धार। जिले के ग्रामीण अंचलों में पेयजल एवं सिंचाई सहित अन्य उपयोग के लिए करोड़ों खर्च कर तालाब बनाए गए हैं। निर्माण कार्य के दौरान मॉनिटरिंग ना करने के कारण ठेकेदारों ने मनमाने ढंग से काम पूर्ण कर दिया है।
गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यों के कारण जहां सरकारी पैसा पानी में बहने की स्थिति बन रही है। वहीं जल संरक्षण का नारा भी प्रभावित हो रहा है।
ताजा मामला सरदारपुर विकासखंड में दो साल पहले बनाए गए लाखों के खर्च से बारामासी नाले सिंदुरिया तालाब निर्माण का है। इस तालाब निर्माण में पिचिंग में कच्ची मुरम का उपयोग किया गया था।
इस मामले में दो साल पूर्व आरटीआई कार्यकर्ता सुनील सावंत द्वारा शिकायत की गई थी। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अलबत्ता पिचिंग मुरम पत्थर अब हाथ से टूटने लगे हैं।
जूम मीटिंग के माध्यम से आयोजित किए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आरटीआई कार्यकर्ता सावंत ने वर्तमान में तालाब की पाल की स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पाल के पत्थरों के टूटने से पाल को क्षति होने का खतरा है।
सुधार करना था, भुगतान कर दिया –
ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में सावंत ने बताया कि तालाब निर्माण में गुणवत्ताहीन पिचिंग की जानकारी दो साल पूर्व ही अधिकारियों को दी गई थी। इसकी शिकायत तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ संतोष वर्मा को भी की गई थी।
उस दौरान वर्मा ने बकाया लाखों का भुगतान सुधार कार्य ना होने तक रोकने का वादा किया था। तालाब की पिचिंग में कोई सुधार नहीं किया गया। आरईएस ईई और सरदारपुर के अधिकारियों की मिलीभगत से शिकायत के बाद भी भुगतान किया गया।
जिस तरह से वर्तमान में तालाब की पिचिंग की मुरम हाथों से टूट रही है। इससे तालाब को बारिश के दौरान खतरा होने की स्थिति बन गई है।
अधिकारियों ने दी गलत जानकारी –
सावंत ने बताया कि राज्य शासन जिस महत्वपूर्ण उद्देश्य के साथ ग्रामीण क्षेत्रों तक आवश्यकताओं के लिए जल पहुंचाने की कोशिशों में जुटा है उसे अधिकारियों की लापरवाही से नुकसान हो रहा है।
उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार में शेष बकाया भुगतान के संबंध में जानकारियां मांगी गई थी। अधिकारियों ने मई माह में दी गई जानकारी में बताया कि भुगतान अभी शेष है जबकि इसके पूर्व ही ठेकेदार को पूरा भुगतान जारी कर दिया गया था।