इंदौर। सरकारी नौकरियों की बहाली और इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग की साथ करीब महीने भर पहले शुरू हुआ भर्ती सत्याग्रह अब एक दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। जहां व्यवस्थाओं पर से सरकारी दखल हटाकर उन्हें और जिम्मेदार बनाने की मांग की जा रही है।
23 अक्टूबर रविवार से भर्ती सत्याग्रह का एक नया चरण शुरू हुआ। इसके तहत भर्ती सत्याग्रह शुरू करने वाले संगठन नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के सदस्य सोशल मीडिया पर भी एक अभियान चला रहे हैं जहां वे मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के प्रमुख राजेश लाल मेहरा का इस्तीफा मांग रहे हैं।
ऐसी ही कहानी है प्रदेश के लाखों बेरोज़गार युवाओं की, जो वर्षों से मानसिक प्रताड़ना एवं बेरोज़गारी की मार झेल रहे हैं! मध्यप्रदेश सरकार, #MPPEB और #MPPSC ने प्रदेश के लाखों युवाओं का करियर तबाह कर दिया है!#राजेशलाल_मेहरा_इस्तीफा_दो pic.twitter.com/NhvKziFiZE
— NEYU | National Educated Youth Union (@NEYU4INDIA) October 23, 2022
अभ्यर्थियों और विद्यार्थियों का आरोप है कि एमपीपीएससी एक राजनीतिक दबाव में काम करने वाली संस्था है और रोजगार से जुड़ी ऐसी किसी भी संस्था को इस तरह काम नहीं करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि एमपीपीएससी पिछले 4 वर्षों से लगातार परीक्षाएं ले रही है लेकिन समय पर परिणाम जारी नहीं किए गए और जब परीक्षा परिणाम जारी करने के लिए दबाव बनाया गया तो बेहद ही पेचीदा परिणाम जारी किए गए।
आयोग के खिलाफ चल रहे इस विरोध को राजनीतिक और आम लोगों का नैतिक सर्मथन भी मिल रहा है। विद्यार्थियों के साथ आम लोग भी इस बारे में बात कर रहे हैं।
Why is the constitutional institution forgetting its authority? Why is the government interfering?#राजेशलाल_मेहरा_इस्तीफा_दो pic.twitter.com/WVgEf3OmJb
— JAYS INDIA (@jays_india2023) October 23, 2022
अब तक यह परिणाम कभी आरक्षण की मुद्दों पर रुक रहे थे तो कभी व्यवस्थागत दिक्कतों के कारण।युवाओं का आरोप है कि इस संस्था के प्रमुख होने के नाते राजेश लाल मेहरा को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और यह तय करना चाहिए कि अगर पीएससी अभ्यार्थी का भविष्य खराब हो रहा है तो उनके लिए आगे क्या रास्ता है।
पीएससी के खिलाफ यह गुस्सा हालिया परीक्षा परिणामों का नतीजा है जहां ओबीसी आरक्षण के कारण आयोग ने बेहद ही जटिल रिजल्ट घोषित किए हैं।
विरोध कर रहे संगठन के सदस्य राधे जाट का कहना है कि सरकार को पीएससी को लेकर कोई ठोस निर्णय लेना चाहिए।
इसी साल 19 जून को हुई परीक्षा के बाद आयोग ने अब 87% पदों के लिए फाइनल और 13% पदों के लिए प्रोविजनली रिजल्ट घोषित किया है।
ऐसा इसलिए किया गया है ताकि ओबीसी आरक्षण को लेकर जो भी फैसला आए रिजल्ट उसके अनुसार मान्य किया जा सके।
ओबीसी आरक्षण के चलते ही पीएसी ने प्री परीक्षा के रिजल्ट में दो सूची बनाई हैं।
पहली सूची 87% पदों के लिए है दूसरी सूची 13% पदों के लिए है। दूसरी सूची में कुल 26% अभ्यर्थी शामिल किए गए हैं यानी 13% सामान्य और 13% ओबीसी वर्ग के अभ्यार्थियों को इसमें चुना जा रहा है।
ऐसे में यदि ओबीसी आरक्षण पर फैसला आता है और उसे 27% रखा जाता है तो सामान्य के 13% अभ्यर्थी हट जाएंगे और ओबीसी के 13% अभ्यर्थियों की भर्ती होगी।
आरक्षण वर्तमान की तरह यदि 14% ही रहा तो ओबीसी के 13% उम्मीदवार बाहर कर दिए जाएंगे और बचे हुए पदों पर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की भर्ती की जाएगी।
इस परीक्षा की कट ऑफ लिस्ट भी काफी ऊंची रही। परीक्षा में सामान्य वर्ग ओपन के लिए 154 अंक, अजा ओपन वर्ग के लिए 142 अंक, अजजा ओपन के लिए 132 अंक और ओबीसी ओपन के लिए न्यूनतम कटऑफ 148 अंक हैं।
आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस ओपन के लिए भी यही 148 अंक निर्धारित किए गए हैं।
इसके अलावा इन सभी वर्गों में महिलाओं के लिए कटऑफ ओपन कैटेगरी के समान ही रखा गया है। ऐसे में आयोग पर गंभीर सवाल उठ रहे थे।