भोपाल। पुरानी पेंशन की मांग के लिए रविवार को हज़ारों की संख्या में कर्मचारी भोपाल पहुंचे। यहां इतने कर्मचारी थे कि भेल दशहरा जैसा विशालकाल मैदान भरा हुआ नज़र आ रहा था। इस प्रदर्शन में पहली बार सभी कर्मचारी संगठन एक साथ आए और एक सुर में पुरानी पेंशन लागू करने की मांग की। इस मांग को कांग्रेस का भी सर्मथन मिला है।
पार्टी की ओर से यहां पूर्व मंत्री पीसी शर्मा भी पहुंचे। इस महासम्मेलन में वोट फॉर ओपीएस का नारा दिया गया। इसके साथ ही कर्मचारी संगठनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जो भी दल सत्ता में आने के बाद पुरानी पेंशन देने का वादा करेगा कर्मचारी उसे ही वोट करेंगे। ज़ाहिर है कर्मचारियों के साथ आकर कांग्रेस पार्टी ने अपने लिए कुछ नंबर तो ज़रूर बढ़ा लिये हैं।
पिछले दिनों करणी सेना के आंदोलन के बाद भोपाल में एक बार फिर हज़ारों लोग अपनी मांग लेकर पहुंचे। मांग करने वाले ये लोग मप्र और केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं। जो सरकार से पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू करने की मांग कर रहे हैं। यह आयोजन नेशनल मूवमेंट फार ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) की पहल पर हुआ था। इस आयोजन में इस संगठन के प्रमुख विजय कुमार बंधु भी पहुंचे। जिन्होंने खुले शब्दों में कहा कि कर्मचारी अपना मुद्दा बता चुके हैं और अब यह दलों को तय करना है कि वे कर्मचारियों के इन मुद्दों के साथ हैं या नहीं। कांग्रेस के सर्मथन में बंधु ने कहा कि कर्मचारी किसी दल के साथ नहीं हैं।
नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम मध्य प्रदेश के अध्यक्ष परमानंद डेहरिया ने कहा कि हमारी एक ही मांग है कि नियुक्ति दिनांक से सेवा अवधि की गणना के साथ पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की जाए। हम 2017 से इसकी मांग करते आ रहे हैं। लेकिन अब तक सरकार ने इस तरफ कोई कार्रवाई नहीं की है। कर्मचारियों ने कहा कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह चरणबद्ध और संवैधानिक तरीके से अपना आंदोलन जारी रखेंगे। इस दौरान कर्मचारियों से पुरानी पेंशन के संकल्प पत्र भी भरवाए गए।
कर्मचारी संगठनों ने राज्य सरकार को यहां से अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि सरकार एक महीने में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का निर्णय ले और अगर ऐसा नहीं होता है तो तो फिर कर्मचारी कलमबंद हड़ताल करेंगे। इन कर्मचारी संगठनों ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू नहीं होने की स्थिति में आगामी चुनाव में शिवराज सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने का भी संकल्प लिया।
सीएम चौहान के नाम लिखे पत्र में कर्मचारी संगठनों ने मांग की है। कि भारत सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों अधिकारियों के लिए लागू केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म कर 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में नियुक्त केंद्रीय कर्मचारियों, अधिकारियों पर नेशनल पेंशन स्कीम एनपीएस लागू की है। जो पूरी तरह शेयर बाजार पर आधारित, जोखिम भरा और असुरक्षित है। जिसमें निश्चित पेंशन व परिवार पेंशन नहीं है।
कर्मचारियों के मुताबिक फिलहाल नेशनल पेंशन स्कीम से सेवानिवृत्त हो रहे केंद्रीय कर्मचारियों, अधिकारियों को बहुत कम पेंशन राशि मिल रही है जिसके कारण उनकी सामाजिक आर्थिक सुरक्षा नहीं हो पाती है एवं परिवार का भरण पोषण तथा सम्मानजनक जीवन जीना मुश्किल हो रहा है। कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा हो।
कर्मचारियों ने लिखा कि सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारियों, अधिकारियों की सामाजिक आर्थिक सुरक्षा का दायित्व भारत सरकार का है। राष्ट्रीय मानव आयोग ने केंद्र सरकार को लिखे पत्र में कर्मचारियों , अधिकारियों के मानव अधिकारों की रक्षा के खातिर एनपीएस की समीक्षा के लिए समिति गठित करने को कहा है।
इस कार्यक्रम में कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने भी मंच से कर्मचारियों को संबोधित किया। शर्मा कहा कि कर्मचारी इधर उधर की बातें न करें और केवल एक मुद्दे को पकड़ लें। ये सत्ता की चाबी है और इसी से जीत हासिल होगी। अर्धसैनिक बलों को पुरानी पेंशन देना राष्ट्रवाद नहीं है क्या? उन्हें सबसे पहले पुरानी पेंशन का लाभ मिलना चाहिए। हम वादा करते हैं कि कांग्रेस सरकार आते ही राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करेंगे।