RSS के किसान संघ ने खोला शिवराज सरकार के खिलाफ़ मोर्चा, आज भोपाल में बड़ा प्रदर्शन


प्रदेश भर से जुट रहे हैं किसान, हर गांव से भोपाल जा रहे किसान, बिजली, खाद जैसी 18 सूत्रीय मांगों पर हो रहा प्रदर्शन


डॉ. संतोष पाटीदार डॉ. संतोष पाटीदार
उनकी बात Published On :

इंदौर। प्रदेश के हजारों किसान मंगलवार 22 नवंबर को भोपाल में बड़ा प्रदर्शन करने जा रहे हैं। किसान केंद्र और राज्य सरकार की  योजनाओं से नाराज़ हैं। खास बात यह है कि है किसान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ के बैनर तले एकत्रित हो रहे हैं। जाहिर है ऐसे में मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और सीएम शिवराज के खिलाफ सीधे तौर पर किसानों के प्रति असंवेदनशील होने का संदेश दिया जा रहा है।

खरीफ की फसल के दौरान सिंचाई छोड़कर कड़ी ठंड में किसान रात तीन बजे से अपने गांव कस्बों से भोपाल के लिए रवाना हुए।

शिवराज सरकार के खिलाफ उनकी ही मातृ संस्था आरएसएस के दाएं हाथ कहे जाने वाले भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में यह आंदोलन हो रहा हैं। यह बताता है कि सरकारी तंत्र के हालात इस कदर बदतर हो चले हैं कि किसानों को इस समय खेती का काम छोड़कर भोपाल जाकर अपना गुस्सा जताना पड़ रहा है।

बिजली, खाद, मंडी व्यवस्था, बाजार, एमएसपी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर कुल 18 सूत्रीय मांग लिए यह किसान पिछले काफी समय से किसान संघ के माध्यम से अपनी नाराजगी सरकार से जता रहे थे लेकिन हमेशा की तरह सरकार ने इन्हें अनदेखा किया और अब इस रवैए से परेशान होकर यह किसान भोपाल में बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने जा रहे हैं।

हालांकि भाजपा सरकार को किसानों की नाराजगी खबर है और वे इससे परेशान भी हैं लेकिन इसके बावजूद सरकार की ओर से किसानों को मनाने की कोई कोशिश नहीं की गई। इस आंदोलन की तैयारियां पिछले कई महीनों से जारी हैं लेकिन किसानों की है नाराजगी मीडिया की खबरों से दूर रही।

सवाल यह कि सरकार के खिलाफ आखिर किसानों को क्यों ही यह मोर्चा खोलना पड़ा ? किसान इसकी वजह भी खुद ही बताते हैं।

वे कहते हैं कि सरकार ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया और अपनी रीति नीति केवल चुनाव जीतने के लिए और लोकप्रियता कमाने के हिसाब से तय कर रखी है।

किसान कहते हैं कि विकास के नाम पर वनवासियों और ग्रामीणों की भूमि और उनके प्राकृतिक संसाधनों को सरकार, कार्पोरेट व राजनेताओं द्वारा अधिग्रहण कर हथियाए जा रहे हैं।

इसके अलावा खेती के लिए जरूरी बीज, खाद/दवाई, बिजली ,पानी, फसल के उचित मूल्य, मंडियों और दूसरे सरकारी दफ्तरों में खुला भ्रष्टाचार,अफसरों व सत्ताधारी नेताओं की मनमानी आदि से यह किसान त्रस्त हैं और इसीलिए सरकार से नाराज हैं।

किसानों के मुताबिक भारतीय मजदूर संघ से जुड़ी किसान बिरादरी अब मुख्यमंत्री शिवराज और भाजपा सरकार से खासी नाराज है। वे कहते हैं कि खेती किसानी के मोर्चे पर लगातार विफल होते रहने के बावजूद भी सरकार उनके धैर्य की परीक्षा लेती रही है।

आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और किसान संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री महेश चौधरी के नेतृत्व में प्रदेश के हर गांव नगर के किसान भोपाल पहुंच रहे हैं। आंदोलन के लिए बीते छह माह से गांव गांव में बैठकें हो रही थी। संघ ने तय किया है कि किसानों की प्रमुख नीतिगत समस्यायों और मांगों पर सरकार से दो टूक बात की जायेगी।

आंदोलन के लिए भी संघ ने प्रदेश की हर ग्रामसभा से खेती किसानी समस्याओं और मंगों पर किसानों से प्रस्ताव लिए हैं। इसी तरह आंदोलन के लिए तहसील से लेकर संभाग (संघ का प्रांत) स्तर और फिर प्रदेश स्तर तक बैठकें हुईं। हर जिले से भोपाल जाने वाले किसानों और उनके वाहनों की संख्या आदि जानकारी ली गई।

किसानों का यह गुस्सा मालवा निमाड़ क्षेत्र में ज्यादा देखने को मिल रहा है। यहां खरगोन, खंडवा, धार, इंदौर ,देवास, उज्जैन आदि जिलों से सबसे ज्यादा किसान भोपाल पहुंच रहे हैं।

इस नाराजगी को लेकर संघ के प्रांत अधिकारी लक्ष्मी नारायण पटेल कहते हैं कि किसान अभी बोवनी आदि कार्यों में व्यस्त होने के बाद भी आंदोलन और धरना देने भोपाल जाकर सरकार को नींद से जगाएंगे।

वे बताते हैं कि पूरे प्रदेश से हजारों किसान आंदोलन से जुड़ रहे है। संघ के इंदौर महानगर अध्य्क्ष दिलीप मुकाती कहते हैं आंदोलन के लिए इंदौर जिले में 8 दिनों से जनजागरण और बैठके हो रही हैं ।

मुकाती के मुताबिक एक वाहन को किसान यात्रा रथ बनाया है, जो गांव गांव जाकर जानकारी प्रचारित कर रहा है। उन्होंने बताया कि जो किसान भोपाल नहीं पहुंच पा रहे है उन्होंने अपना पूरा समर्थन आंदोलन को दिया हैं।

संघ के नेता कहते हैं कि सरकार और सत्ता सुख में डूबे हुए प्रदेश के नेता और मंत्री इन्हीं किसानों की वोट से जीते लेकिन बाद में उन्होंने कॉर्पोरेट और दूसरे पूंजीपतियों का दामन थाम लिया।

आंदोलन के बारे में एक अन्य नेता चौधरी ने बताया कि विधानसभा में खेती किसानी से जुड़े विषयों पर चर्चा के लिए सात दिनों का विशेष सत्र बुलाया जाए। इसके साथ ही खेती की भूमि का अधिग्रहण बंद हो , विकास प्राधिकरण भी बंद किए जाएं और लैंड पूलिंग कानून खत्म किया जाए।

इनमें बिजली विभाग से जुड़े खेती किसानी के मामले भी हैं। वहीं अन्य विषय सिंचाई, रोजगार, बैंकिंग और सहकारिता विभाग से जुड़े हैं।

किसान मांग कर रहे हैं कि उन्हें बताया जाए कि प्रदेश में कृषि का वास्तविक उत्पादन क्या है इसकी कितनी खपत है और क्या लागत है।

इसके अलावा भी जैविक खेती, खाद्य प्रसंस्करण, उद्यानिकी ग्रामीण हाट बाजार के बारे में भी सरकार की राय जानना चाहते हैं।

इंदौर महानगर अध्यक्ष मुकाती कहते है सभी सरकारों के किए धरे से पशु पालन और प्राकृतिक संसाधन लगातार कम हो रहे हैं, इसलिए पशु पालन, उनके आवास ,जंगली पशुओंं के लिए वन्य  क्षेत्र , वनोपज और आदिवासियों की स्थिति पर सरकार क्या कर रही है!



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