राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति ने किया ‘भारत बंद’ में शामिल होने के लिये आह्वान


सभी देशवासियों से निवेदन है कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 8 दिसंबर को आयोजित ‘भारत बंद’ में शामिल होकर उसे सफल बनाने में अपना योगदान दे।


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उनकी बात Updated On :

केंद्र के  कृषि कानूनों खिलाफ आज भारत बंद का आह्वान किया गया है। गौरतलब है कि, इस बंद  का आयोजन आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा किया जा रहा है और  इसे  तमाम राजनीतिक दलों, ट्रेड यूनियनों, प्रगतिशील लेखक व छात्र संगठनों सहित तमाम अन्य संगठनों और संस्थाओं ने समर्थन देने की घोषणा की है। राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति ने आज फिर एक बार  इस ‘भारत बंद’  को सफल बनाने के लिए इसमें शामिल होने की अपील की है।

समिति की अपील: 

सभी देशवासियों से निवेदन है कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 8 दिसंबर को आयोजित ‘भारत बंद’ में शामिल होकर उसे सफल बनाने में अपना योगदान दे।

केंद्र सरकार भारत की खेती को पूरी तरह से कारपोरेट्स के हवाले करने का काम कर रही है। उसके लिये नीतियां और कानून में बदलाव किये जा रहे है। कॉन्ट्रैक्ट खेती के द्वारा कृषि उत्पादन पैदा करने, एक मंडी एक बाजार के नाम पर कृषि उत्पादन खरिदने, जीवनावश्यक वस्तु के द्वारा जमाखोरी करने और दुनियां के बाजार में कृषि उत्पादन को महंगे दामों पर बेचने की कारपोरेटी व्यवस्था को कानूनी संरक्षण देने के लिये सभी कानूनी बदलाव किये जा रहे है‌।

कॉन्ट्रैक्ट खेती के द्वारा केंद्र सरकार नई कारपोरेट जमींदारी स्थापित करना चाहती है। भारत के किसानों को फिरसे गुलामी में ढकेला जा रहा है।

हम कारपोरेट खेती व्हाया कॉन्ट्रैक्ट खेती का विरोध करते है और तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग करते है और किसानों को एक सुनिश्चित आय प्राप्त कराने के लिये न्याय्य और उचित श्रममूल्य के आधारपर उत्पादन मूल्य निकालकर मूल्य की गारंटी के लिये कानूनी व्यवस्था बनाने की मांग करते है।

किसानों से खेती छीनकर कारपोरेट्स के हवाले करने से महंगाई बढेगी, बेरोजगारी बढेगी, खाद्यान्न सुरक्षा के लिये बडा खतरा पैदा होगा। इसलिये अब यह आंदोलन किसानों के साथ-साथ तमाम देशवासियों का बन जाता है‌।

आज सभी सार्वजनिक क्षेत्र को कारपोरेट्स को सौपा जा रहा है। खेती को भी कारपोरेट्स को सौपने के लिये कानूनी परिवर्तन किये जा रहे है।

निजीकरण के दुष्परिणाम स्पष्ट रुपसे सामने आये है। आर्थिक विषमता चरम सीमा पर पहूंची है। गरिबी बढती जा रही है। तब निजीकरण की, कारपोरेटीकरण की नीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है‌।

राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति एकमात्र समन्वय है, जिसने अपने 26 सूत्री प्रस्ताव में कारपोरेट खेती का विरोध करने का निर्णय किया था।

सभी को निवेदन है कि बंद को सफल बनाने के लिये सक्रिय सहयोग दे।

राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति,
अमरनाथ भाई, विवेकानंद माथने, एड. जोशी जेकब, पारसनाथ साहू, सुखदेव सिंह, दशरथभाई, मनोज त्यागी, मिथिलेश डांगी, सरस्वती केवुला, नीरज सिंह, सुनिल फौजी, एड. जयंत वर्मा, विजयभाई पंडा, उमेश तिवारी, सत्यप्रकाश भारत, दयाकिसन शर्मा, हरपाल सिंग राणा, करन सिंह, संजूनाथ शेट्यालकर, सुंदरा विमल नाथन, लिलाधरसिंह राजपूत


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