सरकार ने भले ही कृषि कानून वापिस ले लिये हों लेकिन किसान आंदोलन अब तक खत्म नहीं हुआ है। अब किसान चाहते हैं कि उन्हें न्यूनतम सर्मथन मूल्य पर खरीदी की गारंटी दी जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कुछ कई शर्तें रखी गई है। इनमें कहा गया है कि केंद्र सरकार एमएसपी गांरटी कानून और आंदोलन के दौरान 750 किसानों की मौत पर उनके परिजनों को मुआवजा दे।
इस बीच किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का बयान भी काफी चर्चा में है उन्होंने कहा है कि आचार संहिता लगने के बाद किसान बड़ी घोषणा करेंगे। टिकैत की यह घोषणा राजनीतिक दलों के लिए परेशानी का सबब भी हो सकती है क्योंकि कहा जा रहा है कि टिकैत राजनीति में भी उतर सकते हैं।
ऐसे में राजनीतिक दलों में एक तरह की चिंता तो है क्योंकि भाजपा को किसान आंदोलन के चलते उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा सहित कई राज्यों में नुकसान की आशंका है। पार्टी के अंदरूनी सर्वे में भी इस नुकसान की बात कही गई है।
पिछले दिनों हैदराबाद में राकेश टिकैत ने किसानों के एक कार्यक्रम में कहा कि पांच साल में सरकार एक बार किसानों के काम आती है। इनसे लेने का काम तो अभी आ रहा है। जिस दिन आचार संहिता लागू होगी उस दिन हम अपनी घोषणा करेंगे कि हमको करना क्या है।
उन्होंने कार्यक्रम में कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर हमसे बात नहीं की। क्या हम सजायाफ्ता मुजरिम हैं?
हमारे 750 किसान आंदोलन में शहीद हुए, उनका मुआवजा कौन देगा, किसानों पर जो मुकदमें हैं, क्या उसको लेकर किसान घर जाएंगे। हम आंदोलन को कैसे खत्म करेंगे, वहां से कैसे जाएंगे, यह किसान मोर्चा तय करेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को एमएसपी पर गांरटी कानून चाहिए।
बता दें कि हैदराबाद में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी को राकेश टिकैत ने भाजपा की बी टीम बताया।
उन्होंने कहा ‘एक आपके यहां का बेलगाम बिना नाथ वाला सांड हैं जो देश में बीजेपी की सबसे अधिक मदद करता घूम रहा है। उसको यहीं बांधकर रखो। उसे बाहर मत जाने दो। वह बोलता कुछ और है उसका मकसद कुछ और है।”