आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस है. बीते साल रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स की ओर से जारी विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में से 140वें स्थान पर था। इस साल भारत दो पायदान लुड़क कर 142वें स्थान पर आ गया है। ऐसे में उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित संवैधानिक पदों पर बैठे तमाम लोगों और नेताओं ने पत्रकारों को बधाई सन्देश दिया है।
Prime Minister @narendramodi's message on the occasion of #NationalPressDay pic.twitter.com/7p7Rg0TyUx
— PIB India (@PIB_India) November 16, 2020
4 जुलाई, 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई, जिसने 16 नवंबर, 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया। तब से प्रतिवर्ष 16 नवंबर को ‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
सवाल है कि आज देश में प्रेस को कितनी आज़ादी है? किस वर्ग के मीडिया को खुली छूट है और किन्हें नहीं है? कितने पत्रकार बीते 5 सालों में गिरफ्तार हुए, कितनों पर हमले हुए और कितने पत्रकारों की हत्या हो गयी?
केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर लिखा है- ‘फ्री प्रेस’ हमारे लोकतंत्र की विशेषता और आधारशिला है। #राष्ट्रीय_प्रेस_दिवस , प्रेस की स्वतंत्रता एवं जिम्मेदारियों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करता है। आज सबसे बड़ा संकट है #FakeNews, पत्रकारों को इसके लिए काम करना चाहिए। सभी पत्रकारों को शुभकामनाएं।”
In a message at the webinar on #NationalPressDay by Press Council of India, reiterated that freedom of the press is the cornerstone of our Democracy, but at the same time stressed that it is a responsible freedom. pic.twitter.com/7iosPCl9Xj
— Prakash Javadekar (Modi Ka Parivar) (@PrakashJavdekar) November 16, 2020
प्रकाश जावड़ेकर ने अपने ट्वीट में ‘फेक न्यूज़’ का जिक्र कर बढ़िया किया है। सवाल है कि क्या सरकार और मंत्री जी को नहीं पता है कि फेक न्यूज़ फ़ैलाने वाले कौन हैं? हाल ही में मोदी सरकार ने ऑनलाइन मीडिया पर निगरानी के लिए अधिसूचना जारी किया है और इसके लिए नोडल अधिकारी की भी नियुक्ति हो चुकी है।
ऑनलाइन मीडिया पर निगरानी के लिए सरकार ने यह अध्यादेश क्यों जारी किया? सुदर्शन टीवी पर ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम पर अदालत द्वारा रोक और उस पर नियंत्रण के सवाल पर मोदी सरकार ने अदालत से कहा था- पहले सोशल/ऑनलाइन मीडिया पर नियंत्रण जरूरी है।
पत्रकारों की रक्षा के लिए गठित कमेटी काज (CAAJ) की रिपोर्ट के अनुसार बीते साल के सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के दौरान 14 पत्रकारों पर हमले हुए।
हाल ही में बीजेपी शासित त्रिपुरा में एक स्थानीय बांग्ला अख़बार ‘‘प्रतिवादी कलम’ की छह हजार से अधिक प्रतियां अगरतला से करीब 60 किलोमीटर दूर गोमती जिले में उदयपुर बस स्टैंड पर छीनकर उपद्रवियों ने नष्ट कर दीं।
अख़बार के संपादक ने कहा कि उन्होंने अपने अख़बार में त्रिपुरा के कृषि मंत्री और कुछ नेताओं द्वारा किए गए 150 करोड़ रुपये के कथित घोटाले की रिपोर्ट की श्रृंखला प्रकाशित किया था, उसके बाद अखबार को सबक सिखाने के लिए ऐसा किया गया।
याद करें कभी केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, गिरिराज सिंह और रविशंकर प्रसाद ने कहा था? पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कभी कहा था कि पत्रकारों को अप्रिय सत्य कहने से बचना चाहिए!
तीन साल पहले 5 सितम्बर 2017 को बेंगलुरु में कन्नड़ की मशहूर पत्रकार और लेखक गौरी लंकेश की गोली मार कर हत्या कर दी गयी और सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने उनकी हत्या के बाद जश्न मनाया गया। दधिची नामक एक यूजर ने गौरी लंकेश के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। उस यूजर को प्रधानमंत्री मोदी फॉलो करते थे। गौरी लंकेश की हत्या पर आज के किसी मंत्री ने दुःख जताया था क्या?
शिवराज सिंह चौहान ने भी आज पत्रकार भाइयों को बधाई दी है। सवाल है कि मध्यप्रदेश में पत्रकार कितने सुरक्षित हैं?
मेरे पत्रकार भाई-बहनों आप सबको #NationalPressDay की हार्दिक बधाई!
प्रेस और पत्रकारिता के नैतिक साहस ने लोकतंत्र के इस चौथे स्तम्भ को नई शक्ति दी है। समाज में नव चेतना जागृत हुई है।
आप सशक्त हों, निष्पक्ष रहें और समाज व राष्ट्र के नवनिर्माण के सच्चे सृजक बने रहें, शुभकामनाएं!
— Shivraj Singh Chouhan (मोदी का परिवार ) (@ChouhanShivraj) November 16, 2020
मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाले की जांच के लिए कितने पत्रकार मारे गये? छत्तीसगढ़ में रमण सिंह सरकार के शासनकाल में कितने पत्रकारों पर हमले और मामले दर्ज हुए? पर अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी पर भारत सरकार के तमाम मंत्री से लेकर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक को मीडिया की आज़ादी और लोकतंत्र की चिंता करते देखना सुखद रहा।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश भी पत्रकारों के लिए असुरक्षित है। यहां पत्रकारों पर हमलों में 142 फीसदी इजाफ़ा हुआ है। यह रिपोर्ट दो साल पुरानी है किन्तु इसमें कोई कमी या बदलाव की कहीं कोई खबर भी नहीं है।