मध्यप्रदेश में झूठी साबित हुई पीएम मोदी की गारंटी, वादे के मुताबिक गेहूं पर 2700 की जगह मिलेंगे बस 2400 रुपए


भारतीय किसान संघ के नेता भी नाराज़, कहा मोदी की गारंटी झूठी साबित हुई


डॉ. संतोष पाटीदार
उनकी बात Published On :

विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी संकल्प पत्र में यह वादा किया था कि वे किसानों को गेहूं का समर्थन मूल्य 2700रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से देंगे। लेकिन अब चुनाव जीतने के करीब 3 महीने बाद राज्य सरकार ने गेहूं के 2275 प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर सवा सौ रुपए का बोनस दिया है। सरकार की इस वादा खिलाफी से किसान नाराज दिखाई दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि इतनी छोटी सी बढ़त उनके खास काम की नहीं। इसे लेकर अब किसान काफी नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। उनकी टिप्पणियां सोशल मीडिया पर भी खूब दिखाई दे रही हैं।

यह आक्रोश भरी टिप्पणियां किसानों के सोशल मीडिया ग्रुप के लाखों करोड़ों किसानों की प्रतिक्रियाओं के रूप में वायरल हो रही है। किसानों को गुस्सा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई गारंटी से पलट जाने का। किसानों का कहना है कि उनसे जो कहकर वोट लिया गया था वह निभाया नहीं गया।

उल्लेखनीय है कि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में भी यह वादा लिखा था। इसके उलट कांग्रेस ने 2600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदी का वादा किया था हालांकि मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी हमेशा से यह मांग उठाते आए हैं कि गेहूं के लिए किसानों को तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान होना चाहिए।

ऐसा नहीं है कि यह नाराजगी केवल उन किसानों में हैं जो भाजपा के खिलाफ या अन्य पार्टियों के साथ हैं बल्कि यह नाराजगी उन किसानों में भी दिखाई दे रही है जो भाजपा के कोर वोटर रहे हैं। किसान नेता कहते हैं कि इसी राम मंदिर के नाम पर भाजपा लोकसभा में 400 से ज्यादा सीट जीतने का दम भर रही है तो वहीं दूसरी ओर निर्णायक किसान मतदाताओं के साथ छल कपट कर रही है।

भारतीय किसान संघ के कार्यकर्ता अपनी नाराजगी जताते हुए कहते हैं कि सरकार को अपना वचन नहीं निभाना आता है तो किसान अपना संकल्प निभाएंगे 2700 रुपए समर्थन मूल्य लेकर रहेंगे। भारतीय किसान संघ के प्रांत अध्यक्ष राम प्रकाश सूर्य कहते हैं बेहतर होता कि सरकार सवा सौ रुपए का बोनस नहीं देती। किसानों को 425 रु बोनस देना है ना की सवा सौ रुपए। मोदी की गारंटी मध्य प्रदेश में मजाक बनकर रह गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों नहीं पूरा करवाते अपना वादाः  किसानों को आंदोलन करने के लिए प्रदेश के साथ केंद्र की मोदी सरकार भी मजबूर कर रही है। केंद्र की मोदी सरकार ज्यादा जिम्मेदार है जो मध्य प्रदेश सरकार से गेहूं के पूरे समर्थन मूल्य 2700 रुपए देने का वादा पूरा नहीं करवा रही है। यह वादा खुद प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष ने विधानसभा चुनाव के समय मध्यप्रदेश के किसानों से किया था लेकिन मोदी के द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में प्रदेश की कैबिनेट ने 2700 की जगह 2275 रुपए समर्थन मूल्य घोषित किया । शेष 425 रपए मध्य प्रदेश की मोहन यादव की सरकार को बोनस के रूप में देने थे लेकिन मोहन सरकार ने 125 रु की घोषणा करके हाथ खड़े कर दिए।

किसान संघ के नेता कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की आंखों के सामने हो रहा है जब वह सीना तानकर मोदी की गारंटी यानी पक्की गारंटी की हुंकार भर रहे हैं। किसानों की भलाई के लिए मोदी द्वारा दी गई इस गारंटी के प्रति प्रदेश सरकार गंभीर नहीं है। किसान नेताओं का मानना है कि मोदी तक यह विषय जाएगा तो राज्य सरकार शायद हरकत में आए।

किसान संघ भी नाराज़

किसान संघ के नेता श्याम सिंह पवार और मुकेश पटेल कहते हैं कि प्रदेश सरकार द्वारा 425 रुपए बोनस देने के मामले में सुनियोजित तरीके से किसानों को उलझने की कोशिश की है 425 रुपए बोनस देने की घोषणा करने का साहस प्रदेश सरकार में नहीं है, शायद उनका ऐसा मन नहीं है इसलिए उसने आचार संहिता के ठीक पहले मात्र सवा सौ रुपए बोनस देने की घोषणा की है। ऐसा करके किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया क्योंकि आचार संहिता कुछ ही दिन में लग जाएगी उसके बाद सरकार किसी तरह की घोषणा नहीं कर सकती। चुनाव के हल्ले में किसने की आवाज दब कर रह जाएगी और चुनाव होते-होते मई का महीना बीत जाएगा । तब तक मंडी और बाजार में किसानों का सारा गेंहू बिक चुका होगा।  किसान नेता कहते हैं कि सरकार ने यह बोनस देने का फैसला भी भारी मन से लिया होगा।

 


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