मानवाधिकार आयोग ने मांगी एक्शन टेकन रिपोर्ट


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मध्य प्रदेश में सिलिकोसिस की समीक्षा के लिए वेबिनार का आयोजन किया था। वेबिनार में सिलिकोसिस के मुद्दे पर मृतकों को मुआवजा, पुनर्वास नीति, सामाजिक सुरक्षा योजना, मरीजों की पहचान आदि विषयों पर चर्चा हुई।


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धार। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मध्य प्रदेश में सिलिकोसिस की समीक्षा के लिए वेबिनार का आयोजन किया था। वेबिनार में सिलिकोसिस के मुद्दे पर मृतकों को मुआवजा, पुनर्वास नीति, सामाजिक सुरक्षा योजना, मरीजों की पहचान आदि विषयों पर चर्चा हुई। आयोग ने हालही में सभी संबंधित पक्षों को एक्शन टेकन रिपोर्ट उसके सामने प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। हालांकि इस रिपोर्ट के बारे में अब तक स्पष्ट जानकारी नहीं आई है। हालांकि इसे लेकर कई गंभीर तथ्य पहले से ही हमारे सामने हैं। जिनमें धार और झाबुआ में सिलिकोसिस से पीड़ित लोगों से किए गए कई अधूरे वादे हैं।

वेबिनार में प्रदेश में सिलिकोसिस पीड़ितों के पुनर्वास एवं मुआवजा संबंधी नीति पर चर्चा हुई थी। इसमें सिलिकोसिस पीड़ित संघ के प्रतिनिधि द्वारा बताया गया था कि संघ ने 18 जून 2016 को प्रदेश के विभिन्ना संस्थाओं, संगठनों, विषय विशेषज्ञों एवं शासकीय अधिकारियों के साथ विमर्श कर नीति बनाई थी। इसे लागू करने की अनुशंसा सिलिकोसिस पर सर्वोच्च न्यायालय की समिति एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी की थी। ड्राफ्ट नीति तैयार होने के बाद भी आज तक इसे लागू नहीं किया गया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को कुछ बिंदू अपनी नीति में शामिल करने का सुझाव दिया है। इनमें असंगठित क्षेत्र के मृत व्यक्ति के स्वजनों को पांच लाख रुपए मुआवजा देने, मृत व्यक्ति के परिजनों को पेंशन के तौर पर हर महीने और आश्रितों को पांच हजार पेंशन दिए जाने जैसे सुझाव शामिल हैं।  विदिशा,  पन्ना,  भिंड,  शिवपुरी आदि जिलों में भी सिलिकोसिस के मरीज बड़ी संख्या में हैं, लेकिन इन जिलों में मरीजों की जांच नहीं हो रही है। राज्य सरकार ने जब वेबिनार में कहा कि ऐसा कोई मामला नहीं है,  इस पर आयोग के रजिस्ट्रार लॉ ने कहा कि जब प्रक्षिशित डॉक्टर ही नहीं हैं तो राज्य सरकार कैसे कह सकती है कि सिलिकोसिस के मामले इन जिलों में नहीं हैं।

बेहाल हैं सिलिकोसिस पीड़ित

दो जून की रोटी कमाने गए थे और सिलिकोसिस जैसी बीमारी मिल गई। इससे अब तक जिले में 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 273 लोग जैसे मौत का इंतजार कर रहे हैं। इन्हें सांस की गंभीर बीमारी हो चुकी है और वे कोई काम नहीं कर सकते। इससे परिजनों पर आश्रित ये बीमार  बेबसी से सिर्फ इंतजार कर रहे हैं। धार जिले के आदिवासी विकासखंड डही में सबसे अधिक सिलिकोसिस पीड़ित हैं और अब तक 23 लोगों की जान जा चुकी है। एक दशक बाद भी पीड़ितों को कोई खास राहत नहीं मिली है। कुक्षी, बाग और गंधवानी ब्लॉक में भी सिलिकोसिस पीड़ितों के खराब हाल हैं और जिले के इन प्रभावित विकासखंडों में सिलिकोसिस पीड़ितों की जांच के लिए अंचल के अस्पतालों में डिजिटल एक्सरे मशीन तक उपलब्ध नहीं है। स्वास्थ्य सेवा के नाम पर सिर्फ एक्सरे और लार की जांच हो जाती है।

 


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