भोपाल। प्रदेश में भले ही स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की मज़बूती के दावे किये जा रहे हैं लेकिन हर रोज़ यहां से एक ऐसी कहानी निकल रही है जो इंसानियत को शर्मिंदा कर रही है।
सिंगरौली में शव वाहन न मिलने पर एक पिता को अपनी बेटी का शव खुद उठाकर पच्चीस किलोमीटर दूर पोस्टमॉर्टम कराने के लिए ले जाना पड़ा और बाद में ऐसे ही वापस भी लाना भी पड़ा। इस दौरान इस पिता के साथ मानवता को न केवल व्यवस्था ने बल्कि समाज ने भी निराश किया।
इस घटना का वीडियो रविवार को सोशल मीडिया पर छाया रहा और इसे लगातार साझा किया जाता रहा। लोगों ने इसे देखकर स्थानीय प्रशासन की जमकर आलोचना की।
शव ले जाने के दौरान कई लोग केवल वीडियो ही बनाते रहे लेकिन किसी ने मदद नहीं की। पहले ही बेटी की मौत के गम से बेहाल और समाज के इस रवैये से लाचार पिता ने बताया कि पुलिस ने सहयोग नहीं किया और शव वाहन बुलाने पर भी नहीं आया तो उसे ये कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा।
घटना सिंगरौली जिले के आदिवासी अंचल सरई क्षेत्र के गड़ई गांव की है जहां के धिरूपति की सोलह वर्षीय बेटी ने पांच मई की रात को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में 6 मई को सरई थाना सहित निवास चौकी को दी गई। ऐसे में निवास चौकी पुलिस ने विवेचना के बाद पोस्टमार्टम कराने के लिए निवास अस्पताल बुलाया था।
इसके बाद एम्बुलेंस खोजी गई। धिरुपति ने पुलिस से शव वाहन मंगवाने को कहा लेकिन कोरोना के चलते कोई एम्बुलेंस खाली नहीं मिली। इस दौरान बार-बार प्रयास किये जाते रहे लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
इसके बाद धिरुपति और परिवार के एक दूसरे सदस्य ने खाट को उल्टा कर चारों पावों में रस्सी बांधी और पच्चीस किलोमीटर दूर अस्पताल के लिए चल दिए। अस्पताल पहुंचकर पोस्टमार्टम कराया और फिर इसी तरह गांव लौटे और बाद में बेटी का अंतिम संस्कार किया।