मध्यप्रदेश में सोयाबीन के दाम एमएसपी पर ₹6000 करने की मांग को लेकर प्रदेशभर में चल रहे किसान आंदोलनों को अब नई ताकत मिल रही है। भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख नेता राकेश टिकैत ने राज्य में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई है। टिकैत ने नर्मदापुरम के सिवनी मालवा में आयोजित किसान रैली में शामिल होकर किसानों को संबोधित किया और उनकी मांगों के समर्थन में आवाज़ बुलंद की। टिकैत ने कहा, “सोयाबीन की एमएसपी बढ़ाने की लड़ाई केवल आर्थिक नहीं है, बल्कि यह किसानों की जमीन और नस्ल बचाने का संघर्ष भी है।”
टिकैत के नेतृत्व में किसानों ने स्थानीय मंडी तक रैली निकाली, जिसमें उन्होंने एमएसपी बढ़ाने के अलावा विभिन्न कृषि समस्याओं पर भी सरकार से समाधान की मांग की। टिकैत ने स्पष्ट किया कि यदि राज्य सरकार किसानों की आवाज़ को नज़रअंदाज करती है, तो यह छोटे-छोटे विरोध बड़े आंदोलन का रूप ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि एमएसपी को बढ़ाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, और इसी वजह से किसानों को दिल्ली तक अपनी आवाज़ पहुंचानी होगी। साथ ही, मप्र सरकार से भी आग्रह किया कि यदि केंद्र सोयाबीन की एमएसपी नहीं बढ़ाती, तो वह बोनस देकर किसानों की मदद करे।
संयुक्त किसान मोर्चा की बुधनी रैली: सोमवार को 36 किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह क्षेत्र बुधनी के भैरूंदा (नसरुल्लागंज) में एक विशाल ट्रैक्टर रैली निकाली। करीब 1500 ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ किसानों ने सोयाबीन, गेहूं और धान की एमएसपी बढ़ाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने मप्र के लिए सोयाबीन की खरीदी ₹4892 पर करने की मंजूरी दी है, लेकिन किसान इससे संतुष्ट नहीं हैं और ₹6000 की एमएसपी की मांग कर रहे हैं।
राज्य सरकार की कोशिशें: मध्यप्रदेश सरकार किसानों को राहत देने के लिए अतिरिक्त सोयाबीन की खरीदी का प्रस्ताव लेकर आ रही है। राज्य में सोयाबीन का कुल उत्पादन लगभग 60 लाख मीट्रिक टन है, लेकिन केंद्र सरकार ने मप्र के लिए केवल 13.68 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन एमएसपी पर खरीदी का लक्ष्य तय किया है। यदि इससे अधिक उत्पादन होता है, तो राज्य सरकार अपने वित्तीय भार पर अतिरिक्त सोयाबीन खरीदेगी। इसके साथ ही, राज्य सरकार सोयाबीन पर बोनस देने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है ताकि किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके।