ख़बर का असरः निर्माणाधीन चिनकी बैराज के नजदीक बसे किसानों ने शुरु किया धरना प्रदर्शन, प्रशासन पर जानकारी छुपाने का आरोप


किसानों ने कहा देशगांव की खबरों से मिली उन्हें जानकारी, प्रशासन ने जमीन पर निशान लगा दिए लेकिन कुछ नहीं बताया


ब्रजेश शर्मा
उनकी बात Updated On :
Farmers affected by Chinki barrage started protest: Photo Deshgaon News
चिनकी बैराज के कारण प्रभावित होने वाले किसानों ने शुरु किया धरना प्रदर्शन


नरसिंहपुर।  चिनकी बैराज परियोजना को लेकर यहां प्रभावितों और किसानों ने घूरपुर नर्मदा तट पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। बांध निर्माण और इस पर प्रशसान के रवैये को लेकर किसानों में आक्रोश है।

उनका आरोप है कि रानी अवंती बाई सागर परियोजना यानी चिनकी बैराज की जानकारी सार्वजनिक नहीं कर रही है और तथ्यों को छिपा रही है। किसानों ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनकी कितनी जमीन जा रही है और उन्हें क्या मुआवजा दिया जाना है जबकि बांध निर्माण शुरु हो चुका है और दोनों किनारों पर बसे गांवों की ज़मीनों और घरों पर निशान तक लगाए जा चुके हैं।

इन किसानों ने कहा कि उन्हें देशगांव की खबरों का सर्मथन मिला और कई दूसरे किसानों को यह पता चला कि बैराज में डूब क्षेत्र में उनकी जमीन भी खतरे में है और वे सब एक साथ आए।

चिनकी बैराज को लेकर किसान लामबंद हो रहे हैं, शुक्रवार को नर्मदा तट के किनारे बसे गांव में घूरपुर धर्मशाला परिसर में  इन किसानों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरु कर दिया है। इस दौरान किसानों की नाराज़गी प्रशासन से है।

उनका कहना है कि बांध निर्माण का काम तेजी से जारी है लेकिन किसानों और नर्मदा के तट पर बसे लोगों को इसकी कोई जानकारी नहीं है कि उनकी जमीन का क्या होगा। अधिकारी उन्हें अपने कार्यालयों में बुलाकर कागजों पर दस्तखत तक करवा रहे हैं लेकिन उन्हें बता नहीं रहे कि जमीन कितनी जानी है और इसके बदले में मुआवज़ा कितना मिलना है।

इस अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन में में कई प्रभावित गांव पिपरहा, घूरपुर गुरसी ,गोकुला, रमपुरा, चिनकी समनापुर आदि के किसान धरने पर पहुंचे थे। इन गांवों की करीब हजार एकड़ जमीन बैराज के प्रभाव क्षेत्र में आएगी।

 

धरने में पिपरहा के किसानों का कहना था कि चिनकी बैराज के संबंध में जानकारी छुपाई जा रही है। उनके साथ धोखाधड़ी हो रही है बांध के निर्माण और प्रशासनिक कार्यों से जुड़े लोग उन्हें जानकारी नहीं दे रहे हैं।

कई आदिवासी किसानों की जमीन कंपनी के द्वारा सिकमी यानी कृषि अनुबंध पर ले ली गई है और इस जमीन पर  50 – 100 फुट गहरे गड्ढे कर दिए गए हैं। जिससे अब इस जमीन पर खेती बाड़ी करना नामुमकिन है।

ग्रामीणों का कहना है कि जानकारी न दिए जाने से अनिश्चितता और आशंकाएं बनी हुई हैं। उन्हें यह डर है कि आने वाले समय में वह अपनी खेती बाड़ी कर पाएंगे या नहीं  और नहीं तो उनके रोजगार के लिए क्या किया जा रहा है।  उनका कहना है कि विभाग और जिला प्रशासन बार-बार इधर से उधर भटका रहा है।

यहां मांग की गई कि लोगों को पूरी पर्याप्त जानकारी दी जाए और पर्याप्त तौर पर मुआवजा दिया जाए ताकि क्षेत्र के किसान जो प्रभावित हो रहे हैं वह अपना पुर्नस्थापन कर सकें। धरने को संबोधित करते हुए समाजसेवी बाबूलाल पटेल, साहब सिंह पटेल, सीताराम ठाकुर ,लेख राम विश्वकर्मा श्याम पटेल आदि ने कहा कि वे बांध का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन किसानों को वांछित जानकारी देते हुए उन्हें विश्वास में लिया जाना चाहिए और साफ बताना चाहिए कि डूब क्षेत्र की स्थिति क्या होगी तथा मुआवज़ा और पुर्नवास के लिए शासन की क्या योजना है।

देशगांव की खबरों से पता चला

आने वाले दिनों  में इन किसानों का यह प्रदर्शन और भी बढ़ने की संभावना है। जिसके बाद प्रशासन भी परेशान है। किसानों ने कहा कि उन्हें डूब क्षेत्र, मुआवजे और बांध को लेकर कोई खास जानकारी नहीं थी लेकिन देशगांव की खबरों पर उनका ध्यान गया और उन्हें पता चला कि वे भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। किसानों के मुताबिक उन्हें जानकारी नहीं दी गई थी ऐसे में उन्हें कुछ भी नहीं पता था और वे अपने आपको सुरक्षित मान रहे थे लेकिन खबरें पढ़ने- देखने के बाद उन्हें पता चला कि उनकी जमीनों पर भी निशान लगाए गए हैं जिनके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।


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