक विरोध में भाग लिया।
संघ ने कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो शुक्रवार से दस हजार डॉक्टर हड़ताल पर जाएंगे। ऐसे में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाएं ठप हो जाएंगी।
इन डॉक्टरों ने डीएसीपी लागू करने, पुरानी पेंशन बहाली और मेडिकल वर्क में अधिकारियों का हस्तक्षेप बंद करने की मांग की है।