नर्सिंग दिवस पर नर्सिंग विद्यार्थियों ने काली पट्टी बांधकर निकाली मौन रैली


सालों से रुकी परीक्षा और छात्रवृति की मांग को लेकर नर्सिंग विद्यार्थियों ने निकाली मौन रैली, नर्सिंग विद्यार्थियों का दर्द – कोरोना काल में भी दी सेवाएं, परीक्षा नहीं होने से दो साल बढ़ गया कोर्स, रोजगार में आयु सीमा भी बनेंगी परेशानी।


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उनकी बात Published On :
dhar nursing students

धार। 12 मई, शुक्रवार को विश्व नर्सिंग दिवस के मौके पर धार जिले के मान्यता प्राप्त कॉलेजों के नर्सिंग विद्यार्थियों ने काली पट्टी बांधकर लालबाग से कलेक्टर कार्यालय तक मौन रैली निकाल कर राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

गवर्नर व सीएम के नाम दिए गए ज्ञापन में विद्यार्थियों ने कहा है कि सत्र 2020-21 के बीएससी नर्सिंग के विद्यार्थियों की आजतक परीक्षा नहीं ली गयी है और न ही इनको छात्रवृति मिली है।

शुक्रवार को जिले के निजी संस्‍थानों में अध्‍यनरत नर्सिंग कॉलेज के करीब 500 छात्र-छात्राएं लालबाग परिसर में एकत्रित हुए और यहां से परीक्षा करवाने की मांग को लेकर कलेक्‍टर कार्यालय तक मौन रैली निकालकर कलेक्‍टर प्र‍ियंक मिश्रा को मुख्‍यमंत्री व राज्‍यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा जिसमें बताया गया है कि सत्र 2021-22 के साथ सत्र 2022-23 की परीक्षाएं आज तक नहीं ली गई हैं।

कोरोना समय में इन विद्यार्थियों ने दी थी सेवाएं –

ज्ञापन देने आये नर्सिंग विद्यार्थियों ने बताया कि जब कोरोना के समय रेगुलर स्टाफ की कमी थी तब समाजसेवा की भावना से प्रशासन के कहने पर इन्हीं नर्सिंग विधार्थियों ने अल्टरनेट ड्यूटी की थी और कई जिन्दगियां बचाने का कार्य किया था, लेकिन आज इनके साथ न्याय नहीं हो रहा है।

इस अवसर पर कॉलेज संचालक डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि

जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो सबसे पहले एक नर्स ही होती है जो उस पोलियो की दवा पिलाती है। बीमारियों से बचने के लिए टीका लगाती है, उसके बाद मां की ममता मिलती है। शायद इसी भावना की वजह से नर्स को सम्मान से बहन का दर्जा दिया गया है। आज इन्हीं नर्सिंग विद्यार्थियों के लिए तीन साल से परीक्षा का आयोजन नहीं होना म.प्र. मेडिकल विवि की और छात्रवृति न देना आदिम जाति कल्याण विभाग की विफलता है।


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