नरसिंहपुर। चिनकी बैराज को लेकर अधिकारियों के उदासीन रवैए से ग्रामीणों में नाराजगी बनी हुई है। यहां नर्मदा किनारे घूरपुर गांव में पिछले 19 मई से लगातार प्रदर्शन चल रहा है। यह प्रदर्शन प्रशासन की गैर जवाबदेही के लिए है क्योंकि नर्मदा नदी पर बांध बनने के बाद होने वाले असर की जानकारी प्रशासन खुले तौर पर ग्रामीणों को नहीं दे रहा है।
मंगलवार को इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे वही अलग-अलग क्षेत्रों से सामाजिक कार्यकर्ता भी ग्रामीणों के प्रति अपना समर्थन जताने के लिए पहुंच रहे हैं।
ग्रामीण बताते हैं कि चिनकी बैराज को लेकर उनमें भय और भ्रम है। अधिकारी उन्हें सही जानकारी नहीं दे रहे हैं। गुरसी, घूरपुर, रमपुरा, झामर आदि के ग्रामीणों का कहना है कि नर्मदा के किनारे उनकी खेतिहर जमीन है जिसके जरिए ही वह पीढ़ी दर पीढ़ी जीवन यापन करते आ रहे हैं। अगर यह जमीन डूब में चली गई तो फिर आने वाली पीढ़ी और आज वह बसर कैसे करेगें।
भविष्य में दिए जाने वाला मुआवजा क्या उन्हें उतनी ही जमीन दिला सकेगा। यह बातें मंगलवार को खुलकर धरने में ग्रामीणों ने आपस में साझा कीं। धरने में मंगलवार को काफी भी महिलाएं पहुंची।
ग्रामीणों ने अपने मुद्दों को यह कहते हुए महत्वपूर्ण बताया कि खेती गई तो जिंदगी गई कम मुआवजे में क्या दूसरी जगह खेती-बाड़ी लेना संभव है, यह जवाब अधिकारी नहीं देंगे।
ग्रामीणों ने यह भी स्पष्ट किया कि वह बैराज के निर्माण की विरोधी कतई नहीं है। वह तो सिर्फ यह चाहते हैं कि उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिया जाए या फिर जमीन की बदली जमीन दी जाए। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से इस और सहानुभूति पूर्वक ध्यान दिए जाने की मांग की है।
धरने में ग्राम गुरसी के लेखराम विश्वकर्मा ,साहब सिंह, समनापुर के बाबूलाल पटेल, श्यामलाल पटेल , घूरपुर के साहब सिंह ,धर्मशाला के संत राम सिंह पटेल आदि ने अपनी बातें रखी।